3 फरवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने महाराष्ट्र के औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य निदेशालय से नागपुर आयुध फैक्ट्री विस्फोट मामले पर जवाब मांगा है।
इसके साथ ही अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड और नागपुर के जिला मजिस्ट्रेट से भी जवाब देने को कहा है। इन सभी को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे के जरिए अपना जवाब देना होगा। मामले में अगली सुनवाई चार अप्रैल, 2025 को होगी।
यह मामला नागपुर के पास भंडारा आयुध कारखाने में हुए भीषण विस्फोट से जुड़ा है। इसमें कम से कम आठ श्रमिकों की मौत हो गई थी, जबकि पांच अन्य घायल हो गए थे।
खबर के मुताबिक यह विस्फोट कम तापमान वाले प्लास्टिक विस्फोटक (एलटीपीई) बनाने वाली फैक्ट्री में हुआ था। इस दौरान फैक्ट्री के अंदर 13 कर्मचारी थे। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इससे इमारत नष्ट हो गई और कर्मचारी मलबे के नीचे फंस गए।
यह फैक्ट्री अब पुणे स्थित म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) के आधीन, एक प्रमुख रक्षा इकाई है। इसमें गोला-बारूद के लिए आरडीएक्स और एचएमएक्स जैसे शक्तिशाली विस्फोटकों को बनाया जाता है। जानकारी दी गई है कि क्षतिग्रस्त इकाई में उत्पादन रोक दिया गया है, जबकि फैक्ट्री का बाकी हिस्सा अभी भी चालू है।
पंजाब जल प्रदूषण: 2,000 से अधिक स्रोतों की हुई पहचान, एनजीटी ने तलब की कार्रवाई रिपोर्ट
पंजाब में जल प्रदूषण का मुद्दा चार फरवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में उठाया गया है।
गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार ट्रिब्यून में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है। इस खबर में खुलासा किया गया है कि पंजाब में प्रदूषण के 1,200 से अधिक स्रोतों की पहचान हुई है जो जल निकायों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने इस मामले में जानकारी एकत्र करने और स्थिति के बारे में रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया है। पीपीसीबी ने अदालत को जानकारी दी है कि विभिन्न विभागों से जानकारी मांगी गई है, जिसका इंतजार किया जा रहा है। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अदालत से दो महीने का समय मांगा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अपने जवाब में कहा है कि पंजाब के जल संसाधन विभाग ने 37 डिवीजनों में प्रदूषण के 2,034 स्रोतों की पहचान की है। अब तक इनमें से 640 को हटा दिया गया है, लेकिन प्रदूषण के 1,394 स्रोतों को अभी भी हटाया जाना बाकी है।
सीपीसीबी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि प्रदूषित नदियों को बहाल करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गठित नदी पुनरुद्धार समिति (आरआरसी) द्वारा व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है। हालांकि, इसमें यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया कि पंजाब में इस योजना का कितना क्रियान्वयन हुआ है। सीपीसीबी ने चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का वादा किया है।
इस मामले में अगली सुनवाई 14 मई, 2025 को होगी।
विकासनगर में कोल्ड स्टोरेज के लिए अवैध रूप से नहीं काटे जाने चाहिए पेड़: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड के वन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कोल्ड स्टोरेज के लिए अवैध रूप से पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। यह कोल्ड स्टोरेज परियोजना विकासनगर मंडी समिति द्वारा शुरू की गई है। मामला उत्तराखंड के विकासनगर का है।
चार फरवरी, 2025 को दिए अपने आदेश में अदालत ने अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करने को भी कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 मई, 2025 को होनी है।
आवेदक का दावा है कि विकासनगर कोल्ड स्टोरेज परियोजना के लिए आम के 18 से 32 पेड़ों के काटे जाने की आशंका हैं।
आवेदक का कहना है कि पिछली रिपोर्ट के मुताबिक साइट पर आम के 32 पेड़ मौजूद थे। संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि हुई। उन्हें डर है कि परियोजना शुरू होने से पहले सभी पेड़ हटाए जा सकते हैं।
आवेदक ने आम के 18 पेड़ों की नीलामी के नोटिस का भी हवाला दिया है। उनका दावा है कि 14 जनवरी 2025 तक 18 पेड़ काटे जा चुके हैं, जबकि 14 पेड़ अभी भी बचे हुए हैं। उनका यह भी कहना है कि इन पेड़ों को काटने के लिए कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी।