खान-पान

आम अदरक: स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत का भी रखे ख्याल

साधारण भोजन को भी आम अदरक स्वादिष्ट बना सकता है

Vibha Varshney

आम अदरक (मैंगो जिंजर) का नाम सुनकर जेहन में आम और अदरक की तस्वीर उभरती है, लेकिन यह न तो आम है और न अदरक। हालांकि इसकी अद्भुत गांठें हूबहू अदरक की तरह होती हैं और इसका सुगंध व स्वाद कच्चे आम की तरह होता है। इसीलिए इसे आम अदरक नाम दिया गया है।

यह छिलके के अंदर भी अदरक की तरह ही सफेद होता है लेकिन अदरक के उलट, प्रकंद का केंद्र हल्के पीले रंग का होता है। यह प्रकंद हल्दी (करकुमा लोंगा) से संबंधित है। हल्दी की तरह ही आम अदरक (करकुमा अमादा) जिंजीबेरेसी परिवार से संबंधित है। भारत में करकुमा जीनस में हल्दी के बाद आम अदरक की सबसे अधिक खेती होती है।

करकुमा जीनस की दो ऐसी प्रजातियां हैं जिनमें आम की सुगंध होती है। माना जाता है कि इसकी एक प्रजाति करकुमा अमादा की उत्पत्ति भारत में हुई जबकि दूसरी प्रजाति करकुमा मैंगा इंडोनेशिया मूल का है। करकुमा अमादा को भारत की लगभग सभी स्थानीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह भारत में इसके लंबे प्रचलन का संकेत है।

हिंदी में आम हल्दी, मराठी में अम्बे हलाद, गुजराती में अम्बा हलदर और कन्नड़ में हुलियारासीना जैसे इसके नाम इसे हल्दी से जोड़ते हैं। ऐसा लगता है कि आम अदरक नाम मलयालम के मंगा इंची (मंगा यानी आम और इंची यानी अदरक है), तमिल में मनयायिंची और तेलुगू में मामिदी आलम नाम से लिया गया है। संस्कृत में इसे आम्रागंधी हरिद्रा कहते हैं। कहा जाता है कि प्रकंद का वैज्ञानिक नाम करकुमा अमादा इसके बंगाली नाम “अमा अडा” से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है “आम जैसा स्वाद”।

चिकित्सीय गुण

भारतीय चिकित्सा पद्धति में इस प्रकंद का व्यापक उपयोग किया जाता है। लोक चिकित्सा में इसको घाव भरने वाले गुणों से युक्त माना जाता है। चोट लगने या मोच आने पर इसे पीसकर लगाया जाता है। आधुनिक शोध ने भी इसके घाव भरने और एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव की पुष्टि की है। जब चूहों के घावों पर इसका एथेनॉलिक अर्क लगाया गया, तब उनके घाव अधिक तेजी से भरे। आम हल्दी के प्रभाव के ये निष्कर्ष 2015 में करंट ट्रेडिशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुए थे।

हल्दी के विपरीत, आम अदरक कैंसर के खिलाफ कितना प्रभावी है, इसकी अधिक जांच नहीं की गई है। हालांकि, जब तमिलनाडु के शोधकर्ताओं ने प्रकंद के मेथनॉल अर्क का परीक्षण किया, तब उन्होंने पाया कि अर्क ने गैर-कैंसर वाली स्तन कोशिका पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, स्तन कैंसर कोशिका के प्रति मजबूत साइटोटोक्सिसिटी दिखाई।

ये परिणाम सितंबर 2014 में एशियन पैसिफिक जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रकाशित हुए थे। अर्क का उपयोग उच्च वसा और उच्च चीनी से हुए मोटापे को कम करने के लिए भी किया जा सकता है।

आंध्र प्रदेश में चूहों पर किए गए अध्ययन ने संकेत दिया कि करकुमा अमादा के 300 मिलीग्राम/किलोग्राम के उपचार ने आहार प्रेरित मोटापा, स्मृति हानि, ऑक्सीडेटिव तनाव और न्यूरोडीजेनेरेशन को कम कर दिया। ये परिणाम मार्च 2021 में न्यूट्रिशन न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुए थे।

प्रकंद में लगभग 130 यौगिक हैं जिनमें एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी, एंटिफंगल और कीटनाशक गुण होते हैं। सीएसआईआर- मैसूर में केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने दिसंबर 2014 में जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में खाद्य उद्योगों द्वारा इसके उपयोग की जांच की। अध्ययन में प्रकंद को गेहूं के आटे मिलाया गया और सूप स्टिक्स बनाई गईं।

उन्होंने पाया कि गेहूं के आटे में 10 प्रतिशत प्रकंद मिलाने से पोषण संबंधी गुणों में सुधार हुआ। प्रकंद वाली स्टिक्स में नियंत्रण स्टिक्स की तुलना में कुल फाइबर(8.64 प्रतिशत) और एंटीऑक्सीडेंट (48.06 प्रतिशत) अधिक थे। कंट्रोल स्टिक्स में ये क्रमश: 3.31 और 26.83 प्रतिशत थे।

वैसे इतनी प्रोसेसिंग के बजाय ताजा या मामूली प्रसंस्करण के साथ इसको खाना एक बेहतर और स्वादिष्ट विकल्प है। प्रकंद भूख को बढ़ा सकता है। पारंपरिक व्यंजनों में प्रकंद का व्यापक उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए ओडिशा में इसे गोलगप्पे के साथ इस्तेमाल होने वाले मसालेदार पानी में मिलाया जाता है।

गुड़गांव स्थित खाद्य ब्लॉगर श्वेता मोहापात्रा, जो ओडिया खाने पर लिखतीं हैं, बतातीं है कि प्रकंद का उपयोग ओडिशा में खाने के अलग-अलग कोर्स के बीच में स्वाद सामान्य करने के लिए किया जाता है। इसके लिए इनको केवल छोटे टुकड़ों में काटकर नमक और नींबू के रस के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है।

पके हुए चावल को रातभर भिगोकर तैयार किए गए पखाल भात में दही, पिसा हुआ आम अदरक, मिर्च और नमक डालकर भी इसका उपयोग होता है। श्वेता ने डाउन टू अर्थ के साथ आम अदरक और टमाटर की मीठी और खट्टी चटनी की रेसिपी साझा की (देखें, रेसिपी)।

दिल्ली की एक खाद्य लेखिका चित्रा बालासुब्रमण्यम का कहना है कि इसके लाभ, लाजवाब स्वाद और आसान उपलब्धता के बावजूद सीमित उपयोग होता है। पारंपरिक व्यंजनों से अलावा इसका उपयोग ज्यादा नहीं किया जाता। वह कहती हैं कि लोग आसानी से प्रकंद का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि इसे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में कच्चा मिलाया जा सकता है। वैसे प्रकंद से तैयार कई उत्पाद जैसे चटनी, अचार और सूखे पाउडर अब विभिन्न ई-कॉमर्स साइटों पर आसानी से उपलब्ध हैं। इस प्रकंद की खेती ओडिशा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में की जाती है, लेकिन बिखरी हुई खेती के कारण क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकता के विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

अदरक के विपरीत आम अदरक बीमारियों से ग्रसित नहीं होती। इस पौधे की केवल जड़ का ही इस्तेमाल नहीं होता। आम अदरक का फूल सफेद या हल्का पीला होता है और इन्हें सजावट के काम लाया जाता है। अच्छी किस्म के फूल काटने के बाद भी 10 दिन तक जीवित रहते हैं।

व्यंजन

टमाटर की चटनी
  • पंच फोरन (समान मात्रा में मेथी, कलौंजी, जीरा, सरसों और सौंफ): 1 चम्मच
  • हरी मिर्च (चीरी हुई): 1-2
  • टमाटर (मध्यम आकार, पका हुआ): 5
  • गुड़: 3-4 बड़े चम्मच
  • आम अदरक (जूलिएन्ड): 1-1/2 इंच
  • सरसों का तेल: 2 चम्मच
  • नमक : स्वादानुसार
विधि : कड़ाही में तेल गरम करें और इसमें पंच फोरन डालें। जब ये चटकने लगें तो मिर्च और कटे हुए टमाटर डाल दें। अब आम अदरक डालें और टमाटर के नरम होने तक पकने दें। इसके बाद गुड़, नमक और आधा कप पानी डालकर टमाटर के गलने तक पकाते रहें। धनिया की पत्तियों से सजाकर इसका स्वाद लें।

पुस्तक

कुक ऐज यू आर
लेखक: रूबी तंदोह
प्रकाशक: सर्पेंट्स टेल
मूल्य: ££19.9

आखिरी मिनट की प्रेरणा से लेकर स्वादिष्ट भोजन तक, आसान वन-पॉट डिनर से लेकर नो-चॉप रेसिपी तक, इस पुस्तक में 100 स्वादिष्ट, सस्ती और आसानी से पकाने योग्य रेसिपी का समावेश किया गया है। इनमें नमकीन माल्टेड मैजिक आइसक्रीम, वन-टिन, नींबू सार्डिन आदि व्यंजन शामिल हैं।