साल 1971 में फ्रेंच पोलिनेशिया के एक द्वीप पर किए गए परमाणु परीक्षण का दृश्य  फोटो साभार: संयुक्त राष्ट्र
पर्यावरण

आज के दिन क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय परमाणु परीक्षण विरोधी दिवस, यहां जानें

परमाणु परीक्षण से निकलने वाले परमाणु विकिरण मीलों तक फैलते हैं, जिससे लोगों और जानवरों में कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।

Dayanidhi

हर साल 29 अगस्त को दुनिया भर में परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोट या किसी अन्य परमाणु विस्फोट के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। परमाणु हथियारों के परीक्षण का एक लंबा और विनाशकारी इतिहास रहा है। पहला परीक्षण 1945 में अमेरिका द्वारा किया गया था और तब से अब तक कुल 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण किए जा चुके हैं।

परमाणु परीक्षण के शुरुआती दिनों में मनुष्य जीवन और पर्यावरण पर इस हथियार के विनाशकारी प्रभावों की अनदेखी की जाती थी। वायुमंडलीय परीक्षण से निकलने वाले परमाणु विकिरण मीलों तक फैलते हैं, जिससे लोगों और जानवरों में कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 1954 से 1984 के बीच दुनिया में हर हफ्ते औसतन कम से कम एक परमाणु हथियार परीक्षण हुआ, जिनमें से ज्यादातर का विस्फोट हिरोशिमा पर हुए बम विस्फोट से कहीं ज्यादा था, परमाणु हथियार हवा में, जमीन पर, जमीन के नीचे और समुद्र में फटे।

इन परीक्षण विस्फोटों से रेडियोधर्मिता पूरे ग्रह में पर्यावरण में गहराई तक फैल गई। इसे आज भी हाथी के दांतों, ग्रेट बैरियर रीफ के कोरल और सबसे गहरी समुद्री खाइयों में देखा और मापा जा सकता है।

इस बीच परमाणु हथियारों के भंडार में तेजी से वृद्धि हुई है। 1980 के दशक की शुरुआत तक लगभग 60,000 परमाणु हथियार थे, जिनमें से ज्यादातर हिरोशिमा और नागासाकी में इस्तेमाल किए गए बमों से कहीं ज्यादा शक्तिशाली थे।

1960 के दशक तक दुनिया सैद्धांतिक रूप से इस बात पर सहमत हो गई थी कि विस्फोटक परमाणु परीक्षणों को समाप्त करना परमाणु हथियारों के विकास पर एक अहम लगाम होगी और इस तरह परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा मिलेगा। 1968 की परमाणु अप्रसार संधि की प्रस्तावना में ‘हमेशा के लिए परमाणु हथियारों के सभी परीक्षण विस्फोटों को बंद करने’ की बात कही गई थी।

लेकिन इसके बाद 1996 में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी ) पर सहमति बनने में लगभग तीस साल और सैकड़ों परमाणु परीक्षण विस्फोट लग गए। यह दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण संधियों में से एक है, इसने बड़ा बदलाव किया।

सीटीबीटी को लगभग पूरी दुनिया का समर्थन हासिल है। 187 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं और 178 ने इसकी पुष्टि की है। 2021 से अब तक दस नए समर्थन के साथ, नए सिरे से परमाणु परीक्षण के खिलाफ चीजें आगे बढ़ी हैं, जिसमें छोटे देशों में उत्साह विशेष रूप से अधिक है।

वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय अनिश्चितता सीटीबीटी द्वारा बनाए गए परमाणु परीक्षण के विरुद्ध वैश्विक मानदंड को चुनौती देती है। क्या होगा यदि हम फिर से परमाणु परीक्षण देखें, या किसी संघर्ष में परमाणु हथियार का उपयोग भी देखें? हमें अंतर्राष्ट्रीय विश्वास और एकजुटता में विनाशकारी परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

अनियंत्रित परमाणु परीक्षण के दिनों की वापसी से कोई भी राज्य सुरक्षित नहीं रहेगा, कोई भी समुदाय सुरक्षित नहीं रहेगा, पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।

इस दिन के इतिहास की बात करें तो दो दिसंबर, 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिन का उद्देश्य परमाणु परीक्षणों के हानिकारक प्रभावों और परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया को बनाने के लिए उन्हें रोकने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

इस दिन का सुझाव कजाकिस्तान ने दिया था, जिसमें कई देशों और संगठनों ने 1991 में सेमीपालाटिंस्क साइट पर परमाणु परीक्षण के अंत का सम्मान किया था। यह दिन संयुक्त राष्ट्र, सरकारों और विभिन्न समूहों को एक सुरक्षित दुनिया के लिए परमाणु परीक्षणों पर वैश्विक प्रतिबंध की आवश्यकता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है।

अपनी शुरुआत के बाद से, इस दिन ने इस उद्देश्य को समर्थन देने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिसमें संगोष्ठियां और सम्मेलन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस सितंबर 2014 में मनाया गया था। इसका लक्ष्य 1996 की व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को हासिल करना है, जिस पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।