2013 से 2023 के बीच भारत में जंगलों का क्षेत्र करीब 16,630 वर्ग किलोमीटर बढ़ा, लेकिन इसका ज्यादातर हिस्सा (लगभग 97%) ऐसे इलाकों से आया जो सरकारी तौर पर जंगल के रूप में दर्ज नहीं थे। मतलब ये कि पेड़ तो उगे, लेकिन वो जमीन असली जंगलों की नहीं थी – जैसे खेतों के आसपास, गांवों के पास या खाली पड़ी जमीन पर।
2019 से 2023 के बीच भी यही चलन बना रहा। पेड़ तो बढ़े, लेकिन ज्यादातर खुले जंगलों में, जिनमें अक्सर पेड़-पौधे खेती के मकसद से लगाए जाते हैं – जैसे लकड़ी या कागज बनाने के लिए।
इसका नुकसान ये हुआ कि असली, पुराने और मध्यम घने जंगल कम होते गए, खासकर वे जो इंसानी इलाकों के पास होते हैं और जिनमें कई तरह के जानवर और पौधे रहते हैं। मतलब ये कि पेड़ बढ़ने के बावजूद असली जंगलों की सेहत उतनी अच्छी नहीं रही।