जंगल

वन भूमि पर अवैध सड़क बनाने का आरोप, एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब

आरोप है कि यह सड़क केसरपुर में बरसाती पानी की निकासी के लिए समर्पित जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने अधिकारियों से अवैध रूप से बनाई कंक्रीट की सड़क के आरोपों पर जवाब देने को कहा है। पांच दिसंबर, 2024 को इस मामले में अदालत ने अधिकारियों को नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है।

यह सड़क केसरपुर में बारिश के पानी की निकासी के लिए छोड़ी गई जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई है। पूरा मामला राजस्थान में अलवर जिले के केसरपुर का है।

जिन अधिकारियों से जवाब मांगा गया है, उनमें अलवर के जिला कलेक्टर, वन अधिकारी, जल संसाधन विभाग और बागवानी विभाग के सहायक निदेशक शामिल हैं। इन सभी से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।

अदालत का ध्यान स्थानीय अखबार 'पत्रिका' में 24 फरवरी, 2024 को छपी एक खबर की ओर आकर्षित किया गया है। इस खबर के मुताबिक 4.15 हेक्टेयर जमीन वन विभाग के आधीन है।

साथ ही इस इलाके में एक नहर बरसाती पानी की निकासी के लिए है। खबर में यह भी बताया गया है कि आस-पास के भूस्वामियों द्वारा एक अवैध सड़क का उपयोग किया जा रहा है।

आरोप है किकि वन विभाग की अनुमति के बिना वन भूमि पर अवैध रूप से कंक्रीट की सड़कें बनाई जा रही हैं। उप वन संरक्षक ने अलवर के उपनिदेशक को पत्र भेजकर खसरा नंबर 36 में नाले की जगह पर अवैध निर्माण की जानकारी दी है, जिस पर कंक्रीट की सड़क बनाई जा रही है। वन संरक्षक ने नाले की जगह पर हो रहे इस अवैध अतिक्रमण को हटाने का भी अनुरोध किया था।

संबंधित अधिकारियों को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अलवर के केसरपुर गांव में खसरा नंबर 36 के मालिक ने सरकारी मंजूरी के बिना वन भूमि पर अवैध रूप से कंक्रीट की पक्की सड़क का निर्माण किया है।

यह भी बताया गया कि इस बारे में एक आरटीआई भी फाइल की गई थी। इससे पता चला है कि अलवर के केसरपुर गांव में खसरा नंबर 36 को 25 से 30 साल पहले वन विभाग से राजस्थान के बागवानी विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया था। अब यह जमीन राजस्थान के सिंचाई विभाग के अधीन है।

कुबनूर में लम्बे समय से जमा कचरे को साफ करने के किए जा रहे हैं हर संभव प्रयास

केरल के कासरगोड में कुबनूर कचरा प्रबंधन केंद्र का काम जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा, यह जानकारी केरल के स्थानीय स्वशासन विभाग के अतिरिक्त सचिव ने नौ दिसंबर, 2024 को एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में कही है।

गौरतलब है कि एनजीटी ने पांच सितंबर, 2024 को आदेश दिया था कि बायो-माइनिंग का काम सही मायनों में पूरा होना चाहिए। परियोजना के लिए जिम्मेवार मंगलपडी ग्राम पंचायत के सहायक अभियंता ने कहा था कि काम शुरू होने के छह महीनों के भीतर पूरा हो सकता है।

वहीं मंगलपडी पंचायत के कुबनूर में लम्बे समय से जमा कचरे को साफ करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

कासरगोड जिले के स्थानीय स्वशासन विभाग के संयुक्त निदेशक ने अदालत को जानकारी दी है कि कुबनूर अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र के लिए निविदा को मंजूरी दे दी गई है। यह केंद्र मंगलपडी ग्राम पंचायत की 2023-2024 के लिए जारी वार्षिक योजना का भी हिस्सा है।

ठेकेदार ने 27 अगस्त 2024 को पंचायत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद काम शुरू करने के लिए साइट सौंप दी गई। मंगलपडी ग्राम पंचायत के सचिव ने जानकारी दी है कि काम जल्द से जल्द पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

कार्बन उत्सर्जन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने तलब की प्रासंगिक नियमों की जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने पांच दिसंबर, 2024 को भारत के वरिष्ठ अधिवक्ता को दो सप्ताह के भीतर कार्बन उत्सर्जन पर सभी प्रासंगिक नियमों का संकलन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

यह मुद्दा पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कार्बन उत्सर्जन से जुड़ा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले कानूनों की समीक्षा की आवश्यकता है। इस उद्देश्य के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जय चीमा और सुधीर मिश्रा को कानूनी सलाहकार (एमिसी क्यूरी) नियुक्त किया है।