बिहार में लॉक डाउन शुरू हुए 26 दिन बीत चुके हैं। राज्य में 22 मार्च को ही लॉक डाउन की घोषणा हो गई थी, उस घोषणा के साथ राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि इस अवधि में किसी को खाने की समस्या न हो, इसलिये हम लोग सभी राशनकार्ड धरियों को एक महीने का मुफ्त अनाज उपलब्ध कराएंगे। इसके तहत चावल और गेहूं के साथ-साथ एक किलो दाल भी बंटने की बात थी। बाद में इसे बढ़ा कर तीन महीने का राशन मुफ्त देने की बात कही गयी। फिर यह भी कहा गया कि जिनके राशनकार्ड नहीं बने हैं, उन्हें भी अलग से फ्री राशन मिलेगा। मगर आज उस बात के 26 दिन बीतने पर भी राज्य के बड़ी संख्या में राशनकार्ड धारी मुफ्त राशन से वंचित हैं।
11 अप्रैल से शुरू हुआ मुफ्त राशन का बंटना
राज्य में इस घोषणा के 20 दिन बाद 11 अप्रैल से खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा राशन का वितरण शुरू हुआ, जो 17 अप्रैल तक बहुत कम जगहों पर ठीक से हो पाया है। शिवहर और सीतामढ़ी जिले में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता नागेंद्र प्रसाद कहते हैं कि शिवहर में प्रयोग के तौर पर हर प्रखंड में एक पंचायत में इसकी शुरुआत की गई है। इसी तरह सीतामढ़ी जिले के एक तिहाई पंचायतों में ही मुफ्त वाले राशन के वितरण की शुरुआत हुई है। खुद विभाग ने 13 तारीख को अपडेट किया था कि अब तक 9 फीसदी इलाकों में ही मुफ्त राशन बंटा है।
इस योजना के तहत सभी परिवारों को 3 किलो चावल, 2 किलो गेंहू और 1 किलो चना या मसूर की दाल का वितरण होना है। मगर अभी जहां इसका वितरण हो रहा है, वहाँ सिर्फ चावल ही बंट रहा है। राज्य के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ओएसडी संगीता सिंह ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि गुजरात से दाल की खरीद होने के बाद आज वहां से दाल निकल चुकी है, तीन से चार दिन में इसके बिहार पहुंचकर वितरण शुरू होने की संभावना है।
सरकार की योजना है कि राज्य के ऐसे सभी जरूरतमंद परिवारों को भी यह मुफ्त का राशन उपलब्ध कराना है जिनके पास राशनकार्ड नहीं हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे तमाम लोगों को 30 अप्रैल तक हर हाल में मुफ्त का राशन उपलब्ध कराया जाएगा। दरभंगा जिले के मनीगाछी से शिवम कहते हैं कि उन्हें ऐसा आश्वासन उनके राशन डीलर ने दिया है।
इस बीच जाने माने सामाजिक अर्थशास्त्री
ज्यां द्रेज और एनएपीएम, बिहार के आशीष रंजन, महेंद्र यादव और कामायनी ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर सलाह दे चुके हैं कि वे केंद्र से अपने हिस्से के 20 लाख टन अतिरिक्त राशन की मांग करें। क्योंकि अभी राज्य को 2011 की जनगणना के हिसाब से ही खाद्यान्न का कोटा मिल रहा है।
उन्होंने यह भी कहा है कि राज्य की गरीब आबादी को इस आपदा के वक़्त लम्बे समय तक राशन की मदद करनी होगी, ऐसे में बिहार को अपने हिस्से के इस राशन से काफी मदद मिलेगी। वैसे भी 1 मार्च 2020 तक केंद्र सरकार के पास 800 लाख टन अतिरिक खाद्यान्न पड़ा था।
एक अनुमान के मुताबिक बिहार 13 करोड़ से अधिक की आबादी वाला राज्य है। राज्य में 1.68 करोड़ राशनकार्ड धारी परिवार हैं और लाभुकों की कुल संख्या 8.65 करोड़ है। इस तरह राज्य की अमूमन 4.5 करोड़ आबादी जनवितरण व्यवस्था से बाहर है। राशनकार्ड को आधार से नहीं जोड़े जाने की वजह से भी कई लोग राशन से वंचित हैं।
राज्य की सिर्फ 11.9 फीसदी आबादी नियमित रोजगार से जुड़ी है। ऐसे में इस वक़्त मुफ्त राशन की राज्य के लोगों को बड़ी जरूरत है। मगर लॉक डाउन के दूसरे चरण के भी तीन दिन बीत चुके हैं। यह व्यवस्था पटरी पर आई नजर नहीं आती।