शहर दुनिया में कचरे का आधे से अधिक और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का कम से कम 60 प्रतिशत उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण जलमार्ग प्रदूषित होते हैं और उपलब्ध ताजे या मीठे पानी में और कमी आती है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
पर्यावरण

विश्व पर्यावरण दिवस 2024: दुनिया भर में हर पांच सेकंड में एक फुटबॉल पिच के बराबर नष्ट हो रही मिट्टी

इस साल इस दिवस की थीम ‘भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता’ है

Dayanidhi

हर साल पांच जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस हमारे धरती की सुरक्षा के लिए अधिक टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है प्लास्टिक, माइक्रोप्लास्टिकप्रदूषित हवा, जलवायु में बदलाव और हानिकारक विकिरण में लगातार वृद्धि के साथ अब पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में सोचना जरूरी हो गया है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय दिवस है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में 1973 से हर साल आयोजित होने वाला यह दिवस पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का सबसे बड़ा वैश्विक मंच बन गया है। इसे दुनिया भर में लाखों लोग मनाते हैं।

इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता’ है, जिसका नारा है ‘हमारी भूमि। हमारा भविष्य। हम #जनरेशन रेस्टोरेशन,’ हैं। सऊदी अरब 2024 के विश्व पर्यावरण दिवस के वैश्विक समारोह की मेजबानी कर रहा है।

एशिया और प्रशांत क्षेत्र को अपनी समृद्ध व अनोखी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। अंधाधुंध खेती के लिए काटे जाने वाले जंगलों और अनियंत्रित शहरीकरण और फैलाव जैसे कारणों, भूमि-उपयोग में बदलाव और भूमि क्षरण, कई भूमि पारिस्थितिकी प्रणालियों की जैव विविधता को कम कर रहे हैं। स्वस्थ मिट्टी में कार्बन की भारी मात्रा जमा होती है, जिसे अगर छोड़ा जाए, तो तापमान में भारी वृद्धि होगी

जलमार्गों में परिवर्तन, प्रदूषण और जल संसाधनों की असंतुलित खपत जल-संबंधी तनाव और जलीय जैव विविधता में कमी का कारण बन रही है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के मुताबिक, दुनिया भर में हर पांच सेकंड में एक फुटबॉल पिच के बराबर मिट्टी का क्षरण होता है। जबकि, तीन सेंटीमीटर ऊपरी मिट्टी बनाने में 1,000 साल लगते हैं।

एशिया और प्रशांत क्षेत्र, जहां दुनिया की दो-तिहाई आबादी रहती है, पानी को लेकर तनाव और भूमि क्षरण के बढ़ते प्रभावों का सामना कर रहा है। ये कई कारणों से हो रहे हैं, जिनमें जनसंख्या वृद्धि, तेजी से औद्योगीकरण और शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं जो सूखे को बढ़ा रहे हैं।

एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अधिकांश लोग शहरों में रहते हैं और बढ़ते शहरीकरण के कारण पानी से संबंधित तनाव और शहरी सूखे के प्रभाव बढ़ने की आशंका जताई गई है।

शहर दुनिया में कचरे का आधे से अधिक और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का कम से कम 60 प्रतिशत उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण जलमार्ग प्रदूषित होते हैं और उपलब्ध ताजे या मीठे पानी में और कमी आती है।

पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021 से 2030) के माध्यम से, एशिया और प्रशांत सहित दुनिया भर में पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए समाधान तैयार कर रहे हैं, ताकि सूखे और जलवायु में बदलाव को कम किया जा सके और साथ ही भूमि क्षरण को कम किया जा सके।

यूएनईपी ने अपनी वेबसाइट के हवाले से विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में कहा है कि आज, यानी पांच जून 2024 को, यूएनईपी और एस्केप एशिया और प्रशांत क्षेत्र में साझेदारों को एक साथ ला रहे हैं ताकि इस क्षेत्र में भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा की जा सके। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के लिए लागू समाधानों की खोज की जाएगी, जिसमें चक्रीय जल संसाधनों का उपयोग, टिकाऊ खाद्य उत्पादन और सूखे से निपटने के लिए शहरी विकास आदि शामिल हैं।