17 मार्च, 2025 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम के महाधिवक्ता से गुवाहाटी और असम के अन्य हिस्सों में पहाड़ी कटाई से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए कदमों का ब्यौरा देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति एन उन्नी कृष्णन नायर की अध्यक्षता वाली बेंच ने असम सरकार से इस मामले में ताजा स्थिति पर तथ्यों की जानकारी देते हुए एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
18 दिसंबर, 2024 को उच्च न्यायालय के आदेश के जवाब में, असम के आवास और शहरी विभाग ने एक हलफनामा प्रस्तुत किया था। इसमें कहा गया है कि जल निकासी के लिए जीआईएस-आधारित व्यापक मास्टर प्लान पर काम प्रगति पर है।
हलफनामे में यह भी जिक्र किया गया है कि संबंधित विभागों के परामर्श से एक स्थलाकृतिक सर्वेक्षण और मौजूदा तूफानी पानी की निकासी के लिए एक विस्तृत सूची तैयार की जा रही है। इसके अतिरिक्त, बहिनी नदी उप-बेसिन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम प्रगति पर है।
अदालत को यह भी बताया गया कि 26 दिसंबर, 2024 को एक संशोधित आरंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, और उसे सभी हितधारकों के साथ फीडबैक के लिए साझा किया गया था। वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी के एन चौधरी का कहना है कि एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, जो गुवाहाटी महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) के पूर्व सीईओ थे, उन्होंने भी इस बारे में अपने सुझाव दिए हैं।
पहाड़ी को काटने की नहीं दी जानी चाहिए अनुमति
इन सुझावों के मुताबिक कम से कम तीन वर्षों तक या गुवाहाटी में प्रभावी बाढ़ नियंत्रण उपायों के क्रियान्वयन तक निचले क्षेत्रों में पहाड़ी को काटने और भवन निर्माण के लिए अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
यह भी सुझाव दिए गए हैं कि ग्रेटर गुवाहाटी में सभी आरक्षित वनों को अतिक्रमण से मुक्त किया जाना चाहिए। साथ ही वन विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए जाने चाहिए। यह भी प्रस्ताव किया गया कि गैर-मियादी पट्टा भूमि पर सर्वेक्षण किया जाए और उन पर कोई बड़ी संरचना न बनने दी जाए।
उच्च न्यायालय को इस तथ्य से भी अवगत कराया गया है कि गुवाहाटी में बाढ़ का एक प्रमुख कारण पहाड़ों की कटाई है। यह सही है कि निर्माण के लिए जमीन की जरूरत है, लेकिन पहाड़ों की अनियंत्रित कटाई को रोका जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने उम्मीद जताई है कि मास्टर प्लान तैयार करते समय असम सरकार इन सुझावों पर विचार करेगी।