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कुपोषण से निपटने के लिए अहम है बायोफोर्टिफाइड चावल: वैज्ञानिक

Dayanidhi

विटामिन बी1 मनुष्य के लिए एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है। इसकी कमी की वजह से तंत्रिका और हृदय प्रणाली के कई रोग हो सकते हैं। अब जिनेवा विश्वविद्यालय (यूएनआईजीई), ईटीएच ज्यूरिख और ताइवान के नेशनल चुंग हिंग यूनिवर्सिटी (एनसीएचयू) के शोधकर्ताओं ने मिलकर, चावल से संबंधित आहार से जुड़ी विटामिन बी1 की कमी के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है।

शोध में कहा गया है कि चावल के दाने के पौष्टिक ऊतकों को, वैज्ञानिकों ने कृषि उपज से समझौता किए बिना, इसकी विटामिन बी1 सामग्री को बढ़ाने में सफलता हासिल की है। इसकी मदद से उन क्षेत्रों में सफलता हासिल की जा सकती है जहां कुपोषण सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या है और जहां चावल मुख्य रूप से खाया जाता है।

हम जानते हैं कि अधिकांश विटामिन मनुष्य शरीर द्वारा उत्पादित नहीं किए जा सकते हैं और उनकी आपूर्ति आहार के द्वारा पूरी की जाती है। जब भोजन में अलग-अलग तरह की चीजें शामिल होती है, तो विटामिन की आवश्यकताएं आम तौर पर पूरी हो जाती हैं।

लेकिन ऐसी आबादी भी है जहां चावल जैसे अनाज मुख्य या यहां तक कि एकमात्र भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है, वहां विटामिन की कमी आम है। यह विशेष रूप से विटामिन बी1 (थियामिन) के लिए सही बैठता है, जिसकी कमी से बेरीबेरी जैसी कई तंत्रिका और हृदय संबंधी बीमारियां होती हैं

धान के प्रसंस्करण के दौरान चावल में विटामिन बी1 नष्ट हो जाता है। चावल दुनिया की आधी आबादी के लिए मुख्य भोजन है, खासकर एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय देशों में इसका उपयोग प्रमुख रूप से किया जाता है।

चावल के दानों में विटामिन बी1 कम होता है और पॉलिशिंग जैसे प्रसंस्करण कदम इसे और भी कम कर देते हैं, जिसके कारण 90 प्रतिशत तक इसकी कमी हो जाती है। इस प्रकार यह तरीका पुरानी कमियों को और बढ़ा देता है।

प्लांट बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि यूएनआईजीई के शोधकर्ता पौधों में विटामिन जैवसंश्लेषण और नष्ट करने वाले रास्तों की पहचान करने में माहिर हैं।

शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं की एक टीम ने चावल के एंडोस्पर्म में विटामिन बी1 सामग्री में सुधार करने पर गौर किया, यानी पौष्टिक ऊतक जो बीज का बड़ा हिस्सा बनाते हैं और इसलिए जो खाया जाता है।

दूसरी टीम द्वारा बायोफोर्टिफिकेशन के पिछले प्रयासों से पत्तियों और चोकर, जो कि चावल के दानों की बाहरी परत है, इसमें विटामिन बी1 की मात्रा को बढ़ाने में सफलता मिली थी, लेकिन खाने के लिए तैयार चावल के दानों में इसका अभाव पाया गया।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा, विशेष रूप से एंडोस्पर्म में विटामिन बी1 सामग्री में वृद्धि करने पर गौर किया गया।

वैज्ञानिकों ने चावल की पंक्तियां या लाइन उत्पन्न कीं जो एक जीन को उजागर करती हैं जो एंडोस्पर्म ऊतकों में नियंत्रित तरीके से विटामिन बी1 को अलग करती है।

शोधकर्ताओं द्वारा इसे कांच के घरों में उगाया गया, धान के दानों को अलग करने और पॉलिश करने के बाद, उन्होंने पाया कि इन पंक्तियों से चावल के दानों में विटामिन बी1 की मात्रा बढ़ गई।

प्रायोगिक फसलों में विटामिन का बढ़ा हुआ स्तर पाया गया

शोध में कहा गया कि फिर धान की इन पंक्तियों को ताइवान के एक प्रायोगिक क्षेत्र में बोया गया और कई वर्षों तक उगाया गया। कृषि विज्ञान के दृष्टिकोण से, विश्लेषण की गई विशेषताएं संशोधित और असंशोधित दोनों धान के पौधों के लिए समान थीं।

शोध का मुताबिक, पौधे की ऊंचाई, प्रति पौधे तनों की संख्या, अनाज का वजन और उर्वरता सभी तुलना करने योग्य थे। दूसरी ओर, चावल के दानों में विटामिन बी1 का स्तर, पॉलिशिंग चरण के बाद, संशोधित पंक्तियों में तीन से चार गुना बढ़ जाता है।

इसलिए यह संशोधन उपज को प्रभावित किए बिना विटामिन बी1 के बने रहने को सक्षम बनाता है।

इस प्रकार के अधिकांश अध्ययन कांच के घर में उगाई गई फसलों के साथ किए जाते हैं। शोधकर्ता ने शोध के हवाले से बताया कि वास्तविक क्षेत्र की स्थितियों के तहत धान की पंक्तियों को विकसित करने में सक्षम हैं, कि संशोधित जीन को उजागर करना किसी भी कृषि संबंधी विशेषताओं को प्रभावित किए बिना समय के साथ स्थिर है, बहुत आशाजनक है।

शोध में शोधकर्ता ने बताया कि धान की इस फसल से प्राप्त 300 ग्राम चावल से एक वयस्क व्यक्ति के लिए विटामिन बी1 के रोजमर्रा के सेवन का लगभग एक तिहाई हिस्सा मिल जाता है। शोध के मुताबिक, विटामिन बी1 वाले बायोफोर्टिफाइड पौधों के लक्ष्य की दिशा में अगला कदम व्यावसायिक किस्मों में इस नजरिए को आगे बढ़ाना है।

शोध के हवाले से शोधकर्ता ने कहा हालांकि, इन पौधों की खेती से पहले जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा बायोफोर्टिफिकेशन से संबंधित नियामक कदम उठाने होंगे।