खान-पान

गेहूं-मक्के की कीमतों में गिरावट के चलते 35 महीनों के निचले स्तर पर पहुंचा खाद्य मूल्य सूचकांक

आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज का उत्पादन भी बढ़कर 152.3 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है

Lalit Maurya

वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में गिरावट का जो सिलसिला पिछले साल शुरू हुआ था वो जनवरी 2024 में भी जारी रहा। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक गेहूं-मक्के के साथ-साथ मांस की कीमतों में आई गिरावट के चलते वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक (फूड प्राइस इंडेक्स) में जनवरी 2024 के दौरान भी गिरावट दर्ज की गई। 

हालांकि इस दौरान वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में उछाल जरूर देखा गया, लेकिन अनाज और मांस की कीमतों में आई गिरावट ने उसकी भरपाई कर दी है। 

खाद्य कीमतों में आई गिरावट का ही नतीजा है कि जनवरी 2024 में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक करीब तीन वर्षों के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि यह सूचकांक वैश्विक स्तर पर जिन खाद्य पदार्थों का सबसे ज्यादा व्यापार किया जाता है उनकों ट्रैक करता है।

आंकड़ों की मानें तो जनवरी 2024 में खाद्य मूल्य सूचकांक 118 अंक रिकॉर्ड किया गया, जो पिछले महीने दिसंबर 2023 में 119.1 अंक दर्ज किया गया था। मतलब की यह पिछले महीने के मुकाबले जनवरी में करीब एक फीसदी कम रहा। वहीं यदि पिछले साल जनवरी 2023 से इसकी तुलना करें तो इस साल जनवरी में सूचकांक 10.4 फीसदी कम रहा।

बता दें कि पिछले 35 महीनों में यह सूचकांक कभी भी इतना नीचे नहीं गया। इससे पहले फरवरी 2021 में सूचकांक 116.5 अंक दर्ज किया गया।

एफएओ ने जो अपडेट जारी किए हैं उनके मुताबिक अनाज मूल्य सूचकांक पिछले महीने की तुलना में 2.2 फीसदी नीचे चला गया है। गौरतलब है कि जहां दिसंबर 2023 में यह इंडेक्स 122.8 अंक दर्ज किया गया था वो जनवरी 2024 में घटकर 120.1 अंक पर पहुंच गया है।

सरल शब्दों में कहें तो जनवरी में गेहूं की कीमतों में गिरावट देखी गई है, क्योंकि दक्षिण के देशों से आपूर्ति बढ़ी है, जिसकी वजह से अंतराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। अच्छी पैदावार से मक्के की कीमतों में गिरावट आई है, खासकर अर्जेंटीना और अमेरिका में इसकी अच्छी पैदावार हुई है, जिससे आपूर्ति बढ़ी है।

हालांकि वहीं दूसरी तरफ जनवरी में चावल की कीमतों में 1.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि थाईलैंड और पाकिस्तान से अच्छी गुणवत्ता वाले चावल की मांग बढ़ी है और इंडोनेशिया ने भी अधिक चावल खरीदा है। 

वहीं यदि वनस्पति तेल के लिए जारी सूचकांक की बात करें तो दिसंबर की तुलना में इसमें 0.1 फीसदी की मामूली वृद्धि हुई है। हालांकि यह अभी भी पिछले साल की तुलना में 12.8 फीसदी कम है। यह बदलाव वैश्विक स्तर पर पाम और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में आई मामूली बढ़ोतरी के कारण है।

वहीं डेयरी मूल्य सूचकांक को देखें तो वो करीब-करीब दिसंबर जितना ही रहा, हालांकि वो एक साल पहले की तुलना में 17.8 फीसदी कम था। जनवरी में, एशिया से अधिक मांग के चलते मक्खन और दूध की कीमतों में वृद्धि हुई है। वहीं यदि मांस की बात करें तो सूचकांक लगातार सातवें महीने नीचे गया है। इसमें दिसंबर की तुलना में 1.4 फीसदी की गिरावट देखी गई है। वहीं चीनी की कीमतों में वृद्धि हुई है। इसके लिए जारी सूचकांक पिछले महीने की तुलना में 0.8 फीसदी बढ़ गया है।

2023 में अनाज का दर्ज किया गया रिकॉर्ड उत्पादन

अनुमान है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर अनाज उत्पादन भी 283.6 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। देखा जाए तो यह 2022 की तुलना में 1.2 फीसदी की वृद्धि को दर्शाती है।

इसी तरह मोटे अनाज के वैश्विक उत्पादन भी बढ़कर 152.3 करोड़ टन के अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। अनुमान है कि इसमें 1.2 करोड़ टन की बढ़ोतरी हुई है। अनुमान है कि यह वृद्धि कनाडा, चीन, तुर्की और अमेरिका के चलते हुई है। इन देशों में अपेक्षा से अधिक पैदावार हुई है। मक्के का भी अपेक्षा से कहीं ज्यादा उत्पादन हुआ है।

अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 2023/24 के लिए अनाज का उपयोग बढ़कर 282.2 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। जो दिसंबर के पूर्वानुमान से 89 लाख टन अधिक है। देखा जाए तो यह 2022/23 के स्तर से 1.2 फीसदी अधिक है।

आंकड़ों के मुताबिक 2023/24 में वैश्विक तौर पर होता अनाज व्यापार 48 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल की तुलना में 0.8 फीसदी अधिक है। यह वृद्धि मुख्य तौर पर मोटे अनाज के बढ़ते व्यापार के चलते देखी गई है। वहीं दूसरी तरफ गेहूं और चावल के वैश्विक व्यापार में कमी आ सकती है।