खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण पर एथेनॉल मिश्रण का प्रभाव
आज सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में कहा कि 2014-15 से पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम के चलते जनवरी 2025 तक किसानों को 1,04,000 करोड़ रुपये से अधिक का त्वरित भुगतान हुआ है। इसके अलावा 1,20,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है, लगभग 626 लाख मीट्रिक टन की शुद्ध सीओ2 कमी आई है और 200 लाख मीट्रिक टन से अधिक कच्चे तेल का प्रतिस्थापन हुआ है।
जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति मक्का, कसावा, सड़े हुए आलू, टूटे हुए चावल जैसे क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, जो लोगों के उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं, मक्का, गन्ने का रस और गुड़, कृषि अवशेष (चावल का भूसा, कपास का डंठल, मकई के दाने, चूरा, खोई आदि) जैसे फीडस्टॉक के उपयोग को बढ़ावा देती है और प्रोत्साहित करती है।
एथेनॉल उत्पादन के लिए व्यक्तिगत फीडस्टॉक के उपयोग की सीमा सालाना बदलती रहती है, जो उपलब्धता, लागत, आर्थिक व्यवहार्यता, बाजार की मांग और नीतिगत प्रोत्साहन जैसे कारणों से प्रभावित होती है। एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस, उसके उप-उत्पादों, मक्का आदि का उपयोग संबंधित विशेषज्ञों के परामर्श से सावधानीपूर्वक किया जाता है।
ऊर्जा दक्षता और सतत कार्य पर सम्मेलन का परिणाम
सदन में पूछे गए एक पश्न के उत्तर में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में बताया कि फरवरी, 2025 में “सतत शीतलन और ऊर्जा दक्षता सुधार की दर को दोगुना करने” पर विचार-विमर्श के लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। सम्मेलन ने सतत शीतलन को आगे बढ़ाने सहित सभी मांग क्षेत्रों में प्रमुख हस्तक्षेपों के माध्यम से 2030 तक ऊर्जा दक्षता सुधार की दर को दोगुना करने के लिए एक रोडमैप का सुझाव दिया है।
इसके अलावा उपरोक्त सम्मेलन के दौरान आम सहमति बनी कि वर्ष 2030 तक धीरे-धीरे सुधार के माध्यम से ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने का लक्ष्य पूरा किया जाएगा। तदनुसार, भारत की ऊर्जा तीव्रता सुधार दर, जो 2024 में लगभग 2.5 फीसदी है, को साल 2030 में धीरे-धीरे बढ़ाकर चार फीसदी करने की जरूरत पड़ेगी।
देश में थर्मल पावर प्लांट
थर्मल पावर प्लांट को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में बताया कि 28 फरवरी, 2025 तक देश में कुल 281 थर्मल पावर प्लांट (कोयला, लिग्नाइट, गैस और डीजल) हैं। सबसे ज्यादा थर्मल पावर प्लांट (हर राज्य में 27) महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हैं।
बिना जीवाश्म ईंधन स्रोतों से बिजली उत्पादन क्षमता
सदन में सवालों का सिलसिला जारी रहा, इसी क्रम में एक और प्रश्न के उत्तर में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में बताया कि 28 फरवरी, 2025 तक, बिना जीवाश्म ईंधन स्रोतों से देश की बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 223 गीगा वाट (गीगावाट) थी, जिसमें लगभग 215 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता शामिल है। चालू वित्त वर्ष के दौरान, अब तक लगभग 24 गीगावाट आरई क्षमता जोड़ी गई है।
खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किए गए गांव
आज जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने राज्यसभा में उठे एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत अब तक 2.53 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसर (सीएससी) और 11.83 करोड़ व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) का निर्माण किया गया है। (बी) 20 मार्च, 2025 तक 5,64,157 गांवों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) प्लस (आकांक्षी 1,11,657, उभरते-7,337, मॉडल-4,45,163) घोषित किया है।
अमृत की उपलब्धि
सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने राज्यसभा में कहा कि अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) 25 जून 2015 को देश भर के चयनित 500 शहरों और कस्बों में शुरू किया गया था। मिशन चयनित शहरों और कस्बों में जल आपूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, स्टॉर्म जल निकासी, पेड़-पौधों वाली जगहें और पार्क, बिना यातायात वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर आधारित है।
राज्य व केंद्र शासित राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 77,640 करोड़ रुपये के स्वीकृत योजना आकार के मुकाबले 83,578 करोड़ रुपये की 6,010 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 79,401 करोड़ रुपये के कार्य पूरे हो चुके हैं। अमृत मिशन के तहत 4,447 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवरेज उपचार क्षमता (एसटीपी) और 4,734 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) जल उपचार क्षमता (डब्ल्यूटीपी) विकसित की गई है।
ऋषिकेश में प्रदूषण
ऋषिकेश में प्रदूषण को लेकर पूछे गए एक पश्न के उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को मंत्रालय द्वारा जनवरी 2019 में लॉन्च किया गया था, जिसका लक्ष्य उत्तराखंड के ऋषिकेश सहित 130 गैर-प्राप्ति शहरों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना था।
एनसीएपी में वर्ष 2017-18 में आधार रेखा की तुलना में 2024-25 तक पीएम10 सांद्रता में 20-30 फीसदी की कमी लाने की परिकल्पना की गई है। वर्ष 2019-20 में आधार रेखा की तुलना में पीएम10 के स्तर में 40 फीसदी तक की कमी लाने या 2025-26 तक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (60 माइक्रोग्राम/घन मीटर) की उपलब्धि हासिल करने के लिए लक्ष्य को संशोधित किया गया है।
वायु गुणवत्ता सुधार उपायों को अपनाने के लिए शहर की कार्य योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रदर्शन से जुड़े अनुदान के रूप में वित्त वर्ष 2019-20 से अब तक ऋषिकेश को 9.78 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है।