शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि सुरक्षा सीमा से नीचे रेडियो तरंग के खतरे पौधों और जानवरों पर बुरा असर डालता है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
पर्यावरण

रेडियो तरंगों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में क्या कहते हैं शोध?

अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की आम सहमति है कि निम्न स्तर की रेडियो तरंगों के संपर्क से पौधों और जानवरों के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

Dayanidhi

संचार के लिए जाने जाने वाले इस युग में, मानवजनित कारणों से रेडियोफ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (आरएफ ईएमएफ) वातावरण में फैल गए हैं। लोगों के स्वास्थ्य को अत्यधिक खतरों से बचाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। जबकि पौधों और जानवरों की सुरक्षा को लेकर किसी तरह के विशेष रूप से तय किए गए दिशा-निर्देश नहीं हैं।

वैज्ञानिकों की मानें तो इस अध्ययन का उद्देश्य रेडियोफ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (आरएफ ईएमएफ) के प्रभाव और अलग-अलग कारणों से इनके सम्पर्क में आने से उनके मापदंडों और उन अध्ययनों की गुणवत्ता के साथ इसके संबंध का विश्लेषण करना था।

वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में कहा है कि नए गुणवत्ता वाले अध्ययनों से पता चलता है कि रेडियो तरंगों का पौधों और जानवरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जबकि कुछ सामान्य अध्ययन कहते है कि इसका प्रभाव पड़ता है। रेडियो तरंगों को लेकर ऑस्ट्रेलिया और स्विनबर्न विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया है।

जुलाई 2024 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल स्टडीज में प्रकाशित मानचित्र का ऑस्ट्रेलियाई विकिरण संरक्षण और परमाणु सुरक्षा एजेंसी (एआरपीएएनएसए) ने रेडियो तरंगों का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव और खतरों का आकलन किया।

शोधकर्ता ने शोध में कहा कि निष्कर्षों से पता चलता है कि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि सुरक्षा सीमा से नीचे रेडियो तरंग के खतरे पौधों और जानवरों पर बुरा असर डालता है।

शोध के मुताबिक, 26,000 से अधिक अध्ययनों में से मात्र 334 लेखों को व्यवस्थित मानचित्र में शामिल किया गया और उन्हें अध्ययन में आगे के विश्लेषण के योग्य माना गया। उन 334 अध्ययनों में से केवल कुछ को ही शोधकर्ताओं ने अच्छी गुणवत्ता वाला माना।

अच्छी गुणवत्ता वाले अध्ययनों में उचित सम्पर्क में आने का आकलन और उपयुक्त तुलना व नियंत्रण समूहों जैसे कठोर वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया गया था।

शोध में निम्न-गुणवत्ता वाले अध्ययनों में खामियां पाई गई, जैसे प्रयोगों में कोई नियंत्रण नहीं होना, गलत तरीके से विकिरण के खतरों का आकलन करना, तथा प्रदूषण जैसे अन्य पर्यावरणीय कारणों पर विचार नहीं करना आदि था।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि हालांकि अच्छी गुणवत्ता वाले अध्ययन पौधों और जानवरों पर रेडियो तरंगों के प्रभाव पर अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय की आम सहमति को शामिल करते हैं, लेकिन उन अध्ययनों की संख्या सीमित थी और इसलिए हमें किसी भी संदेह को दूर करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

यह ऑस्ट्रेलियाई विकिरण संरक्षण और परमाणु सुरक्षा एजेंसी (एआरपीएएनएसए) का आकलन और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की आम सहमति है कि निम्न स्तर की रेडियो तरंगों के संपर्क से पौधों और जानवरों के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।