ऊर्जा

पवन चक्कियों के पंखों से कटी डेढ़ सौ चीलें, जुर्माना 80 लाख डॉलर

अमेरिका की एक अदालत ने कंपनी पर इन पंक्षियों के संरक्षण के लिए अगले पांच सालों में 2.7 करोड़ डॉलर खर्च करने का भी आदेश दिया

Anil Ashwani Sharma

पृथ्वी पर बढ़ते तापमान को कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के प्रयास पूरी दुनिया युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं। लेकिन ध्यान रहे कि अक्षय ऊर्जा के तहत पवन ऊर्जा के उत्पादन के लिए विशेषतौर पर समुद्री तटों पर पवन चक्कियों का जाल बिछाया जाता है। और इन पवन चक्कियों के चलने के बाद उनके विशालकाय पंखों में फंसकर विश्वभर में बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हो जाती है।

हाल ही में अमेरिका में दुनिया की बड़ी कंपनियों में शुमार की जाने वाली अक्षय ऊर्जा कंपनी (नेक्स्टएरा एनर्जी की सहायक कंपनी ईएसआई एनर्जी) पर वहां की संघीय अदालत ने 80 लाख डालर का जुर्माना लगाया है क्योंकि इस कंपनी की पवन चक्कियों के पंखों से 150 चील कट कर मर गए।

यह नहीं अदालत ने कंपनी पर इन पंक्षियों के संरक्षण के लिए अगले पांच सालों में 2.7 करोड़ डॉलर खर्च करने का भी आदेश दिया। साथ ही कंपनी ने 2012 में भी उसकी पवन चक्कियों के पंखों से बड़ी संख्या में चीलों की मौतों को भी स्वीकार किया।

दूसरी ओर पिछले दो सालों से राजस्थान के जयपुर की संभार झील में कौवों की मौत का मामला हो या जैसलमेर में गिद्धों की मौत का मामला अब तक राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने केवल औपचारिकता पूरी करते हुए कागजी कार्रवाई करके ही अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली। अब तक किसी पर भी कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है।

अमेरिका में 150 चीलों की मौतें उसके आठ पश्चिमी प्रांतों (व्योमिंग, कैलिफोर्निया, न्यू मैक्सिको, नॉर्थ डकोटा, कोलोराडो, मिशिगन, एरिजोना और इलिनोइस ) के समुद्री तटों पर लगी पवन चक्कियों के विशालकाय पंखों से हुई।

ध्यान रहे कि नेक्स्टएरा एनर्जी की सहायक कंपनी ईएसआई एनर्जी को अदालत में पेशी के दौरान प्रवासी पक्षी संधि अधिनियम के उल्लंघन के तीन मामले दोषी पाया गया। फ्लोरिका के जूनो समुद्री तट पर स्थित नेक्स्टएरा कंपनी जो बाजार मूल्य के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में शुमार है, अमेरिका में 150 और कनाडा में 100 से अधिक पवन फार्म (जहां पवन चक्कियां लगाई जाती हैं) हैं।

अदालत में अभियोजकों ने कहा कि सभी चील पवन के पंखों से टकरा गए थे। अभियोजकों ने कहा कि यह वह कंपनी जिसे अक्षय ऊर्जा उत्पादन के मामले में करोड़ों डॉलर की टैक्स छूट मिलती है।

यह मामला इतना इसलिए गर्मा गया क्योंकि मारे गए चील दो ऐसी प्रजाति के हैं, जिनकी संख्या लगातार कम होते जा रही है। पहला है बॉल्ड और दूसरा है सुनहरा चील।

ध्यान रहे कि बॉल्ड चील सत्रवींय शताब्दी में अमेरिका का राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में जाना जाता था। लेकिन बाद के समय में डीडीटी और अन्य हानिकारक कीटनाशकों के कारण पिछली शताब्दी में इसकी आबादी को व्यापक रूप से नुकसान हुआ।

20वीं सदी के मध्य तक कुछ सौ बॉल्ड चील ही बच गए थे। 1972 में डीडीटी पर प्रतिबंध लगा दिया गया और इनके सरकारी संरक्षण के प्रयासों ने इनकी जनसंख्या को फिर से बढ़ाने में मदद की। बॉल्ड चील को 2007 में लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम संरक्षण से हटा दिया गया था और अब 2019 में  इनकी अनुमानित संख्या बढ़कर 3,16,700 से अधिक हो गई है।

हालांकि अदालती दस्तावेजों के अनुसार पवन चक्कियों के पंखों से मारे गए अधिकांश चील सुनहरे चील थे। यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस के प्रमुख और चील शोधकर्ताओं द्वारा पिछले सप्ताह जारी एक अध्ययन के अनुसार, पश्चिमी अमेरिका में लगभग 31,800 सुनरहे चील हैं, जिनमें लगभग 2,200 से अधिक प्रतिवर्ष  मानवीय कारणों से मारे जाते हैं।

इस अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि पवन ऊर्जा के विकास और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण सुनहरे चीलों की मौत भविष्य में और बढ़ सकती है।