पर्यावरण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी : 8 मई 2019

DTE Staff

रोहतांग दर्रा में वाहनों की सीमित संख्या रहेगी बरकरार : एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 8 मई, 2019 को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रा में पर्यटन के कारण हो रहे पर्यावरणीय नुकसान को नियंत्रित करने के लिए कहा है कि दर्रा के लिए जाने वाले वाहनों की संख्या पूर्व की तरह सीमित रहेगी। पीठ ने कहा कि इलाके की क्षमता को देखते हुए वाहनों की सीमित संख्या का आवागमन बेहद जरूरी है। पीठ ने रोहतांग दर्रा में पर्यटन सीजन को ध्यान में रखते हुए पारिस्थितकी संतुलन बनाए रखने के लिए जल्द से जल्द उचित कदम उठाने का आदेश दिया है।  

हिमाचल प्रदेश की ओर से दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से रोप-वे परियोजना के लिए वन भूमि के डायवर्जन की मंजूरी मिल गई है। वहीं, मनाली स्थित सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) को उच्च मानक का बनाए जाने और मढ़ी में पर्यावरण अनुकूल बाजार स्थापित किए जाने को लेकर भी काम हो रहा है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस के रामकृष्णन की पीठ ने छह मई, 2019 को हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीसीबी) को तीन महीनों के भीतर मनाली में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। एचपीसीबी की ओर से पेश अधिवक्ता ने ट्रिब्यूनल को जानकारी दी है कि 30 जून, 2019 से मनाली में वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट शुरु हो जाएगा। इसके अलावा कुल्लू और भूंतर में भी वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित करने के लिए काम तेज कर दिया गया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छह मई को गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के सदस्य सचिव को तलब किया है। दरअसल कच्छ जिले के भुज तालुका में लेर गांव स्थित आशापुरा ग्रुप ऑफ कंपनीज की यूनिट दोबारा खुलने के बावजूद न तो पर्यावरणीय मानकों का पालन कर रही है और न ही धूल प्रदूषण पर नियंत्रण के उपाय कर रही है। गुजरात पीसीबी ने यह जानकारी एनजीटी को दी। इस जानकारी के बाद एनजीटी ने कहा कि औद्योगिक ईकाई को सिर्फ नोटिस क्यों दिया गया? इसके विरुद्ध अभियोग की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यह न्याय नहीं है। अगली सुनवाई में अधिकारी पेश होकर इसका जवाब दें।

हरियाणा में सोनीपत जिले के कुंडली में सेक्टर 58 से 64 तक भवनों में न तो सीवेज सिस्टम की उचित व्यवस्था है और न ही कूड़े-कचरे का ठोस प्रबंधन किया जा रहा है। किसान उदय समिति की ओर से इन अव्यवस्थाओं के विरुद्ध छह मई, 2019 को याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के जरिए किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। उल्टे अधिकारियों और प्रदूषण करने वालों के बीच सांठ-गांठ है। इसका नतीजा है कि खुले में ही ठोस कचरा फेका जा रहा है। वहीं, एनजीटी ने याचिका पर गौर करने के बाद हरियाणा के मुख्य सचिव से एक महीने के भीतर ठोस कचरा अधिनियम और सीवेज प्रंबधन के पालन को लेकर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।