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बजट का इतिहास

Bhagirath

भारत के आम बजट पर देशवासियों की पैनी नजर रहती है। वित्तमंत्री द्वारा संसद में बजट पेश करने के बाद कई दिनों तक उसकी समीक्षा होती है। अधिकांश लोगों के बीच यही चर्चा होती है कि बजट में किसे क्या मिला। जिस बजट पर देश भर की निगाहें रहती हैं, उसकी शुरुआत कब और किसने की, यह जानना दिलचस्प हो जाता है। भारत में बजट के जनक अथवा संस्थापक जेम्स विल्सन थे। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में उन्होंने 18 फरवरी 1860 को पहला बजट वायसराय की परिषद में पेश किया था।

विल्सन का जन्म 3 जून 1805 को आयरलैंड की सीमा पर स्थित हाविक कस्बे में हुआ था। वह एक महान अर्थशास्त्री थे और मुक्त बाजार के समर्थक के तौर पर जाने जाते थे। 19वीं शताब्दी में ब्रिटेन में मक्के पर आयात शुल्क लगाने का उन्होंने तीखा विरोध किया था। 1847 में वह संसद सदस्य निर्वाचित किए गए। उन्होंने ही 1843 में बहुचर्चित पत्रिका द इकॉनोमिस्ट और 1853 में चार्टर्ड बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की थी। इस बैंक का 1969 में स्टैंडर्ड बैंक में विलय हो गया और यह स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक बन गया।

अर्थशास्त्री होने के कारण ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लॉर्ड जॉन रसल ने उन्हें 1848 में बोर्ड ऑफ कंट्रोल का सचिव नियुक्त किया था। यह बोर्ड भारत से जुड़े मामलों को देखता था। 1852 तक विल्सन इस पद पर रहे। इसके बाद वह वित्त सचिव नियुक्त किए गए। विल्सन ने 1859 में काउंसिल ऑफ इंडिया के वित्त सदस्य के लिए सांसद और अन्य पद छोड़ दिए। ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने 1857 के विद्रोह (भारतीयों की नजर में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम) को देखते हुए भारत में कर का ढांचा और करेंसी मुद्रा स्थापित करने के लिए उन्हें भारत भेजा था। वह 28 नवंबर 1859 को भारत आए और 11 अगस्त 1860 को कलकत्ता में उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि इससे पहले उन्होंने बजट की आधारशिला रख दी थी। उनकी समाधि कलकत्ता के मलिक बाजार में है।

आजाद भारत का पहला बजट वित्त मंत्री आरके षणमुगम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। हालांकि इससे पहले सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में जब पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ तो उन्होंने लियायक अली को वित्त मंत्रालय का प्रभार सौंपा था। लिकायत अली ने 2 फरवरी 1946 को बजट पेश किया था। वह बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे।

भारत में जो बजट प्रचलन में उसकी जड़ें ब्रिटेन में हैं। ब्रिटेन में 18वीं शताब्दी में वार्षिक बजट प्रचलन में आया था। 1733 में प्रधानमंत्री रॉबर्ट वालपोल ने अपनी वित्तीय घोषणा में पहली बार बजट का जिक्र किया था। इस दौर में ब्रिटेन आर्थिक संकट से गुजर रहा था। ऐसी अफवाह थी कि वालपोल विभिन्न उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगा सकते हैं। ब्रिटेन में आयात शुल्क को पसंद नहीं किया जाता था और यह लोगों की जिंदगी और संपत्ति पर नौकरशाहों के दखल के रूप में देखा जाता था।