पेड़ों को काट बढ़ता विनाश; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
जंगल

कोलार सिक्स लेन रोड: बिन अनुमति काट दिए 4,105 पेड़, एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब

बिना अनुमति काटे गए पेड़ों का मामला गंभीर, एनजीटी ने राज्य सरकार और पेड़ अधिकारी से मांगा जवाब, प्रतिपूरक वृक्षारोपण की पूरी जानकारी भी देने का दिया निर्देश

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कोलार सिक्स लेन रोड के निर्माण के लिए बिना अनुमति 4105 पेड़ काटने पर अधिकारियों से जवाब मांगा है।

  • ट्रिब्यूनल ने संबंधित विभाग से पेड़ अधिकारी (ट्री ऑफिसर) के उस आदेश की प्रति अदालत में पेश करने को कहा है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटने की अनुमति दी गई।

  • समिति ने स्पष्ट किया है कि 4105 पेड़ों को काटने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी। इसलिए राज्य सरकार को नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए

  • एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने पेड़ अधिकारी को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि कहीं पेड़ों को नियमों का उल्लंघन करके तो नहीं काटा गया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कोलार सिक्स लेन रोड निर्माण के लिए 4105 पेड़ों के काटे जाने के मामले में संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। अधिकारियों से पूरा ब्योरा मांगा है। c

अधिकारियों को यह भी बताने के लिए कहा गया कि परियोजना एजेंसी या विभाग ने काटे गए पेड़ों की भरपाई के रूप में वृक्षारोपण के लिए कितनी राशि जमा की, कितने पेड़ लगाए गए और उनमें से कितने जीवित हैं।

एनजीटी की संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कुछ सख्त सिफारिशें दीं हैं। समिति ने कहा कि यदि सड़क निर्माण 14.2 किलोमीटर से आगे बढ़े, तो शेष हिस्से के लिए संबंधित वन विभाग के साथ संयुक्त निरीक्षण के बाद वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत अनुमति लेना जरूरी है। साथ ही, जमा की गई राशि से प्रतिपूरक वृक्षारोपण सड़क से 5 किलोमीटर की परिधि में किया जाना चाहिए।

समिति ने स्पष्ट किया है कि 4105 पेड़ों को काटने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी। इसलिए राज्य सरकार को नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की जांच करना भी जरुरी है कि क्या भोपाल नगर निगम (बीएमसी) ने इस मामले में कोई कार्रवाई की है।

अदालत के मुताबिक संयुक्त समिति की रिपोर्ट में साफ कहा है कि पीडब्ल्यूडी विभाग ने 4105 पेड़ और झाड़ियों को काटने के लिए अनुमति नहीं ली थी। ऐसे में एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने पेड़ अधिकारी को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि कहीं पेड़ों को नियमों का उल्लंघन करके तो नहीं काटा गया है।

भोज आद्रभूमि प्रदूषण: पांच साल बाद भी कार्रवाई अधूरी, एनजीटी ने जताई नाराजगी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 16 सितंबर 2025 को कहा है कि भोज वेटलैंड में बिना ट्रीटमेंट के पानी छोड़े जाने और जलाशय पर अतिक्रमण का मामला पिछले पांच वर्षों से लंबित है, लेकिन इसपर नियमों के अनुसार कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।

न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह ने कहा कि बार-बार आदेशों के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाए गए और अब भी बिना ट्रीटमेंट के पानी जल निकायों में छोड़ा जा रहा है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि शहर की सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता में 130 एमएलडी से अधिक का बड़ा अंतर है, जिसे अब तक ठीक से दूर नहीं किया गया है।

ऐसे में एनजीटी ने अगली सुनवाई पर भोपाल नगर निगम के आयुक्त और कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने का निर्देश दिया है। उन्हें सभी आंकड़ों और अब तक हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के पालन में हुई कार्रवाई की जानकारी अदालत के सामने रखनी होगी, ताकि मामले का निपटारा जल्द से जल्द हो सके। इस मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को होगी।

क्या गांधीसागर झील में मार्च 2026 तक जारी रहेगा गंदे पानी का बहाव: एनजीटी

15 सितंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के भीलवाड़ा नगर निगम को निर्देश दिया कि वह स्पष्ट समयसीमा बताए कि गांधीसागर झील में गिर रहा गंदा सीवेज कब तक पूरी तरह रोका जाएगा।

नगर निगम ने अदालत को बताया कि गांधीसागर में गिरने वाले करीब 75 फीसदी दूषित सीवेज को रोक दिया गया है और शेष 25 फीसदी सीवेज को भी मार्च 2026 तक रोक दिया जाएगा।

अदालत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसका मतलब है कि गांधीसागर में गंदे पानी का बहाव मार्च 2026 तक जारी रहेगा।