प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी/ सीएसई 
जंगल

नहीं पता था कि रिज में पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति की आवश्यकता है: दिल्ली उपराज्यपाल

मामला सड़कों को चौड़ा करने के लिए दिल्ली रिज में 1,100 पेड़ों को काटने से जुड़ा है। इन पेड़ों को काटने का काम 16 फरवरी, 2024 को शुरू हुआ था

Susan Chacko, Lalit Maurya

24 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वर्तमान अध्यक्ष यानी उपराज्यपाल वीके सक्सेना और पूर्व उपाध्यक्ष सुभाष पांडा से विशेष रूप से हलफनामा मांगा है। अदालत जानना चाहती है कि दिल्ली रिज में पेड़ों की कटाई के बारे में उन्हें कब पता चला।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि अगले सप्ताह तक पेड़ों की कटाई की अनुमति से जुड़े सभी मूल रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं। उनसे चार नवंबर, 2024 तक हलफनामे प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है। साथ ही आदेश में भारतीय वन सर्वेक्षण को भी एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

मामले की अगली सुनवाई पांच नवंबर, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि 22 अक्टूबर 2024 को डीडीए अध्यक्ष और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक हलफनामा कोर्ट में प्रस्तुत किया था। इस हलफनामे उन्होंने कहा है कि उन्हें 31 मार्च 2024 को पता चला कि पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की आवश्यकता है।

इसके बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने परियोजना के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति भी मांगी है।

यहां पेड़ों की वास्तविक कटाई 16 फरवरी 2024 के आसपास शुरू हुई थी, जिसके बारे में डीडीए के उपाध्यक्ष ने दस जून 2024 को अध्यक्ष के संज्ञान में लाया गया था। यह नोटिस अदालत के निर्देशों के अनुसार जारी किया गया है।

क्या है पूरा मामला

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि हलफनामे से संकेत मिलता है कि डीडीए के अध्यक्ष को इस तथ्य से अवगत कराया गया था कि पेड़ों की वास्तविक कटाई 16 फरवरी, 2024 से शुरू हुई थी। उन्हें इस बारे में उपाध्यक्ष द्वारा दस जून, 2024 को लिखे पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था।

उपाध्यक्ष के पत्र में उल्लेख किया गया है कि पेड़ों की कटाई 16 फरवरी, 2024 को शुरू हुई थी और करीब दस दिनों तक जारी रही। इसमें यह भी जिक्र किया गया है कि विशेषज्ञों की एक समिति बनाने के प्रस्ताव को अध्यक्ष के कार्यालय से 12 अप्रैल, 2024 को मंजूरी मिली थी। उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने पहले ही अध्यक्ष को डीडीए अधिकारियों द्वारा की गई पेड़ों को काटने की "गलती" के बारे में सूचित कर दिया था।

इस मामले में छह फरवरी, 2024 को डीडीए के एसएमडी-5 के कार्यकारी अभियंता ने ठेकेदार को पत्र लिखकर स्पष्ट रूप से कहा कि अनुमति मिलने तक राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) में पेड़ों को नहीं काटा जाना चाहिए। काम केवल उन क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहिए जहां कोई बाधा न हो। पत्र में आगे उल्लेख किया गया है कि आवश्यक अनुमति मिलने के बाद ही पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाएगी।

हालांकि इसके बावजूद अब यह स्पष्ट हो गया है कि पेड़ों की कटाई 16 फरवरी, 2024 के आसपास शुरू हुई। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि, "पेड़ों की कटाई को किसने मंजूरी दी?"

सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि, "ऐसा प्रतीत होता है कि 12 अप्रैल, 2024 को उपराज्यपाल ने डीडीए के प्रस्ताव की समीक्षा की और इच्छा व्यक्त की थी कि संदर्भित सड़कों के लिए वैकल्पिक मार्गों का निर्माण समय पर पूरा किया जाए।"

गौरतलब है कि यह मामला सड़कों को चौड़ा करने के लिए दिल्ली रिज में 1,100 पेड़ों को काटने से जुड़ा है। इन पेड़ों को काटने का काम 16 फरवरी, 2024 को शुरू हुआ था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अनुमति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसे अंततः चार मार्च, 2024 को खारिज कर दिया गया था।