हाल ही में 116 देशों के लिए जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 101वें पायदान पर रखा गया है, जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि देश में भुखमरी की स्थिति कितनी गंभीर है। स्थिति यह है कि भारत अपने पडोसी देश पाकिस्तान (92), बांग्लादेश (76) और नेपाल (76) से भी पीछे है। गौरतलब है कि 2020 के लिए जारी हंगर इंडेक्स में भारत को 94वें स्थान पर रखा गया था। यह इंडेक्स 14 अक्टूबर, 2021 को कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ़ द्वारा प्रकाशित किया गया था।
यदि इस इंडेक्स को देखे तो जहां 2020 की तुलना में बाल मृत्यु दर के मामले में 2021 के दौरान देश की स्थिति में सुधार आया है। वहीं चाइल्ड वेस्टिंग और चाइल्ड स्टंटिंग के मामले में स्थति जस की तस बनी हुई है।
इस इंडेक्स में केवल 15 देशों की स्थिति भारत से बदतर बताई गई है। इनमें पापुआ न्यू गिनी (102), अफगानिस्तान (103), नाइजीरिया (103), कांगो (105), मोजाम्बिक (106), सिएरा लियोन (106), तिमोर-लेस्ते (108), हैती (109), लाइबेरिया (110) शामिल हैं। वहीं मेडागास्कर (111), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (112), चाड (113), मध्य अफ्रीकी गणराज्य (114), यमन (115) और सोमालिया को सबसे अंतिम 116 वें पायदान पर रखा गया है।
सरकार ने इंडेक्स पर उठाए सवाल, कहा अवैज्ञानिक तरीके से किया गया आंकलन
हालांकि देश में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए टिपण्णी की है कि “यह चौंकाने वाला है कि ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुमानों के आधार पर भारत को निचले पायदान पर स्थान दिया है, जो तथ्यात्मक आधार के बजाय एक गंभीर प्रणालीगत समस्या है। वर्ल्ड हंगर रिपोर्ट को प्रकाशित करने से पहले पब्लिशिंग हाउस कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ़ ने सही काम नहीं किया है।"
सरकार के अनुसार एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विधि अवैज्ञानिक है। उन्होंने गैलप द्वारा फोन पर किए गए 'फोर क्वेश्चन' पोल के परिणामों का मूल्यांकन किया है। इस अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति भोजन की उपलब्धता जैसे कुपोषण को मापने के लिए किसी वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग नहीं किया गया है। जबकि कुपोषण की माप के लिए वजन और ऊंचाई सम्बन्धी माप की आवश्यकता होती है, यहां शामिल विधि पूरी तरह से आबादी के एक टेलीफोन अनुमान, गैलप पोल पर आधारित है।
यही नहीं इस रिपोर्ट में कोविड काल के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों को पूरी तरह से नज़रअंदाज किया गया है, जिस पर सत्यापित आंकड़े उपलब्ध हैं। सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं के पास ऐसा कोई प्रश्न नहीं था कि उन्हें सरकार या अन्य स्रोतों से क्या खाद्य सहायता मिली या नहीं। इस पोल में प्रतिनिधित्व भारत और अन्य देशों के लिए भी संदिग्ध है।
इससे पहले ऑक्सफेम द्वारा जारी रिपोर्ट द हंगर वायरस मल्टीप्लाइज में भी वैश्विक स्तर पर भुखमरी की समस्या पर चिंता जताई थी, जिसके अनुसार दुनिया भर में हर मिनट करीब 11 लोग भूख के कारण दम तोड़ रहे हैं। करीब 15.5 करोड़ लोग गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में भी भारत को एक हंगर हॉटस्पॉट के रूप में प्रदर्शित किया गया है। यदि 2020 के आंकड़ों को देखें तो भारत में करीब 19 करोड़ लोगो कुपोषण का शिकार हैं। वहीं पांच वर्ष से कम उम्र के करीब एक तिहाई बच्चों का विकास ठीक से नहीं हो रहा है।
दुःख की बात तो यह है जहां एक तरफ सरकार इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं है वहीं लोग भी अपनी आदतों में बदलाव नहीं कर रहे हैं। अनुमान है कि देश में हर व्यक्ति प्रतिवर्ष करीब 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है, जबकि विडम्बना देखिए की 18.9 करोड़ लोगों (14 फीसदी आबादी) को आज भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ‘फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021’ के अनुसार भारत में हर वर्ष करीब 6.88 करोड़ टन भोजन बर्बाद कर दिया जाता है।
इस बर्बादी को रोकना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस इसके लिए हमें अपनी आदत बदलनी होगी। अपनी प्लेट में उतना ही भोजन लें जितना हम खा सकते हैं। उतना ही खरीदें जितना हमारे लिए पर्याप्त है। बेवजह खाद्य पदार्थों को जमा करना बंद कर दें। भोजन के महत्त्व को समझें। यह इंसान के लिए सबसे जरुरी चीजों में से एक है। अगली बार जब भी अपनी थाली में खाना बाकी छोड़ें तो इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं इसी खाने की वजह से कोई भूखा सोने को मजबूर है।