अधिकांश रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर में ठंडा करने के लिए उपयोग की जाने वाली जहरीली और ज्वलनशील ग्रीनहाउस गैसों के बदले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा एक नए उपकरण की खोज की है।
यह उपकरण ऑक्सीजन से बनी एक पदार्थ की परतों पर आधारित है और यह तीन धातु तत्वों से बना हुआ है जिसे 'पीएसटी' के रूप में जाना जाता है। पीएसटी सबसे बड़ा इलेक्ट्रोकोलोरिक प्रभाव प्रदर्शित करता है, इसमें विद्युत प्रवाहित होने पर तापमान में परिवर्तन होता है, और तापमान ठंडा होने लगता है। इलेक्ट्रोकोलोरिक प्रभाव, एक ऐसी घटना है जिसमें एक पदार्थ पर विद्युत प्रवाह करने पर इसके तापमान में परिवर्तन होता है।
इसके परिणाम, पत्रिका नेचर में प्रकाशित किए गए है, इसे बिना भारी और महंगे मैग्नेट के अत्यधिक कुशल (एफ्फिसिएंट) रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर को बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैम्ब्रिज के मैटेरियल्स साइंस एंड मेटाल्लुरगी विभाग के सह-अध्ययनकर्ता डॉ ज़ेवियर मोया कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के रूप में बड़ी चुनौती सामने खड़ी है और इससे निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन को शून्य तक कम करना सबसे अधिक जरुरी है, तो हमें इस बारे में सोचना होगा कि ऊर्जा को किस तरह पैदा किया जाए, ताकि ग्रीनहाउस उत्सर्जन कम हो, साथ-साथ ऊर्जा की खपत को भी कम किया जा सके।
वर्तमान में रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग में दुनिया भर में उत्पादित ऊर्जा का पांचवां हिस्सा खपत होता हैं, और जैसा कि सर्वविदित है वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है, जिस कारण रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग की मांग भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसके अलावा, वर्तमान में रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनरों में अधिक मात्रा में उपयोग की जाने वाली गैसें जहरीली, अत्यधिक ज्वलनशील ग्रीनहाउस गैसें हैं जिनके हवा में रिसाव होने से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ रही हैं।
शोधकर्ता इन गैसों को ठोस चुंबकीय सामग्री जैसे गैडोलीनियम से बदलकर ठड़ा करने की तकनीक में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, प्रोटोटाइप डिवाइसों का प्रदर्शन आज तक सीमित है, क्योंकि थर्मल परिवर्तन स्थायी मैग्नेट से सीमित चुंबकीय क्षेत्रों के द्वारा चलाई जाती हैं।
इस वर्ष की शुरुआत में प्रकाशित शोध में कैंब्रिज की अगुवाई वाली टीम ने एक सस्ती व व्यापक रूप से उपलब्ध एक ऐसे ठोस की पहचान की है, जो पारंपरिक रूप से ठंडा करने की तकनीक को बदल सकती है। हालांकि, ठंडा करने की तकनीकों के लिए इस सामग्री को विकसित करने में बहुत सारे नए डिजाइन शामिल होंगे, जोकि कैंब्रिज टीम द्वारा बनाए जा रहे हैं।
वर्तमान कार्य में, थर्मल परिवर्तन के बजाय वोल्टेज द्वारा संचालित होते हैं। मोया ने बताया कि ठंडा करने के लिए दबाव के बजाय वोल्टेज का उपयोग करना इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से सरल है और मौजूदा डिजाइन सिद्धांतों को मैग्नेट की आवश्यकता के बिना फिर से बनाया जा सकता है।
कोस्टा रिका और जापान के सहयोगियों के साथ काम कर रहे कैम्ब्रिज के शोधकर्ताओं ने पीएसटी की उच्च गुणवत्ता वाली परतों का उपयोग किया, जिसमें बीच-बीच में धातु के इलेक्ट्रोड लगे हुए थे। इसने पीएसटी को अधिक बड़े वोल्टेज का सामना करने में सक्षम बनाया, और बेहतर तरीके से ठंडा करने में सफल रहा।
सह-अध्ययनकर्ता प्रोफेसर नील माथुर ने कहा कि प्रोटोटाइप मैग्नेटिक फ्रिज के दिल के समान है, जिसे एक ऐसी सामग्री से बदला जा रहा है, जो बेहतर प्रदर्शन करता है और इसमें स्थायी मैग्नेट की भी आवश्यकता नहीं है। यह वर्तमान में ठंडा करने की तकनीक को बेहतर बनाने की कोशिश है। इस तरह की कूलिंग तकनीक लोगों के लिए एक गेम-चेंजर हो सकता है। भविष्य में, टीम पीएसटी माइक्रोस्ट्रक्चर की जांच करने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करेगी, और आगे भी इसे अधिक वोल्टेज लागू करने लायक बनाएगी।