हमें विकास का एक नया नजरिया चाहिए जो धरती के लिए तो फायदेमंद हो ही, साथ ही हर एक व्यक्ति के लिए भी काम करे; फोटो: आईस्टॉक 
पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन में सर्वसम्मति से पारित हुआ 'भविष्य के लिए सहमति-पत्र', शान्ति व सतत विकास का लिया संकल्प

Lalit Maurya

संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में ‘भविष्य के लिए सहमति-पत्र’ (पैक्ट फॉर द फ्यूचर), सर्वसम्मति से पारित हो गया है, जिसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र ने 21वीं सदी में सामने आ रहे आपसी टकरावों से लेकर जलवायु परिवर्तन और दुष्प्रचार जैसे मुद्दों से उत्पन्न हो रही चुनौतियों का सामना करने के लिए इस सहमति-पत्र को एक ब्लूप्रिंट करार दिया है। इसमें मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर भी ध्यान दिया गया है। इसका लक्ष्य भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और बेहतर दुनिया तैयार के लिए कदम उठाना है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक इस सहमति-पत्र में पांच मुख्य क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है। इनमें सतत विकास, वैश्विक शान्ति व सुरक्षा, विज्ञान व प्रोद्योगिकी, युवा और भविष्य की पीढ़ियां और वैश्विक प्रशासन में बदलाव शामिल हैं।

यह पैक्ट इस नजरिए से भी महत्वपूर्ण है, वैश्विक वित्तीय संस्थाएं और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र भी, 21वीं सदी की समस्याओं को हल करने में संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में यह पैक्ट न केवल उन समस्याओं पर प्रकाश डालता है, साथ ही उसके लिए नए समाधान भी प्रस्तुत करता है।

हालांकि रूस, उत्तरी कोरिया, ईरान, सीरिया और वेनेज़ुएला सहित कुछ देशों ने इस सहमति-पत्र के ड्राफ्ट में कुछ संशोधन किए जाने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया।

इस सहमति-पत्र में, वैश्विक नेताओं ने जो वादे किए हैं, उनमें इन प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया है। इसमें सभी के लिए भोजन के साथ खाद्य असुरक्षा व कुपोषण के तमाम रूपों का अन्त करने की बात कही गई है।

सतत विकास के लक्ष्यों और जलवायु समझौते की दिशा में तेजी लाने पर बल दिया है। बता दें कि 2015 में हुए इन दोनों समझौतों में लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में हो रही प्रगति सुस्त पड़ी है, यहां तक की इसके अहम पड़ाव भी पीछे छूट गए हैं।

जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, जैसे कई मुद्दों पर दिया गया है ध्यान

इसके साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को सीमित करना, साथ ही इस दिशा में न्यायसंगत रूप से सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना शामिल है। साथ ही 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस दशक के दौरान कार्रवाई में तेजी लाना अहम है।

इस पैक्ट में सदस्य देशों ने युवाओं की आवाज सुनने और उन्हें राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही सिविल सोसायटी, निजी क्षेत्र, स्थानीय व क्षेत्रीय अधिकारियों आदि के स्तर पर मजबूत साझेदारियां स्थापित करना।

पैक्ट में शान्तिपूर्ण, समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण पर भी जोर दिया है और उन्हें बनाए रखने के प्रयासों को दोगुना करने की बात कही है। साथ ही आपसी टकरावों के मूल कारणों का समाधान खोजना जरूरी है। इसके साथ ही जो लोग हिंसक टकरावों में घिरे हैं उन लोगों को संरक्षण देना जरूरी है।

इतना ही नहीं पैक्ट में लैंगिक समानता के साथ-साथ महिलाओं को सशक्त बनाना शामिल है। साथ ही शान्ति व सुरक्षा के मुद्दों पर लिए गए संकल्पों पर अमल में तेजी लाना शामिल है। वैश्विक नेताओं ने यह सुनिश्चित करने पर भी सहमति जताई है कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, सतत विकास के लिए एक इंजिन के रूप में काम करती रहे। उन्होंने गरीबी का अंत करने और विश्वास व सामाजिक समरसता को मजबूत करने के लिए लोगों में निवेश की बात कही है।

इस पैक्ट के एक हिस्से के रूप में, ग्लोबल डिजिटल कॉमैप्क्ट को भी शामिल किया गया है। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के अन्तरराष्ट्रीय नियमन पर, पहला वैश्विक समझौता शामिल है।

बता दें कि डिजिटल कॉम्पैक्ट इस विचारधारा पर आधारित है कि तकनीकों से हर किसी को फायदा होना चाहिए। इसके तहत विकासशील देशों की एआई क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए, साझेदारियों और नैटवर्कों को प्रोत्साहित करने की बात कही गई है। इतना ही नहीं सरकारों से भी, एआई पर निष्पक्ष विश्वव्यापी वैज्ञानिक पैनल गठित करने की जिम्मेवारी निभाने को कहा गया है।

भविष्य के लिए जारी इस सहमति-पत्र में यूएन चार्टर की उस पुकार को भी दोहराया गया है, जिसमें आने वाली पीढ़ियों को युद्ध के अभिशाप से बचाने की बात कही गई है। इतना ही नहीं यह पहला मौका है जब सरकारों को मौजूदा निर्णयों में भविष्य की पीढ़ियों के हितों को ध्यान में रखने की बात कही है।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने इस प्रस्ताव के पास होने के बाद कहा कि “यह पैक्ट और इसके सभी अंश नई सम्भावनाओं और अवसरों के लिए रास्ते खोलते हैं।“

उनका आगे कहना है कि, "हर जगह लोग शांति, समृद्धि और गरिमा पूर्ण भविष्य की आस लगाए हैं। वे जलवायु संकट को हल करने के साथ विषमता को दूर करने और सभी को प्रभावित करने वाले नए खतरों से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई का आह्वान कर रहे हैं।"

देखा जाए तो सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए छह वर्षों का समय बचा है, हालांकि इसके बावजूद कई लक्ष्य अभी भी मंजिल से बेहद दूर हैं। कहीं न कहीं इस दिशा में हो रही प्रगति बेहद असमान है।

ऐसे में किसी को पीछे न छोड़ने का जो संकल्प है उसके राह में अनगिनत चुनौतियां मौजूद हैं। दुनिया में अभी भी करोड़ों लोग खाने की कमी से जूझ रहे हैं। जीवाश्म ईंधन का उपयोग बदस्तूर जारी है, बढ़ता तापमान हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहा है, आपसी टकराव बढ़ रहे हैं वहीं लैंगिक समानता को के लिए होती जद्दोजेहद कमजोर पड़ रही है।

गौरतलब है कि यह पैक्ट 22 से 23 सितम्बर के बीच भविष्य के लिए चल रही शिखर बैठक के दौरान आम सहमति से पारित हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने इस सम्मेलन को पीढ़ियों में एक बार मिलने वाला अवसर करार दिया है।

बता दें कि इस अनोखी वैश्विक पंचायत के दौरान दुनिया में बहुपक्षीय व्यवस्था को नया आकार देने के साथ-साथ मौजूदा संकल्पों को निभाने व लम्बे समय से चली आ रही चुनौतियों का हल तलाशने के लिए, मानवता को एक नई राह पर ले जाने जैसे विषयों पर चर्चा हो रही है।