दुनिया भर में तेल पाइपलाइनों के किए जा रहे विस्तार के मामले में भारत, अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। पता चला है कि देश करीब 1,630 किलोमीटर लम्बी तेल पाइपलाइनों के निर्माण में लगा हुआ है। वहीं भारत द्वारा 1,194 किलोमीटर लम्बी तेल पाइपलाइन प्रस्तावित हैं। यह जानकारी अंतराष्ट्रीय संगठन ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है। जो ग्लोबल आयल इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रैकर 2023 के वार्षिक सर्वेक्षण पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार निर्माणाधीन और प्रस्तावित तेल पाइपलाइनों के मामले में भारत के साथ अन्य चार प्रमुख देश अमेरिका, इराक, ईरान और तंजानिया हैं। वहीं वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया भर में करीब 9,130.88 किलोमीटर लम्बी तेल पाइपलाइनें निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। वहीं 21,929.28 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइनें प्रस्तावित हैं।
इन पाइपलाइनों के विकास पर होने वाले खर्च को देखें तो वो करीब 10.8 लाख करोड़ रुपए (13,190 करोड़ डॉलर) से ज्यादा है। इन पाइपलाइनों के विकास में लगे पांच प्रमुख देशों के आंकड़ों को देखें तो इसमें पहले स्थान पर अमेरिका है, जो करीब 2834.06 किलोमीटर लम्बी तेल लाइनों के विस्तार में लगा हुआ है।
इसके बाद दूसरे स्थान पर भारत और फिर 2463.78 किलोमीटर के साथ इराक तीसरे स्थान पर है। इसी तरह ईरान में 2,035 और तंजानिया में 2,025.4 किलोमीटर लम्बी तेल पाइपलाइनें प्रस्तावित या निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। भारत कच्चा तेल ढोने के लिए कुल मिलकर 9,051.17 किलोमीटर लम्बी तेल पाइपलाइनों का निर्माण कर चुका है, जबकि 1,338 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइनों को रद्द कर दिया है।
वहीं यदि क्षेत्रीय तौर पर देखें तो अफ्रीका और मध्य पूर्व इस मामले में सबसे आगे हैं। जिनकी इन निर्माणाधीन और प्रस्तावित तेल पाइपलाइन परियोजनाओं में 49 फीसदी की हिस्सेदारी है। इन दो क्षेत्रों में 4,400 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइनें निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं जिनकी कुल लागत करीब 118,428 करोड़ रुपए (1,440 करोड़ डॉलर) है। साथ ही इन क्षेत्रों में 491,807 करोड़ रुपए (5,980 करोड़ डॉलर) के खर्च पर बनने वाली पाइपलाइनें प्रस्तावित हैं।
सबसे लम्बी परियोजनाओं में भारत की पारादीप नुमालीगढ़ क्रूड पाइपलाइन भी है शामिल
वैश्विक स्तर पर देखें तो करीब 31,060.16 किलोमीटर लम्बी परियोजनाएं निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। जो पिछले वर्ष की तुलना में 30 फीसदी की वृद्धि को दर्शाती हैं। आंकड़ों के मुताबिक तेल पाइपलाइनों के विकास में लगी शीर्ष पांच कंपनियां या तो राज्य के आधीन या फिर निजी हैं। इनमें ईरान का पेट्रोलियम मंत्रालय, चीन का राष्ट्रीय पेट्रोलियम निगम, इराक का तेल मंत्रालय, भारत की नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड और फ्रांस की टोटल एनर्जी शामिल हैं।
पता चला है कि निर्माण के विभिन्न चरणों में जो पाइपलाइन परियोजनाएं सबसे लम्बी हैं उनमें भारत और भारत की पारादीप नुमालीगढ़ क्रूड पाइपलाइन (पीएनसीपीएल) है। इस परियोजना की कुल लम्बाई 1,630 किलोमीटर और होने वाला अनुमानित खर्च 400 करोड़ डॉलर है। वहीं 1,950 किलोमीटर लंबी नाइजर-बेनिन तेल पाइपलाइन इस मामले में सबसे लम्बी परियोजना है। यह दोनों ही परियोजनाएं 2024 तक पूरी हो सकती हैं।
वहीं तीसरे नंबर पर कनाडा की ट्रांस माउंटेन ऑयल पाइपलाइन है जो 980 किलोमीटर लम्बी है। इसके 2023 में शुरू होने की सम्भावना है। वहीं प्रस्तावित परियोजनाओं की लिस्ट में भारत की एक और परियोजना न्यू मुंद्रा-पानीपत आयल पाइपलाइन का भी जिक्र है, जो 1,194 किलोमीटर लम्बी है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत करीब 9,869 करोड़ रुपए (120 करोड़ डॉलर) है।
एक डॉलर = 82.24 भारतीय रुपए