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कुपोषण खत्म करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार अब पीडीएस में देगी प्रोटिनयुक्त आटा

एक नवंबर से मध्य प्रदेश सरकार राज्य के 17 जिलों में पीडीएस के अंतर्गत पांच किलो प्रोटीन युक्त आटा का वितरण करेगी, पीडीएस अधिकारियों व कर्मचरियों ने इस परिवर्तन को बताया

Anil Ashwani Sharma

कुपोषण के मामले में मध्य प्रदेश देश का तीसरा राज्य है। ऐसे में राज्य सरकार ने इस समस्या को जड़ से खात्मे के लिए अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के अंतर्गत वितरित किए जाने वाले आनाज में परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। अब पीडीएस के तहत गरीबों को पांच किलो के आटे का पैकेट वितरित किया जाएगा। यह कार्यक्रम एक पायलेट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया जा रहा है।

लेकिन जब इस संबंध में राज्य के पीडीएस का वितरण का कार्यभार संभालने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों से बातचीत की गई तो अधिकांश ने इसे यह कह कर इनकार दिया कि वर्तमान में साबुत आनाज तो राज्य सरकार वितरण के लिए हमें उपलब्ध नहीं करा पा रही है। ऐसे में आटे का वितरण व्यवहारिक तौर पर संभव नहीं है।

राज्य सरकार द्वारा वितरित किए जाने वाले साबूत आनाज के बितरण में ही हर माह में देरी होती है। ऐेसे में सभी के लिए आटा के पैकेट देना भी एक कम चुनौतीपूर्ण काम नहीं होगा। क्योंकि इसमें समय भी अधिक लगेगा और सरकार को अतिरिक्त आर्थिक भार भी उठाना होगा।  

आगामी एक नवंबर (यह तारीख राज्य की स्थापना दिवस का है) से कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत गरीबों को गेहूं की जगह प्रोटीनयुक्त आटा दिया जाएगा।

फ्लोर मिलों को गेहूं में प्रोटीन-विटामिन आदि राज्य का खाद्य विभाग उपलब्ध कराएगा। आटा बनाने वाली कंपनियों को आयरन, विटामिन-डी सहित अन्य पोषक तत्व की व्यवस्था भी राज्य सरकार ही करेगी। फ्लोर मिल आटे का 5-5 किलो के पैकेट तैयार करेंगे।

ध्यान रहे कि पहले चार किलो गेहूं और एक किलो चावल दिया जाता था, अब पांच किलो आटे के पैकेट मिलेंगे। राज्य सरकार अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को राज्य के 17 जिलों में लागू करेगी।

जिस कुपोषण को खत्म् करने के लिए इस योजना का सूत्रपात किया गया है, उस पर यदि एक नजर डालें तों वर्तमान में कुपोषण के मामले में मध्य प्रदेश राज्य देश में तीसरे नंबर पर बना हुआ है। इसे प्रतिशत में देखा जाए तो यह आंकड़ा 42.7 फीसदी है। वर्तमान में राज्य में 10.32 लाख बच्चे कुपोषित हैं और इसमें महिलाओं का प्रतिशत 25.5 है। यह सर्वे मध्य प्रदेश महिला बाल विकास विभाग ने 2021 में किया था।   

इस कवायद के पीछे सरकार का तर्क यह है कि नई व्यवस्था से खाद्यान्न की कालाबाजारी पर लगाम लगेगी। साथ ही आटा प्रोटीनयुक्त होने से महिलाओं-बच्चों में कुपोषण व खून की कमी जैसी समस्या कम होगी। आटा तैयार करने के लिए जिलों के क्लस्टर बनाकर टेंडर जारी किए जाएंगे।

फ्लोर मिलों को गेहूं व प्रोटीन-विटामिन खाद्य विभाग उपलब्ध कराएगा, जिसे फ्लोर मिल आटे में मिलाकर 5-5 किलो के पैकेट तैयार करेंगे। जिन जिलों में यह योजना लागू की जाएगी उनके नाम हैं- अनूपपुर, ग्वालियर, दमोह, मंडला, हरदा, मंदसौर, बैतूल, उज्जैन, छतरपुर, भोपाल, इंदौर, देवास, झाबुआ, छिंदवाड़ा धार, रीवा व सागर।

ध्यान रहे कि प्रदेश में पीडीएस में 29 लाख मीट्रिक टन गेहूं बांटा जाता है। आटा तैयार करने और बांटने में 10 रुपए प्रति किलो अतिरिक्त आर्थिक भार आने का अनुमान लगाया गया है। आटा बनाने वाली कंपनियों को आयरन, विटामिन-डी सहित अन्य पोषक तत्व मिलाने होंगे। इनकी व्यवस्था सरकार करेगी।

शुरू में सरकार ने इस पायलेट प्रोजेक्ट में केवल 6 जिलों को शामिल किया था लेकिन बाद में जनप्रतिनिधियों के दबाव के बाद अब 17 जिलों में इसे लागू किया जाएगा।