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हिमाचल प्रदेश के लोस उपचुनाव में क्यों 12926 लोगों ने दबाया नोटा का बटन

Rohit Prashar

जनजातीय जिलों किन्नौर और लाहौल स्पीति में प्रस्तावित हाइड्रो पावर प्रोजेक्टों का विरोध कर रहे युवाओं की नो मीन्स नो कैंपेन का असर उप चुनावों में देखने को मिला है। किन्नौर और लाहौल स्पीति जिले में बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए इन दोनों जिलों के युवाओं की ओर से नो मीन्स नो कैंपेन चलाने के साथ सरकार और राजनीतिक दलों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए उप चुनावों में नोटा का प्रयोग करने और चुनावों का बहिष्कार करने की अपील की थी।

इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा की हार हुई है, जबकि कांग्रेस की जीत। मंडी लोकसभा सीट के लिए हुए चुनाव के नतीजों में विजेता कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने  लगभग 6,000 मतों से जीत हासिल की। जबकि इस सीट में 12,926 वोट नोटा के लिए पड़े हैं। 

इसके अलावा यदि दोनों जिलों किन्नौर और लाहौल स्पीति में मतदान के प्रतिशत की बात करें तो इन दोनों जिलों में मतदान की दर बहुत कम रही है। किन्नौर में 54 फीसदी और लाहौल स्पीति में मतदान की दर केवल 56 फीसदी रही है। कम मतदान दर ने भी चुनाव के नतीजों में असर डाला है।

दरअसल, इन चुनावों में 30 अक्टूबर को हुए मतदान में किन्नौर की तीन पंचायतों आकपा, जंगी और रारंग पंचायत में लोगों ने चुनावों का बहिष्कार किया था। आकपा गांव के युवा सुंदर सिंह नेगी का कहना है कि हमारे गांव में जंगी ठोपन पावर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है और लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इसलिए लोगों ने चुनाव में भाग न लेने का फेसला लिया था। साथ ही किन्नौर के युवाओं ने नो मीन्स नो मुहिम के तहत चुनावों में नोटा का प्रयोग करने को लेकर भी मुहिम चलाई थी जिसका असर भी चुनाव के नतीजों में नोटा का भारी संख्या में प्रयोग के रूप में देखने को मिला है।

उप चुनाव के नतीजों के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री की ओर से भी नोटा के भारी प्रयोग को लेकर प्रतिक्रिया आई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इतनी भारी संख्या में नोटा के प्रयोग से चुनाव के नतीजों में असर देखने को मिला है। इसलिए हम इस पहलू को लेकर भी मंथन करेंगे कि लोगों ने इतनी संख्या में नोटा का प्रयोग क्यों किया।