ऊर्जा

भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 125 फीसदी बढ़ा निवेश, रिकॉर्ड 1.13 लाख करोड़ रुपए किया गया दर्ज

Lalit Maurya

भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र नित नए कीर्तिमान बना रहा है जोकि ऊर्जा के साथ-साथ जलवायु के दृष्टिकोण से भी अच्छी खबर है। हाल ही में इस क्षेत्र में होते निवेश को लेकर जारी एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान इस क्षेत्र में रिकॉर्ड 1.13 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश निवेश हुआ है।

देखा जाए तो यह इस निवेश का ही परिणाम है कि इस वर्ष में भारत ने अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता में 15.5 गीगावाट का इजाफा किया है। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस (आईईईएफए) द्वारा जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक यदि पिछले वर्ष के आंकड़ों से तुलना करें तो इस क्षेत्र में होते निवेश में 125 फीसदी की वृद्धि हुई है।

गौरतलब है कि गत वित्तीय वर्ष (2020-21) में इस क्षेत्र में करीब 49,838 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। वहीं महामारी से पहले 2019-20 वित्तीय वर्ष में यह निवेश करीब 65,222 करोड़ रुपए था। मतलब की महामारी से पहले की तुलना में इस क्षेत्र में होते निवेश में करीब 72 फीसदी की वृद्धि आई है।

रिपोर्ट की मानें तो अक्षय ऊर्जा में बढ़ते निवेश की सबसे बड़ी वजह महामारी के बाद से इसकी मांग में लगातार होती वृद्धि है। वहीं जिस तरह से बैंक, निगमों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने जिस तरह से जीवाश्म ईंधन से दूर जाने पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है उसका असर अक्षय ऊर्जा में होते निवेश पर भी पड़ा है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में होता निवेश तेजी से बढ़ रहा है।

450 गीगावाट के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभी भी काफी नहीं है यह निवेश

इस बारे में रिपोर्ट और आईईईएफए से जुड़ी शोधकर्ता विभूति गर्ग का कहना है कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में होते निवेश के पीछे कोरोना में आई गिरावट के बाद बिजली की बढ़ती मांग और वित्तीय संस्थानों द्वारा नेट जीरो एमिशन को लेकर जताई अपनी प्रतिबद्धता के कारण है जिसकी वजह से वो तेजी से जीवाश्म ईंधन से दूर जा रहे हैं।

हालांकि इस बढ़ते निवेश के बावजूद आईईईएफए का मानना है कि भारत द्वारा अक्षय ऊर्जा को लेकर अपने लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं उनको हासिल करने के लिए काफी नहीं है। देखा जाए तो भारत में अक्षय ऊर्जा की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता अभी 156 गीगावाट है, जिसमें पनबिजली उत्पादन क्षमता भी शामिल है। ऐसे में यदि भारत को इस साल के अंत तक 175 गीगावाट का लक्ष्य हासिल करना है तो उसे एक लम्बा रास्ता तय करना बाकी है।

रिपोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि यदि भारत को 2030 तक अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को 450 गीगावाट करना है तो उसको इस क्षेत्र में होते निवेश को दोगुना करना होगा। मतलब कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अक्षय ऊर्जा पर हर साल 3 लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश करना होगा।

1 डॉलर = 78.01 रुपए