खान-पान

पोषण ट्रैकर ऐप को क्षेत्रीय भाषाओं में अपडेट करने तक नहीं बंद होनी चाहिए खाद्य आपूर्ति: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र में आंगनवाड़ी केंद्रों को खाद्यान्न आवंटन पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन के कामकाज और उपयोग के आधार पर नहीं रोका जाना चाहिए

Susan Chacko, Lalit Maurya

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 5 जुलाई, 2022 को दिए अपने आदेश में आंगनवाड़ी केंद्रों को 'अंतरिम राहत' देते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र में आंगनवाड़ी केंद्रों को खाद्यान्न का आवंटन “पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन के कामकाज और उपयोग के आधार पर” नहीं रोका जाना चाहिए।

इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है कि तीन महीने के भीतर सॉफ्टवेयर में क्षेत्रीय भाषाओं के विकल्प सक्रिय हो जाने चाहिए। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति ए के मेनन और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ महाराष्ट्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के खिलाफ अंग्रेजी भाषा में पोषण ट्रैकर ऐप में विवरण भरने में विफलता के लिए कार्रवाई के संबंध में आंगनवाड़ी कर्मचारी संगठन और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

वहीं महाराष्ट्र राज्य के सहायक सरकारी वकील ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि पोषण ट्रैकर ऐप में मराठी भाषा में आधार से जुड़े डेटा की प्रविष्टि के लिए कोई विकल्प नहीं है। गौरतलब है कि यह याचिकाएं और उच्च न्यायालय का आदेश महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 15 जून, 2022 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र के जवाब में था।

इस पत्र में उन्हें कहा गया था कि पोषण आहार योजना (एसएनपी) के तहत धन का आबंटन और  गेहूँ आधारित पोषण कार्यक्रम (डब्लूबीएनपी) के तहत खाद्यान्न चालू वित्त वर्ष से पोषण ट्रैकर में उपलब्ध आधार प्रमाणित लाभार्थियों की संख्या के आधार पर होगा।  

इसके साथ ही राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि पोषण ट्रैकर में लाभार्थियों के आधार सम्बन्धी आंकड़ों की सीडिंग 15 जुलाई 2022 तक पूरी हो जानी चाहिए। हालांकि विकल्प में मराठी भाषा के न होने के कारण आधार सीडिंग का काम अभी तक नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि अन्य राज्यों ने भी इस कमी के बारे में अधिकारियों को सूचित किया है।

सरकारी आंकड़े के अनुसार पांच साल से कम उम्र के सिर्फ 23 फीसदी बच्चों के पास आधार है। कई राज्यों में सत्यापन का काम चल रहा है और कई राज्यों में कहा गया है कि जुलाई के अंत तक यदि आधार कार्ड नहीं बना तो भोजन नहीं मिलेगा। 

साल नदी में सीवेज नहीं डाल रहा सेरेस होटल: समिति रिपोर्ट

एनजीटी के आदेश पर गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि सेरेस होटल (द लीला गोवा) साल नदी में सीवेज नहीं डाल रहा है। यह होटल गोवा के सालसेटे में है। समिति ने इस साइट की जांच के बाद रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि घरेलू सीवेज के उपचार के लिए इस होटल में 500 केएलडी का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है।

पता चला है कि इससे निकले उपचारित पानी का उपयोग बागवानी के लिए किया जाता है। रिपोर्ट में कहा है कि गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संचालन की शर्तों के तहत यूनिट ने लैगून से ह्यूम पाइप के जरिए साल नदी में बहते पानी की गुणवत्ता की निरंतर निगरानी के लिए ऑनलाइन जल गुणवत्ता निगरानी प्रणाली भी स्थापित की है। लैगून में भी सीवेज की कोई पाइपलाइन नहीं जुड़ी थी।

नागपुर में चल रहा है अवैध खनन का खेल: समिति रिपोर्ट

समिति ने अपनी रिपोर्ट में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को जानकारी दी है कि नागपुर में अवैध खनन जारी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महाराष्ट्र में नागपुर की परसेनी तालुका के सहोली रेती घाट पर दौरे के दौरान रेत का होता अवैध खनन देखा गया था। 

इसी तरह सौनेर तालुका के गोसेवाड़ी रेती घाट में भी गैरकानूनी तरीके से 0.5 मीटर की गहराई से ज्यादा रेत का खनन किया है। इसके साथ ही समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह खनन मैनुअल तरीके से नहीं किया गया बल्कि इसके लिए पोक्लेन/ जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया गया है, क्योंकि साइट पर मशीन के पहियों के निशान पाए गए हैं।

वहीं खनन में भी मशीन के निशान मिले हैं। वहां से बड़ी मात्रा में रेत खनन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह मुमकिन नहीं की 10 दिनों के भीतर 7.42 लाख क्यूबिक फीट रेत का खनन मैनुअल तरीके से किया जा सके। यह स्पष्ट तौर पर पर्यावरण मंजूरी की शर्तों के खिलाफ है।    

यह मामला नागपुर जिला प्राधिकरण के खिलाफ बिना बहाली योजनाओं के रेत खनन गतिविधियों को करने के लिए निविदा आमंत्रित करने के आरोपों के बारे में था। जिसकी वजह से कन्हान नदी के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा था।