खान-पान

2020 में पहले से कहीं ज्यादा अमेरिकियों को नहीं मिला पर्याप्त भोजन, मध्य वर्ग पर पड़ी जबरदस्त मार

भोजन की कमी का सामने कर रहे अमेरिकियों का जो आंकड़ा 23 अप्रैल, 2020 तक साढ़े नौ फीसदी था

DTE Staff

झेंग तियान, स्टीफन जे गोएट्ज

कोरोना महामारी ने अमेरिका के मध्यम वर्गीय परिवारों को बुरी तरह प्रभावित किया है। जब इस महामारी ने अमेरिका में अपने पैर पसारने शुरु किए तो सालाना  50 हजार से 75 हजार डॉलर कमाने वाले मिडिल क्लास परिवारों ने बड़ी तेजी से खाद्य पदार्थों की कमी का अनुभव किया था, जिसका मतलब है कि पिछले केवल सात दिनों में इन परिवारों के पास खाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। यह जानकारी हाल ही में किए एक अध्ययन में सामने आई है जो जल्द ही जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स इकोनॉमिक्स में प्रकाशित होगा।

शोध में यह भी सामने आया है कि फूड बैंक, फूड पैंट्री और इस तरह की आपातकालीन सेवाओं ने 2020 के अंत तक, विशेष रूप से मध्यम आय वाले अमेरिकियों के लिए, खाद्य पदार्थों की कमी को पूरा करने मदद की थी। शोधकर्ताओं के अनुसार जब उन्होंने 23 अप्रैल, 2020 के बाद एकत्र किए गए जनगणना ब्यूरो के आंकड़ों का औसत निकाला, तो पता चला कि अमेरिका में सभी आय वर्गों के बीच खाद्य अपर्याप्तता की दर में वृद्धि हुई है।

इसमें कोई शक नहीं कि सालाना 50,000 डॉलर से कम कमाने वाले अमेरिकी परिवारों में खाद्य पदार्थों की कमी की सबसे ज्यादा सम्भावना है और यह बात महामारी के शुरुआती महीनों में सही भी साबित हुई थी। जब कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए स्कूल, कार्यालय और रेस्तरां जैसे स्थान कर दिए गए थे।

लेकिन अमेरिका में रह रहे वो परिवार जिनकी वार्षिक आय 75 हजार डॉलर से कम हैं उन सभी के लिए अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच खाद्य पदार्थों की कमी सम्बन्धी दरों में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई थी। जिन परिवारों की वार्षिक आय 50 हजार से 75 हजार डॉलर के बीच थी उनके बीच यह दर सबसे तेजी से करीब आधा फीसदी बढ़ी थी, जो 0.98 फीसदी से बढ़कर 1.48 पर पहुंच गई थी। हालांकि जिन परिवारों की आय 1.5 लाख डॉलर से ज्यादा थी उनमें खाद्य अपर्याप्तता  की दर में कोई खास बदलाव नहीं दर्ज किया गया है।

यही नहीं शोधकर्ताओं ने इस बात का भी अलग से अध्ययन किया है कि क्या जिन राज्यों में फूड बैंक और इस तरह की ज्यादा सेवाएं उपलब्ध थी वहां खाद्य पदार्थों की कमी के मामले में कोई फर्क पड़ा था। इस बारे में शोधकर्ताओं को पता चला है कि इन फूड बैंक ने खाद्य पदार्थों की कमी को प्रभावित किया है।  जिन राज्यों में प्रति 10 हजार लोगों पर इन संगठनों की संख्या सबसे ज्यादा थी, वहां कीमतों में तेजी से कमी आई थी। यह 50 से 75 हजार डॉलर कमाने वाले परिवारों के लिए मुख्य रूप से सही था।

क्यों मायने रखता है यह

जब महामारी का दौर शुरु हुआ तो इस बात की पूरी आशंका थी कि इसका असर खाद्य आपूर्ति पर पड़ेगा। साथ ही इस बात की भी पूरी सम्भावना थी कि इस महामारी के चलते पहले से कहीं ज्यादा लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। लॉकडाउन के बाद जब लाखों मजदूरों की छंटनी बहुत छोटे नोटिस के बाद कर दी गई तो वही हुआ जिसकी आशंका थी। लम्बी-लम्बी कतारों में भोजन सामग्री की प्रतीक्षा करते लोगों की सामने आई तस्वीरों ने इन आशंकाओं को और प्रबल कर दिया था।

इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता था, जब खाद्य पदार्थों की कमी का अनुभव करने वाले परिवारों की संख्या पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ गई थी। अमेरिकी कृषि विभाग ने पाया कि खाद्य असुरक्षा का जो आंकड़ा 23 अप्रैल, 2020 तक साढ़े नौ फीसदी था वो 21 दिसंबर, 2020 तक बढ़कर 13.4 फीसदी पर पहुंच गया था।

इसमें कोई शक नहीं कि इस स्थिति से निपटने में फूड बैंक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अमेरिका में खाद्य सुरक्षा के लिए काम कर रहे संगठन फीडिंग अमेरिका के अनुसार इन फूड बैंकों ने करीब 6 करोड़ अमेरिकियों को 2020 में आपातकालीन खाद्य सहायता प्रदान करने में मदद की थी।

वहीं मध्यम-आय वाले लोगों ने खाद्य बैंकों और इसी तरह के संगठनों से मदद ली थी क्योंकि उन्हें निम्न आय वाले लोगों की तुलना में सरकारी योजनाओं के बारे में बहुत कम जानकारी थी। उदाहरण के लिए हो सकता है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी कि सप्लीमेंटल न्यूट्रिशन असिस्टेंस प्रोग्राम में नाम कैसे दर्ज किया जाता है।

अभी भी काफी कुछ स्पष्ट होना है बाकी

हालांकि यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि सरकार द्वारा संचालित पोषण कार्यक्रमों की तुलना में खाद्य बैंक और उन जैसे संगठन कितने लागत प्रभावी हैं। चूंकि सप्लीमेंटल न्यूट्रिशन असिस्टेंस प्रोग्राम (स्नैप) खुदरा विक्रेताओं की एक विस्तृत श्रृंखला द्वारा स्वीकार किए गए एक विशेष प्रकार के डेबिट कार्ड के माध्यम से लाभ वितरित करता है, ऐसे में इस कार्यक्रम को चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त खर्चो की जरुरत पड़ती है।

क्या होगा अगला कदम

शोधकर्ताओं के अनुसार वो वर्तमान में खाद्य पदार्थों की कमी और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंधों की जांच कर रहे हैं। साथ ही वो यह भी जानने का प्रयास कर रहे हैं कि 2021 के अंत और 2022 में जब महामारी से सम्बंधित अल्पकालिक योजनाओं का वक्त पूरा हो जाएगा तो उसका खाद्य असुरक्षा की दर पर क्या असर पड़ सकता है। साथ ही शोधकर्ता उन अन्य कारकों की भी खोज कर रहे हैं जो अलग-अलग राज्यों में खाद्य पदार्थों की दर में कमी सम्बन्धी असमानता के लिए जिम्मेवार हो सकते हैं।

यह लेख क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंस के तहत द कन्वर्सेशन से लिया गया है।