प्राकृतिक रूप से रंगीन कपास एक निश्चित प्रकार के उपभोक्ताओं को आकर्षित करता है क्योंकि यह कपड़ा उद्योग द्वारा अपनाए गए पारंपरिक दृष्टिकोण की तुलना में उनके पर्यावरणीय दृष्टिकोण के साथ अधिक मेल खाता है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, केनवॉकर 
पर्यावरण

यूरोप में कपड़ा कचरे से पैदा हो रही नई संभावना : रिपोर्ट

यूरोप में ही हर साल लगभग 10 अरब किलोग्राम कपड़ा अपशिष्ट फेंका जाता है

Vivek Mishra

एक फिनिश अनुसंधान परियोजना के मुताबिक कपड़ा अपशिष्ट यानी टेक्सटाइल वेस्ट का पुनर्चक्रण यूरोप के लिए एक विशाल व्यापारिकअवसर बनता जा रहा है। जहां एक ओर पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकी तेजी से उन्नत हो रही है, वहीं नियमों की कमी और कचरे की जटिल बनावट इस क्षेत्र में वास्तविक प्रगति को बाधित कर रही है।

अली हार्लिन, वीटीटी टेक्निकल रिसर्च सेंटर ऑफ फिनलैंड के रिसर्च प्रोफेसर बताते हैं, "सिर्फ यूरोप में ही हर साल लगभग 10 अरब किलोग्राम कपड़ा अपशिष्ट फेंका जाता है। जबकि एक किलोग्राम टेक्सटाइल फाइबर की कीमत दो से तीन यूरो तक होती है। यह क्षेत्र अरबों यूरो की संभावनाएं लिए हुए है।"

वर्तमान में दुनिया के केवल लगभग 1 फीसदी कपड़ों को फिर से कपड़ों में पुनर्चक्रित किया जाता है। हार्लिन के अनुसार, इसका मुख्य कारण कपड़ा सामग्री की जटिलता और उचित विनियमन (रेगुलेशन) की कमी है।

यूरोपीय संघ लंबे समय से "वेस्ट फ्रेमवर्क डायरेक्टिव" में संशोधन की दिशा में काम कर रहा है, जिससे कपड़ा उद्योग को उत्पादक जिम्मेदारी के दायरे में लाया जाएगा। इसके तहत कपड़ा कंपनियों को स्वयं अपने उत्पादों के पुनर्चक्रण की व्यवस्था करनी होगी।

हार्लिन कहते हैं, "ईयू इस क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी है लेकिन प्रगति की गति अभी भी धीमी है। जब तक उचित नीतियां नहीं बनतीं, तब तक कपड़ा पुनर्चक्रण में वास्तविक उछाल की उम्मीद करना मुश्किल है।"

कम संसाधन, ज्यादा लाभ
फिनलैंड की कपड़ा कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के टेलाकेतु नेटवर्क ने पिछले दस वर्षों में कपड़ा पुनर्चक्रण पर व्यापक शोध किया है। इस नेटवर्क की टेलावैल्यू परियोजना का उद्देश्य कपड़ा उद्योग से जुड़े स्थिरता और कचरे की चुनौतियों को हल करना था।

वीटीटी की प्रिंसिपल साइंटिस्ट पिर्यो हेक्किला के अनुसार, पुनर्चक्रण को हमेशा "न्यूनतम प्रसंस्करण" के सिद्धांत के अनुसार किया जाना चाहिए।

हेक्किला बताती हैं, "यदि कपड़ा मरम्मत या पुन: उपयोग के लायक नहीं है, तो प्राथमिक विकल्प है मैकेनिकल फाइबर रीसाइक्लिंग, जिसमें वस्त्रों को काटकर दोबारा फाइबर में बदला जाता है। जब कपड़ा बहुत खराब हालत में होता है, तब केमिकल रीसाइक्लिंग एक बेहतर विकल्प होती है।"

यूरोप में फिर से कपड़ा उद्योग की वापसी?
अली हार्लिन का मानना है कि पुनर्चक्रण के बढ़ते अवसरों से कपड़ा उत्पादन श्रृंखला का बड़ा हिस्सा फिर से यूरोप लौट सकता है। इस समय जहां तकनीक का विकास उत्तरी और पश्चिमी यूरोप में हो रहा है, वहीं विनिर्माण विशेषज्ञता पूर्वी और दक्षिणी यूरोप में केंद्रित है।

"केवल कोई एक देश इस क्षेत्र को अकेले नहीं चला सकता। यूरोप में 5 से 10 केमिकल रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित हो सकते हैं। और हर ऐसे प्लांट को चलाने के लिए लगभग 10 मैकेनिकल फाइबर संयंत्रों की आवश्यकता होगी," हार्लिन बताते हैं।


पुनर्चक्रण तकनीकें अब इतनी उन्नत हो चुकी हैं कि कॉटन को सफलतापूर्वक रीसाइक्ल किया जा सकता है। इनफिनिटेड फाइबर कंपनी इसका एक उदाहरण है, जो फिनलैंड के केमी शहर में नया फाइबर संयंत्र बना रही है।

"कपड़ों से सिर्फ नए वस्त्र ही नहीं, बल्कि नॉनवोवन फैब्रिक, पवन टरबाइन ब्लेड, वाहन साउंड इंसुलेशन, और यहां तक कि हल्के और आग-प्रतिरोधी कंक्रीट भी बनाए जा सकते हैं," हार्लिन बताते हैं।

हालांकि, अल्ट्रा-फास्ट फैशन यानी अत्यधिक सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले कपड़ों का बढ़ता प्रचलन इस पूरे पुनर्चक्रण प्रयास के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे कपड़े मिश्रित और निम्न गुणवत्ता के होने के कारण लाभकारी रूप से पुनर्चक्रण के योग्य नहीं होते।

पिर्यो हेक्किला बताती हैं, "वर्कवियर अक्सर सेवा के रूप में खरीदा जाता है, जिसमें गुणवत्ता, धुलाई और मरम्मत पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इन वस्त्रों के जीवन चक्र के अंत में इन्हें रीसाइक्ल करना आसान होता है क्योंकि इनकी सामग्री अच्छी तरह से ज्ञात होती है।"
वीटीटी की वरिष्ठ वैज्ञानिक एट्टा सारिमाकी के अनुसार, सभी जटिल और मिश्रित संरचना वाले कपड़े दोबारा वस्त्रों में नहीं बदले जा सकते।

सारिमाकी कहती हैं,"लेकिन थर्मो-मैकेनिकल रीसाइक्लिंग की मदद से इनका उपयोग कंपोजिट उत्पादों में किया जा सकता है,जिससे इन्हें एक और जीवन मिल जाता है।"