रिन्यूएबल एनर्जी ट्रेडिंग केवल बाजार सम्बन्धी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक क्षेत्रीय स्तर की क्रांति है। भारत, नेपाल, भूटान, और बांग्लादेश के बीच अक्षय ऊर्जा व्यापार हानिकारक जीवाश्म ईंधनों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन की जगह ले सकता है और विशाल हाइड्रो-पावर संभावना के साथ नेपाल भारत के ऊर्जा संतुलन सम्बन्धी मांग को आसानी से पूरा कर सकता है।
इंटीग्रेटेड रिसर्च ऐंड ऐक्शन फॉर डेवलपमेंट के तकनीकी निदेशक वीके अग्रवाल ने भारत-नेपाल के बीच दिवपक्षीय व्यापार की संभावनाओं को लेकर यह बात कही।
सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने शुक्रवार को 'भारत-नेपाल सब-नेशनल एनर्जी ट्रेड' को प्रोत्साहन देने के लिए "पावरिंग इंडिया-नेपाल: लो कार्बन डेवलपमेंट पाथवे थ्रू ट्रांस बाउंड्री रिन्यूएबल एनर्जी ट्रेड" विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इसका उद्देश्य भारत और नेपाल के बीच साझा मुद्दों और ऊर्जा व्यापार के अवरोधों की पहचान करना तथा एक समुचित नीतिगत ढांचे पर विचार करना था, जिससे ऊर्जा व्यापार के क्षेत्र में परस्पर लाभ हो और दक्षिण एशिया के ये दोनों देश भी सतत विकास के पथ पर अग्रसर हों।
इस वेबिनार में भारत और नेपाल से बिजनेस लीडर्स, रिन्यूएबल एनर्जी डेवेलपर्स, थिंक टैंक, गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों, शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया।
नेशनल हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड, नेपाल के कार्यकारी अध्यक्ष और इंडेपेंडेंट पावर प्रोडूसर्स एसोसिएशन, नेपाल के उपाध्यक्ष कुमार पांडे ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में भारतीय एजेंसियों ने अंतर्देशीय व्यापार को लेकर बहुत अच्छा कार्य किया है। अब हम ऐसी अवस्था में हैं, जब ऊर्जा बाजार द्विपक्षीय व्यापार के लिए अनुकूल है। इसलिए गतिरोध के मुद्दों को सुलझा कर ऊर्जा व्यापार के क्षेत्र में नए युग में प्रवेश करने का यह सही समय है। इससे सभी स्टेकहोल्डर्स को फायदा होगा।”
हाइड्रो सोलूशन्स प्राइवेट लिमिटेड, नेपाल के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञाननेद्र लाल प्रधान ने वेबिनार में अपनी बात रखते हुए कहा कि “हाइड्रो पावर कोई विकल्प नहीं, बल्कि विवशता है और एक मजबूत साधन है, जो बाढ़ नियंत्रण, जलापूर्ति, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के अलावा पर्यावरण को स्वच्छ रखने में कारगर होगा। नेपाल से हाइड्रो पावर के निर्यात की असीम संभावनाएं हैं और यह क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।”
वेबिनार का संचालन करते हुए अभिषेक प्रताप (एनर्जी एक्सपर्ट, असर) ने कहा कि "जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कारगर ढंग से रोकने में अक्षय ऊर्जा की बड़ी भूमिका है, और इन ऊर्जा विकल्पों को सीमाओं तक सीमित नहीं रख कर सबको साझा किया जाना चाहिए। भारत-नेपाल अक्षय ऊर्जा व्यापार दोनों देशों के ऊर्जा संबंधी आकांक्षाओं और मांग को पूरा करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। आधारभूत संरचना को तैयार करने तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने के साथ-साथ दोनों देशों में सरकारों, बिजनेस संगठनों और अन्य पक्षों के बीच आपसी विश्वास को और सुदृढ़ करने की जरूरत है।
वेबिनार में इसके अलावा जो मुद्दे उभर कर सामने आये, उनमें एक द्विपक्षीय कानूनी और नियामकीय ढाँचे, नेपाल भारत और बांग्लादेश के बीच एक ग्रिड, तथा 'रीजनल एंसीलरी मार्केट' की जरूरत प्रमुख रहे। वेबिनार का समापन इस निष्कर्ष के साथ हुआ कि सब-नेशनल एनर्जी ट्रेड के तहत अक्षय ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक समुचित माहौल में मजबूत नीतिगत पहल और नियामकीय ढांचे की जरूरत है, जिससे कि अवरोधों को दूर कर साझा मुद्दों पर सहमति बन सकें और अन्य क्षेत्रों में संभावनाओं को तलाशा जा सके। इससे द्विपक्षीय संबंध बेहतर होंगे और कम कार्बन उत्सर्जन से ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि को सुनिश्चित किया जा सकेगा।