डाउन टू अर्थ और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की सालाना रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट जारी की गई 
पर्यावरण

स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2025: हाथियों के हमलों से इंसानों की मौतों में 36% की वृद्धि

डाउन टू अर्थ और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की सालाना रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट जारी

DTE Staff

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ की सालाना रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2025 आज जारी हुई। जी20 के शेरपा एवं नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सीएसई के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष एवं वित्त विशेषज्ञ राज लिब्रहान, सीएसई की महानिदेशक एवं डाउन टू अर्थ की संपादक सुनीता नारायण, डाउन टू अर्थ के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा एवं सीएसई के सीनियर डायरेक्टर (आउटरीच) सौपर्णो बनर्जी ने यह रिपोर्ट जारी की।

यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन, कचरा प्रबंधन, महामारी, वायु और जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण और खाद्य सुरक्षा जैसे विभिन्न विषयों और मुद्दों पर वार्षिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाओं का व्यापक दस्तावेजीकरण है।

स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट (एसओई ) 2025 में कहा गया है कि पिछले चार वर्षों में मेगाफौना जैसे हाथी और बाघ के हमलों से होने वाली इंसानों की मौतों के प्रचलन में बदलाव देने को मिल रहा है।

एसओई 2025 के अनुसार, जहां 2020-21 से 2023-24 के बीच हाथियों के साथ मुठभेड़ों के कारण इंसानों की मौतों में वृद्धि हुई, वहीं बाघों के हमलों से होने वाली मौतों में इसी अवधि में कमी आई।

रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में हाथी के हमलों के कारण 464 लोगों की मृत्यु हुई। यह संख्या 2021-22 में बढ़कर 545, 2022-23 में 605 और 2023-24 में 629 हो गई।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट और डाउन टू अर्थ के विश्लेषकों रजित सेनगुप्ता और किरण पांडे के अनुसार साल 2020-21 (अप्रैल-मार्च) से 2023-24 के बीच कम से कम 10 राज्यों में हाथी के हमलों से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई, जिससे कुल मिलाकर लगभग 36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

2023-24 में हाथी के हमलों में से होने वाली कुल मौतों में तीन राज्यों ओडिशा (154 मौतें), पश्चिम बंगाल (99 मौतें) और झारखंड (87 मौतें) की हिस्सेदारी आधे से अधिक रही।

इस बीच, पिछले दो वर्षों में हाथियों की मौतों में भी वृद्धि हुई है, जिनमें से मुख्य कारण बिजली का करंट लगना रहा।

साल 2019-20 में 99 हाथियों की मौत हुई, जिनमें से 76 बिजली के करंट से, 9 शिकार से और 14 ट्रेन दुर्घटनाओं से मरे। साल 2020-21 में 93 हाथियों की मौत हुई, जिनमें 65 बिजली के करंट से, 14 शिकार से, 2 जहर से और 12 ट्रेन दुर्घटनाओं से हुईं।

साल 2021-22 में 82 हाथियों की मौत हुई, जिनमें 57 बिजली के करंट से, 4 शिकार से, 6 जहर से और 15 ट्रेन दुर्घटनाओं से हुईं।

साल 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 133 हो गई (100 बिजली के करंट से, 14 शिकार से, 4 जहर से और 15 ट्रेन दुर्घटनाओं से)।

साल 2023-24 में 121 हाथियों की मौत हुई (94 बिजली के करंट से, 9 शिकार से, 1 जहर से और 17 ट्रेन दुर्घटनाओं से)।

बाघ के हमलों से मौतों में कमी

दूसरी ओर साल 2023 में बाघों के हमलों से होने वाली इंसानों की मौतों में 2022 की तुलना में 58 प्रतिशत की कमी आई।

एसओई 2025 के अनुसार साल 2023 में भारत में बाघों की मौतों में असामान्य वृद्धि देखी गई। इसके अलावा 2019 से हर साल बड़ी संख्या में बाघों की मौतों के कारणों का अब तक स्पष्ट निर्धारण नहीं किया गया है।