रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत अधिक निर्भर है।फोटो: iStock 
पर्यावरण

37 हजार करोड़ रुपए से अधिक है ओडिशा की साझी भूमि के पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत!

ओडिशा भारत के उन 8 राज्यों में से एक है, जिसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है

Himanshu Nitnaware

ओडिशा के विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से प्राप्त होने वाला सालाना आर्थिक मूल्य लगभग 36,890 करोड़ रुपए है। यह अनुमान फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (एफईएस), इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई), फेडरेशन यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया और कॉमन ग्राउंड्स द्वारा संयुक्त रूप से लगाया गया है। अनुमान में लगभग 50 लाख हेक्टेयर भूमि को शामिल किया गया है, जो विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करती है।

इनमें जंगल, चारागाह और बंजर भूमि शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण सामाजिक पारिस्थितिक मूल्य प्रदान करते हैं और इसके साथ ही दुनिया भर में लाखों लोगों को आजीविका भी प्रदान करते हैं। भारत में ये प्राकृतिक संसाधन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सबसे आगे होते हैं।

हालांकि यहां यह ध्यान देने की जरूरत है कि वर्तमान में ये भूमि विशेष रूप से भूमि क्षरण, अत्याधिक प्रयोग, अपर्याप्त प्रबंधन और अतिक्रमण जैसे गंभीर खतरों से जूझ रही है। ये खतरे इन प्राकृतिक संसाधनों को और कमजोर बनाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का भारी नुकसान होता है और इससे उन पर निर्भर लोगों का जीवन अधिक कष्टप्रद हो जाता है।

ध्यान रहे कि भूमि क्षरण के परिणामस्वरूप जैव विविधता में भारी कमी, मिट्टी कटाव कर तेज होना, पानी की गुणवत्ता में कमी आना और पर्यावरण संबंधी समस्याएं भी दिन ब दिन और बदतर होती जा रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत अधिक निर्भर रहने वाला राज्य है।  और यह भारत के उन आठ राज्यों में से एक है जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील राज्य के रूप में चिन्हित किया गया है।

रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग 3..6 करोड़ लोगों की आबादी वाले इस राज्य की अर्थव्यवस्था और यहां का समाज राज्य के जंगलों, कृषि और प्राकृतिक संसाधनों से लगातार जुड़े रहते हैं, जिसकी चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसमीय घटनाओं के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील राज्य के रूप में गिनती होती हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य की प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और संरक्षण के लिए नीतियों को तैयार करने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के आर्थिक महत्व को समझना विशेष रूप से अनिवार्य हो जाता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मूल्य हस्तांतरण विधि (मौजूदा मूल्यांकन अनुमानों को एक संदर्भ से दूसरे संदर्भ में स्थानांतरित करके पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के आर्थिक लाभों का अनुमान लगाती है) से प्राप्त आय सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डालती है।

इसके अलावा भारत के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के टूटने के प्रमुख निष्कर्षों से पता चला है कि खाद्य, पानी और कच्चे माल जैसे प्रमुख उत्पादों का मूल्य 65,411 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष है। मिट्टी की उर्वरता और जल शोधन जैसी जलवायु विनियमन सेवाओं का मूल्य 60,698 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें सहायक सेवाओं का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें मिट्टी की उत्पादकता, आवास प्रावधान, आध्यात्मिक समृद्धि से युक्त सांस्कृतिक सेवाएं भी शामिल हैं। इनकी लागत 24,078 रुपए और 4,456 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष है। यह रिपोर्ट 2023 में पर्यावरण अनुसंधान पत्रों में प्रकाशित शोधपत्र के आंकड़ों पर आधारित है।

कॉमन ग्राउंड ने बताया है कि भूमियों की सुरक्षा के लिए कानूनी और संस्थागत सुधारों, स्थायी प्रबंधन प्रथाओं और समुदाय-आधारित प्रबंधन के महत्व को रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि यह मूल्यांकन ओडिशा की अर्थव्यवस्था और समाज में भूमि के योगदान को पहचानने के लिए एक पैमाना आधार प्रदान करता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह इन महत्वपूर्ण संसाधनों के स्थाई प्रबंधन और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नीति-निर्माण और भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं में भूमि के आर्थिक मूल्य को शामिल करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है।