खान-पान

आहार संस्कृति: पोषण का खजाना है अपामार्ग, ऐसे बनाएं व्यंजन

वजन घटाने की क्षमता के कारण अपामार्ग लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। हालांकि इसका अत्यधिक सेवन नुकसानदायक भी हो सकता है

B Salome Yesudas

साग का नाम सुनते ही हमारे मन में पालक, मेथी और चौलाई की तस्वीर उभरती है। इसका कारण यह है कि जब भी हम सब्जी बाजार की तरफ जाते हैं, तो वहां हमें ये साग साफ सुथरे बंडल करीने से सजे दिखते हैं। लेकिन हमारे आसपास के जगलों और झाड़ियों में पोषक तत्वों से लबरेज अनेक प्रकार की हरी पत्तेदार सब्जियां भरी पड़ी हैं, जिन्हें हम जानकारी के अभाव में पहचान नहीं पाते। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों और जंगल-पहाड़ों पर रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों के भोजन में ये साग-सब्जियां शामिल होते हैं।

ऐसी ही एक पत्तेदार सब्जी है अपामार्ग, जिसका वानस्पतिक नाम अचिरांथिस अस्पेरा है। आम बोलचाल की भाषा में इसे चिरचिटा, लटजीरा और चिचड़ा भी कहते हैं। तमिलनाडु की जवाधू पहाड़ियों पर रहने वाले आदिवासी बरसात के मौसम में इसका उपभोग नियमित तौर पर करते हैं। राज्य के नगरपट्टिनम जिले की वेदरनयाम तालुका की महिलाएं जुलाई के महीने में बाजरे के खेतों की निराई के दौरान इसकी नाजुक पत्तियों और तनों को तोड़कर घर ले आती हैं और इससे विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनती हैं। एक बार फूल आने के बाद ये सख्त हो जाती हैं। स्थानीय भाषा में इसे नैरूसेडी कीडाई, नागर, उथलांडिगा सेपू और नयूरूवी कहा जाता है। अपामार्ग अमारंथैसी समूह की सब्जियों में शामिल है। इस समूह में लोकप्रिय पत्तेदार सब्जी चौलाई भी आती है।

जवाधू की पहाड़ियों में थोमारेट्टी गांव में रहने वाली वसंता बताती हैं कि अपामार्ग के पत्तों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। उनका कहना है, “केवल पत्तियां ही नहीं, इसके तने, जड़ और बीज का भी आहार और दवा के रूप में सेवन किया जाता है।” दक्षिण भारत के कई हिस्सों में मनाए जाने वाले पर्व सुनयम पांडुगा के दौरान किसान इसकी फलियों और पत्तियों को अपने खेतों से एकत्रित करते हैं और फिर बज्जी कुरा नामक व्यंजन तैयार करते हैं। भारतीय स्थापत्य कला का एनसाइक्लोपीडिया समरांगण सूत्रधार बताता है कि इसका रस दीवारों पर होने वाले प्लास्टर का मुख्य तत्व है।

स्वास्थ्य का पूरक

अपामार्ग में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में निहित होते हैं। अपामार्ग की 100 ग्राम की पत्तियों में 3.3 ग्राम प्रोटीन, 417 मिलीग्राम कैल्शियम, 68 मिलीग्राम फास्फोरस, 12.5 मिलीग्राम आयरन, 5,311 माइक्रोग्राम बीटा कैरोटिन और 94.56 मिलीग्राम विटामिन सी होता है। जुलाई 2017 में जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल एंड कॉप्लीमेंट्री मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि वेदरनयाम में परंपरागत वैद्य महिलाओं की प्रजनन समस्याओं का इलाज इस पौधे से करते थे। सितंबर 2014 में पाकिस्तान जर्नल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेस में प्रकाशित यह अध्ययन बताता है कि अपामार्ग की पत्तियां स्वास्थ्य की बहुत की समस्याओं जैसे, शारीरिक वजन, हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स काउंट्स में सुधार लाती हैं।

इन दिनों अपामार्ग अपने औषधीय और चिकित्सकीय गुणों के कारण लोकप्रिय हो रहा है। इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल दातून के रूप में किया जाता है जिससे मुंह के कीटाणुओं को मारा जा सकता है। इसके जड़ को पीसकर काली मिर्च और शहद में मिलाकर सेवन करने से खांसी का उपचार किया जा सकता है। अपामार्ग की पत्तियों को पीसकर ततैया या मधुमक्खी जैसे कीट के दंश वाले स्थान पर लेप करने पर आराम होता है। प्याज के साथ इसे पीसकर लेप करने से त्वचा से संबंधित रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।

छाछ के साथ इसका सेवन करने पर डायरिया की रोकथाम की जा सकती है। अपामार्ग का सेवन वज़न घटाने में भी मददगार है। हालांकि इसका अत्यधिक उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

खेतों में कीटनाशकों को मारने के लिए होने वाले रासायनिक छिड़काव के चलते आदिवासी इसका संग्रह करने से कतराने लगे हैं। अगर यही हाल रहा तो पोषण का यह खजाना हमारी आहार संस्कृति का इतिहास बन कर रह जाएगा।

व्यंजन

पोरियल

सामग्री
  • अपामार्ग के पत्ते : 250 ग्राम
  • मसूर दाल : 100 ग्राम
  • तेल : 1 बड़ा चम्मच
  • लाल मिर्च पाउडर और नमक : स्वादानुसार

विधि: मसूर की दाल को पानी में डालकर इतना उबालें कि वह आधा पक जाए। अब इसमें अपामार्ग के पत्ते और नमक डालकर उबालते रहें। जब अपामार्ग के पत्ते गलने लगे तो उससे बचा हुआ पानी निकाल दें। अब एक पैन में तेल गर्म करें और उसमें लाल मिर्च पाउडर और दाल वाले मिश्रण को इसमें डालकर भूनें। ज्वार, बाजरे या मडुआ की रोटी के साथ गरमागरम परोसें।