खान-पान

गोदामों में जमा है बफर स्टॉक से दोगुना ज्यादा अनाज, खराब हुआ 1150 टन

31 जुलाई 2019 तक अनाज गोदामों में 711 मिलियन टन अनाज भरा हुआ था, जो तय नियमों से लगभग दोगुणा अधिक है

Raju Sajwan

देश में खाद्यान्नों की खरीद कर जमा करने वाली केंद्र सरकार की एजेंसी भारतीय खाद्य निगम इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है। खाद्य निगम के गोदाम तय नियम से लगभग दोगुणा अधिक भरे हुए हैं। ऐसे में, अक्टूबर से शुरू होने वाली चावल की खरीद के बाद हालात बिगड़ सकते हैं। वहीं, सरकार ने बताया है कि पिछले एक साल के दौरान भंडारण में जमा 1150 टन अनाज खराब हो गया है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अलग-अलग सीजन के लिए खाद्यान्नों का भंडारण नियम, जिसे बफर नॉर्म्स कहा जाता है बनाया हुआ है। इस नियम के मुताबिक, एफसीआई के पास 1 जुलाई को अधिकतम 411.20 मिलियन टन स्टॉक होना चाहिए, लेकिन 14 अगस्त 2019 को खाद्य एवं जन वितरण विभाग द्वारा जारी एक बुलेटिन में बताया गया है कि केंद्रीय पूल में 31 जुलाई तक 711.18 मिलियन (71.11 करोड़) टन अनाज स्टॉक में है। यानी कि तय नियम से लगभग दोगुणा अधिक अनाज एफसीआई के पास जमा है।

यह आंकड़े भारतीय खाद्य निगम के योजना एवं अनुसंधान विभाग के हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, कुल जमा अनाज में 275.30 मिलियन टन चावल और  435.88 मिलियन टन गेहूं शामिल हैं।

सबसे अधिक अनाज 253.89 मिलियन टन पंजाब के गोदामों में हैं। इसके बाद हरियाणा के गोदामों में 131.63 मिलियन टन, फिर मध्य प्रदेश में 94.75 मिलियन टन जमा है। एफसीआई, हरियाणा के एक अधिकारी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उनके गोदामों में ज्यादातर गेहूं जमा है। यह कवर्ड गोदाम में तो है ही, बल्कि बाहर खुले (कैप) में भी रखा गया है। अब अक्टूबर में चावल की खरीद शुरू हो जाएगी, चावल को खुले में नहीं रखा जाता, लेकिन अब तक यह इस पर विचार नहीं किया गया है कि चावल कहां रखा जाएगा? ऐसी स्थिति में आने पर सबसे पहले गोदामों में बाहर रखे गेहूं को हटाया जाता है, इसके बाद अंदर (कवर्ड) में रखे गेहूं को बाहर रखा जाता है और अंदर चावल रखा जाता है।  

एफसीआई अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों के मुकाबले यह पहली बार हो रहा है कि इतना अनाज स्टॉक में पड़ा है। एफसीआई के आंकड़े बताते हैं कि 1 जुलाई 2016 को केंद्रीय पूल में 495.95 मिलियन टन अनाज जमा था, जो 1 जुलाई 2017 में यह 533.19 मिलियन रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह 1 जुलाई 2018 में यह 650.53 मिलियन टन और 1 जुलाई 2019 को 742.52 मिलियन टन पहुंच गया।

एफसीआई के डॉक्यूमेंट के मुताबिक, स्टॉक के जो नियम तय किए गए हैं, उनमें 1 अप्रैल को 210.40 मिलियन टन, 1 जुलाई को 411.20 मिलियन टन, 1 अक्टूबर को 307.20 मिलियन टन और 1 जनवरी को 214.10 मिलियन टन होनी चाहिए। इसमें 20 मिलियन टन चावल और 30 मिलियन टन गेहूं को रणनीतिक (स्ट्रेटिजिक) रिजर्व के तौर पर रखा जाता है, ताकि आपात स्थिति में यह काम आ सके। लेकिन एफसीआई में जो अनाज पड़ा है, वह इस रिजर्व से कहीं अधिक है।

बफर स्टॉक से ज्यादा अनाज जमा होने की एक वजह यह है कि सरकारी एजेंसियों से होने वाली ओपन सेल में कमी आई है। इस स्कीम को ओपन मार्केट सेल स्कीम (डोमेस्टिक) कहा जाता है। एफसीआई के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2019 में 19 लाख 30 हजार टन गेहूं और 1 लाख 8 हजार टन चावल ओपन मार्केट में बिका था। इसी तरह फरवरी में 14 लाख 10 हजार टन गेहूं, 1 लाख 14 हजार टन चावल और मार्च 2019 में 5 लाख 20 हजार टन गेहूं और 1 लाख 14 हजार टन चावल खरीदा गया। लेकिन इसके बाद अचानक मई, जून और जुलाई में इसमें काफी कमी आ गई। मई 2019 में गेहूं 55,100 टन गेहूं और 1 लाख 7 हजार टन चावल, जून में 35,900 टन गेहूं और 1 लाख 11 हजार टन चावल खरीदा गया। जुलाई में गेहूं की बिक्री में थोड़ा सुधार हुआ और 93 हजार 700 टन गेहूं खरीदा गया, लेकिन इस महीने चावल की खरीद में गिरावट हुई और मात्र 34 हजार 180 टन चावल ही खरीदा गया।

ऐसे में, सवाल उठता है कि क्या एफसीआई में रखा यह अनाज सुरक्षित है? एफसीआई के इसी बुलेटिन में दी गई जानकारी के मुताबकि जून 2019 में भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार की एजेंसियों की भंडारण क्षमता 878.55 मिलियन टन है, लेकिन इसमें से 133.55 मिलियन टन कैप (खुले) की है। इसके अलावा एफसीआई की कुल भंडारण क्षमता 407.31 मिलियन टन है। मजेदार बात यह है कि सबसे अधिक अनाज पंजाब 253.89 मिलियन टन में है, जहां की भंडारण क्षमता 234.51 मिलियन टन बताई गई है। ऐसे में, यह सवाल लाजिमी है कि लगभग 20 मिलियन टन अनाज कहां रखा गया है? इतना ही नहीं, पंजाब में 75.60 मिलियन टन अनाज खुले (कैप) में रखा गया है। यह अनाज कितना सुरक्षित रहने वाला है, यह वक्त बताएगा।

इसी तरह हरियाणा, जहां गोदामों (केंद्रीय व राज्य एजेंसियों) में 131.63 मिलियन टन जमा बताया जा रहा है, वहां की कुल भंडारण क्षमता 127.60 मिलियन टन बताई गई है। यहां भी लगभग 4 मिलियन टन अनाज कहां रखा गया है, यह समझ से परे हैं। इस कृषि प्रधान राज्य में भी 32.87 मिलियन टन भंडारण क्षमता कैप (खुले) की बताई गई है।

हालांकि एफसीआई दावा करता रहा है कि कैप में रखा अनाज खराब नहीं होता है, लेकिन आंधी, बारिश और कभी कभी आग के कारण हर साल अनाज खराब हो जाता है। ऐसा ही एक सवाल 16 जुलाई 2019 को लोकसभा में पूछा गया। दो सदस्यों वीके श्रीकंदन और राजेंद्र अग्रवाल ने सवाल किया कि क्या सरकार को जानकारी है कि एफसीआई के कई गोदामों में सड़े हुए खाद्यान्नों को कई वर्षों से एक ही जगह पर भंडारण किया जाता है? इसके जवाब में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री दानवे रावसाहेब दादाराव ने बताया कि केंद्रीय पूल के लिए खरीदे गए व भारतीय खाद्य निगम में उपलब्ध खाद्यान्नों का भंडारण वैज्ञानिक तरीके से कवर्ड गोदामों में कीटनाशकों के उपचार के साथ किया जाता है। सभी सावधानियों के बावजूद खाद्यान्नों की कुछ मात्रा विभिन्न कारणों जैसे प्राकृतिक आपदा, ढुलाई के दौरान नुकसान के कारण जारी न करने योग्य हो जाती है। भारतीय खाद्य निगम में रखे हुए 1165 टन क्षतिग्रस्त (खराब) में से केवल 15 टन खाद्यान्न एक वर्ष पुराना है और 1150 टन खाद्यान्न एक वर्ष से कम पुराना है।

हालांकि सरकार के जवाब में बेहद सावधानी बरती गई है, लेकिन यह मान लिया गया है कि एक साल के दौरान लगभग 1150 टन खाद्यान्न खराब हो गया। अब यह वक्त बताएगा कि अक्टूबर में खरीफ सीजन की खरीददारी शुरू होने के बाद भंडारण की वजह से कितना अनाज खराब होने वाला है?

दिलचस्प बात यह है कि भंडारण को लेकर मोदी सरकार पिछले कार्यकाल में अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है और 2017 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के तहत 100 लाख टन क्षमता के स्टील साइलो के निर्माण का लक्ष्य रखा था, लेकिन 31 मई 2019 तक सरकार केवल 6.75 लाख टन क्षमता के स्टील साइलों का ही निर्माण कर पाई है, जिसमें मध्य प्रदेश में 4.5 लाख टन और पंजाब में 2.25 लाख टन स्टील साइलो बन पाए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दिशा में कितनी तेजी से काम किया जा रहा है।