केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नौ जुलाई, 2024 को जानकारी दी है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पर्यावरण क्षतिपूर्ति कोष की मदद से 22 परियोजनाएं चल रही हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत 126.90 करोड़ रुपए है। अब तक इनपर 18.89 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं और एक अप्रैल, 2024 से 31 मार्च, 2025 के बीच 70 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है।
रिपोर्ट में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पर्यावरण संरक्षण शुल्क (ईपीसी) निधि का उपयोग करने की सिफारिश की गई है। इसमें सड़कों की सफाई के लिए मशीनें, एंटी-स्मॉग गन, सड़कों की मरम्मत आदि कार्यों को मंजूरी देना शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार इन निधियों का उपयोग तब किया जाना चाहिए जब अन्य सरकारी योजनाएं इन विशिष्ट कार्यों को कवर नहीं करती या उसके लिए कोई फण्ड उपलब्ध न हो। यह सब दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की योजना का हिस्सा है।
सीपीसीबी ने एनजीटी में सौंपी अपनी इस रिपोर्ट में जानकारी दी है कि पर्यावरण संरक्षण शुल्क (ईपीसी) और पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) निधियों का उपयोग वायु गुणवत्ता सहित पर्यावरण से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में कैसे किया जा रहा है।
हिंडन नदी के किनारे गढ़ मरघट के पास जमा है 200 मीट्रिक टन कचरा: रिपोर्ट
गढ़ चौखंडी गांव में हिंडन नदी के किनारे गढ़ मरघट के पास ठोस कचरे का एक बड़ा ढेर लगा है, जिसमें ज्यादातर निर्माण और तोड़फोड़ (सीएंडडी) से निकला कचरा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आठ जुलाई, 2024 को सबमिट अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि इस इलाके में करीब 200 मीट्रिक टन कचरा जमा है।
रिपोर्ट के मुताबिक गढ़ चौखंडी क्षेत्र में कई कबाडी और कूड़ा बीनने वाले रहते हैं, जिनकी वजह से गांव के आसपास ठोस कचरे का ढेर लग जाता है। हिंडन नदी के बाढ़ क्षेत्र पर भी अतिक्रमण किया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि हिंडन नदी से लिए पानी के नमूने के विश्लेषण के परिणाम अभी नहीं आए हैं।