ऊर्जा

कोयले की आपूर्ति नहीं होने से राजस्थान में गहराया बिजली संकट

राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की असेसमेंट रिपोर्ट में साल 2022-23 में प्रदेश में बिजली की पीक आवर्स में डिमांड 17,757 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान

Anil Ashwani Sharma

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा राजस्थान को आवंटित कोयले की खदान से खनन की अनुमति नहीं दिए जाने के कारण राज्य में कोयला संकट की स्थिति पैदा हो गई है और इसके कारण राज्य में बिजली संकट गहरा गया है। यदि आंकड़ों में देखें तो राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की असेसमेंट रिपोर्ट में साल 2022-23 में प्रदेश में बिजली की पीक आवर्स में डिमांड 17,757 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। जबकि वर्तमान में राज्य में उपलब्ध कोयले की क्षमता के आधार पर उत्पादित होने वाली बिजली 12,847 मेगावाट ही रहने का अनुमान है। इस आधार पर राज्य को 4,910 मेगावाट बिजली की कमी पड़ेगी। 

राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने साल 2020-21 में 29,141 मिलियन यूनिट बिजली प्रोडक्शन किया था। 2021-22 में बढ़ोतरी के साथ 34, 287 मिलियन यूनिट बिजली प्रोडक्शन पहुंच गया। 2021 में जनवरी से अप्रैल तक 10, 719 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की गई। उस वक्त कोयला संकट नहीं था। जबकि 1 जनवरी से 23 अप्रैल, 2022 तक कोयला संकट के बीच 8,890 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की गई है। यानी कोयला संकट के कारण 1829 मिलियन यूनिट बिजली प्रोडक्शन घटा है।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि समय रहते राज्य को पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से कोयले की आपूर्ति के लिए कोयले का खनन करने क अनुमति नहीं मिलती है तो यह संकट और गहरा सकता है। वर्तमान में भी राज्य में औसतन प्रतिदन ग्रामीण और शहरों नियमित रूप से बिजली कटौती की जा रही है।  राजस्थान बिजली और कोयला संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है। राज्य सरकार द्वारा संकट से निपटने के लिए जमकर बिजली कटौती की जा रही है। कोयले की कमी के चलते राज्य में 5 सरकारी पावर प्लांट यूनिट ठप हैं। दूसरी ओर सरकार केन्द्रीय गाइडलाइंस के मुताबिक महंगा विदेशी कोयला खरीदने से भी हिचक रही है। राज्य सरकार ने वर्तमान में यदि कोयला स्टॉक मेंटेन नहीं किया तो आगे बिजली-कोयला संकट और बढ़ेगा।

कोयला मंत्रालय ने 25 अप्रैल, 2022 को राज्यों को कुल अलॉट कोयले का 10 फीसदी विदेशों से इम्पोर्ट करने की एडवाइजरी जारी की थी। जिसे राजस्थान में अब तक फॉलो नहीं किया है। राज्य में वर्तमान समय में बिजली संकट के लिए राज्य के सम्भागीय मुख्यालयों पर 1 घंटा, जिला मुख्यालयों पर 2 घंटा, नगरपालिका और 5 हजार से ज्यादा आबादी वाले कस्बों में 3 घंटा बिजली कटौती की जा रही है। इसके अलावा भी ग्रामीण क्षेत्र के फीडरों से बिजली कटौती हो रही है। किसानों को अब केवल 4 घंटे खेतीबाड़ी के लिए बिजली सप्लाई दी जा रही है। इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं पर शाम 6 से रात 10 बजे तक बिजली कंजंप्शन की 50 फीसदी तक तय लिमिट में बिजली दी जा रही है। इसके अलावा अनप्लांड शटडाउन, फीडर से लोड शेडिंग, फाल्ट और टेक्नीकल मेंटीनेंस के नाम पर भी बिजली कटौती हो रही है। बिजली की नियमित आपूर्ति के लिए राजस्थान को कम से कम अगले 3 महीने का कोयला स्टॉक रखने की जरूरत है।

देश में बिजली की मांग पिछले 38 सालों के हाईएस्ट लेवल पर पहुंच चुकी है। जबकि कोयले की सप्लाई मांग के मुताबिक बीते 10 सालों में सबसे कम है। सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक कोयला बेस्ड थर्मल पावर प्लांट्स की यूनिट्स को पूरी कैपेसिटी में चलाने के लिए 26 दिन का कोयला स्टॉक जरूरी है, लेकिन कोयले की अधिकता वाले ओडिशा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ राज्यों को छोड़कर बाकी प्रदेशों में इसकी भारी किल्लत हो गई है। नेशनल लेवल पर यह 36 फीसदी रह गया है। राजस्थान में 25 फीसदी ही कोयला स्टॉक है। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान में आयात बंद करने या रेलवे से समय पर सप्लाई नहीं मिलने से कोयले की कमी होना बताया है। इसका असर भी बिजली प्रोडक्शन पर पड़ रहा है।

राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के मुताबिक पूरे देश में इस साल अप्रैल में पड़ी भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग पिछले 38 सालों की तुलना में सबसे ज्यादा पहुंच गई थी। प्रदेश में कोल बेस्ड पावर प्लांट्स यूनिट्स की कुल कैपेसिटी 7,580 मेगावाट है। इनसे बिजली प्रोडक्शन के लिए रोजाना 27 रैक कोयले की सप्लाई जरूरी है। पूरा कोयला नहीं मिल पाने के कारण फुल कैपेसिटी पर प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है। मौजूदा समय में निगम की कोयला बेस्ड 5360 मेगावाट कैपेसिटी की कुल 17 यूनिट्स ही चल रही हैं। प्रदेश को छत्तीसगढ़ में अलॉट कोल माइंस से पूरी कैपेसिटी से माइनिंग फिर से शुरू करने में अभी और देरी होने की संभावना है। राजस्थान को कोयला उत्खनन की अनुमति देने के मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा है।

ध्यान रहे इस संबंध में बीते 25 मार्च, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ दौरा भी किया था और वहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ लंबी चर्चा हुई थी। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय कोयला मंत्री ने पहलाद जोशी 13 अक्टूबर 2022 को कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र से राजस्थान को आवंटित कोल ब्लॉक को रद्द करने का आग्रह किया है लेकिन भारत सरकार इसे रद्द नहीं करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने दोनों मुख्यमंत्रियों से बातचीत की है और इस मुद्दे को हल करने व खनन गतिविधियों को फिर से शुरू करने की उम्मीद जताई ताकि राजस्थान को वहां से 11 रैक (एक रैक में चार हजार टन कोयले का होता है) कोयला मिलते रहे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में राजस्थान को आवंटित खदान को रद्द करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से एक प्रस्ताव आया है, लेकिन हमने एक प्रक्रिया के तहत इसे राजस्थान को आवंटित किया है, इसलिए हम इसे रद्द नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सैद्धांतिक रूप से इसे रद्द नहीं करने के लिए एक स्टैंड लिया है। हमारा प्रयास होगा कि खनन गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाए ताकि राजस्थान को वहां से कोयला मिलता रहे। उन्होंने कहा कि राजस्थान समेत पूरे देश में ऊर्जा की मांग काफी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय राज्य सरकार को कोयले की आवश्यकता में पूरा सहयोग देने की कोशिश कर रहा है। यही नहीं जोशी ने कहा कि कोयले की आपूर्ति 12-13 रैक प्रतिदिन से बढ़ाकर 16.5 रैक प्रतिदिन की गई है ताकि राजस्थान में बिजली संयंत्रों को कोयले का संकट न हो। उन्होंने कहा कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है और कोयले के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन अब कोयले के इस्तेमाल पर कई तरह की पाबंदियां हैं।

ध्यान रहे कि राजस्थान के कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में परसा, परसा पूर्व, कांता बसन और कांटे एक्सटेंशन में हैं। इनमें से तीन ब्लॉक 2015 में राजस्थान को 4,340 मेगावाट उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए आवंटित किए गए थे।