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पर्यावरण

एनजीटी ने चेन्नई के तटीय क्षेत्र में अतिक्रमण की शिकायतों पर अधिकारियों से तलब की रिपोर्ट

आरोप है कि चेन्नई में अरूपदाई वीदु मुरुगन मंदिर के पास समुद्र तट पर लगातार मलबा और कचरा डाला जा रहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दस जुलाई, 2024 को कहा है कि चेन्नई के तटीय क्षेत्र में हुआ अतिक्रमण तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना 2019 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का उल्लंघन है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (क्षेत्रीय कार्यालय, चेन्नई), चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण और तमिलनाडु राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन को इस मामले में अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इन सभी को अपना जवाब एनजीटी की दक्षिणी बेंच के समक्ष दाखिल करने को कहा गया है। मामले में अगली सुनवाई 11 सितंबर, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि यह मामला 14 जून, 2024 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए उठाया था। इस खबर में चेन्नई के बेसेंट नगर की कलाक्षेत्र कॉलोनी में अरूपदाई वीदु मुरुगन मंदिर के पास अवैध निर्माण और अतिक्रमण का जिक्र किया गया था।

इस खबर में कहा गया है कि जहां चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सीएमडीए) 100 करोड़ रुपये की समुद्र तट पुनर्विकास परियोजना के लिए तमिलनाडु राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (टीएनएससीजेडएमए) से मंजूरी का इंतजार कर रहा है, वहीं अतिक्रमणकारी सक्रिय रूप से क्षेत्र में पक्के मकान बनाने और बोरवेल खोदने में व्यस्त हैं।

खबर के मुताबिक अरूपदाई वीदु मुरुगन मंदिर के पास समुद्र तट पर लगातार मलबा और कचरा डाला जा रहा है, जिससे बाढ़ के पानी का प्राकृतिक चैनल अवरुद्ध हो गया है। इसके अलावा समुद्र तट पर अतिक्रमण करके 30 पक्के मकान और चार झोपड़ियां बन चुकी हैं। वहां और भी मकानों की नींव रखी गई है, साथ ही बोरवेल भी खोदे गए हैं। तिरुवनमियुर कुप्पम से मंदिर तक जाने के लिए अवैध तौर पर दो सड़कें भी बनाई गई हैं।

खबर में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि इस तरह के अवैध निर्माण से ताजे पानी के स्रोत बाधित हो सकते हैं। नतीजन खारा पानी जलाशयों और कुओं में प्रवेश कर सकता है। इतना ही नहीं इसकी वजह से ओलिव रिडले कछुए के घोंसले भी प्रभावित हो सकते हैं। खबर के मुताबिक इसकी वजह से मिट्टी का कटाव और बाढ़ में इजाफा हो सकता है, क्योंकि समुद्र तट प्राकृतिक तौर पर बफर के रूप में कार्य करते हैं।

क्यों एनजीटी ने दिया इंद्रायणी नदी के आसपास हुए निर्माण को तोड़ने का आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पश्चिमी बेंच ने इंद्रायणी नदी के किनारों और बाढ़ रेखा के भीतर बने 29 बंगलों को गिराने का आदेश दिया है। मामला महाराष्ट्र का है। पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के म्युनिसिपल कमिश्नर और सिटी इंजीनियर इस प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। अदालत ने आदेश दिया है कि छह महीने के भीतर इन्हें तोड़े जाने का काम पूरा हो जाना चाहिए।

एक जुलाई 2024 को अदालत ने अवैध रूप से निर्माण करने वालों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में पांच करोड़ का मुआवजा (ईडीसी) वसूलने का भी आदेश दिया है। इसकी गणना संयुक्त समिति द्वारा की गई है। कोर्ट ने इसे वसूलने के लिए छह महीनों का समय दिया है।

बरेली में झील अतिक्रमण के मामले में अदालत ने अधिकारियों से मांगा जवाब

10 जुलाई, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बरेली के बिलवा गांव में भू-माफिया द्वारा एक जलाशय पर अवैध अतिक्रमण का मामला उठाया है।

अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (क्षेत्रीय कार्यालय, लखनऊ), बरेली के जिला मजिस्ट्रेट और एल्डिको कंपनी के डेवलपर को प्रतिवादी बनाया है। इन सभी से अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई तीन अक्टूबर 2024 को होनी है।

यह मामला पांच जून 2024 को बरेली के टीबरीनाथ मंदिर निवासी सियाराम मंडल की एक पत्र याचिका के आधार पर उठाया गया था। उनकी शिकायत थी कि बिलवा गांव में एक झील पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया है और वो इस पर एक कॉलोनी बसा रहे हैं।

इस याचिका में आवेदक ने राजस्व अधिकारियों की रिपोर्ट भी संलग्न की है। इस रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि इस क्षेत्र को एक झील के रूप में दर्ज किया गया है।