ऊर्जा

संसद में आज: हिमालयी इलाकों में बन रही हैं 30 बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं

जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित परिवार के पुनर्वास के लिए सरकार ने 45 करोड़ रुपए किए जारी

Madhumita Paul, Dayanidhi

हिमालयी क्षेत्र में जल विद्युत परियोजनाएं

वर्तमान में, 11137.50 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली 30 बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं (एचईपी) (25 मेगावाट स्थापित क्षमता से ऊपर) हैं जो देश के विभिन्न राज्यों में हिमालयी इलाकों में विकसित की जा रही हैं। इन परियोजनाओं में से, कुल 10381.5 मेगावाट की 23 जलविद्युत परियोजनाएं सक्रिय निर्माणाधीन हैं और कुल 756 मेगावाट की  सात जल विद्युत परियोजनाओं का काम रुका हुआ है, यह आज ऊर्जा और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने लोकसभा में बताया।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के कायाकल्प के लिए अपशिष्ट जल उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, रिवर फ्रंट मैनेजमेंट (घाट और श्मशान घाट विकास), ई-फ्लो, वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण और सार्वजनिक भागीदारी आदि जैसे हस्तक्षेपों की एक व्यापक श्रेणी बनाई गई है।

अब तक, 32,912.40 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 409 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 232 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और उन्हें चालू कर दिया गया है।

अधिकांश परियोजनाएं सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से संबंधित हैं क्योंकि अनुपचारित घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट जल नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण है। 5,269.87 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता के निर्माण और पुनर्वास के लिए 26,673.06 करोड़ रुपये की लागत से 177 सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं और लगभग 5,213.49 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाया गया है, इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में दी।

सौर शहरों की स्थापना

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने सभी राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों से सौर शहर के रूप में विकसित किए जाने वाले कम से कम एक शहर की पहचान करने का अनुरोध किया है। अब तक, 26 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों ने सौर शहरों के रूप में विकसित किए जाने वाले शहरों की पहचान की  है। छत्तीसगढ़ राज्य ने सौर शहर के रूप में विकसित होने के लिए नए रायपुर शहर को चुना है और तमिलनाडु राज्य ने अभी तक शहर को सौर शहर के रूप में विकसित करने के बारे में जानकारी नहीं दी है, यह आज ऊर्जा और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने लोकसभा में बताया।

ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों का पर्यावरणीय प्रभाव

मंत्रालय ने संशोधित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 में परियोजना के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के व्यापक मूल्यांकन के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया का वर्णन किया है। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ ट्रांस-हिमालयी इलाकों में स्थित परियोजना के स्थान को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों के आकलन के लिए विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) द्वारा विचार प्रक्रिया के चार चरणों अर्थात जांच, दायरे, सार्वजनिक परामर्श और मूल्यांकन को शामिल किया गया है।

विशिष्ट परियोजनाओं के संदर्भ में पूर्वोक्त और अन्य संबंधित कारणों का अध्ययन पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, पर्यावरण प्रबंधन योजना की तैयारी का आधार बनता है। इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी। 

जंगली जानवरों की आबादी के नियंत्रण के लिए गर्भनिरोधक उपाय

मानव वन्यजीव संघर्ष में शामिल प्रजातियों की आबादी के प्रबंधन पर मंत्रालय ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून को 10.65 करोड़ रुपये की लागत की एक परियोजना को मंजूरी दी है, जिसमें हाथी, जंगली सुअर, रीसस मकाक और नीलगाय के चार प्रजातियों की आबादी के प्रबंधन के लिए प्रतिरक्षा गर्भनिरोधक उपायों पर अध्ययन करना शामिल है। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया। 

देश में नदियों का कायाकल्प

राष्ट्रीय वनीकरण और पर्यावरण-विकास बोर्ड (एनएईबी), केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारतीय परिषद वानिकी अनुसंधान और शिक्षा (आईसीएफआरई), देहरादून को 13 प्रमुख भारतीय नदियों अर्थात झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, के कायाकल्प के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम सौंपा है। वानिकी हस्तक्षेप के माध्यम से सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी 13 नदियों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) कार्यान्वयन के लिए संबंधित राज्य को भेजी गई है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी। 

जोशीमठ में भू-धंसाव के लिए मुआवजा

राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 863 भवनों में दरारें देखी गई हैं और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 995 सदस्यों वाले 296 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। राज्य सरकार ने प्रत्येक प्रभावित परिवार के पुनर्वास के लिए 1,00,000 रुपये अग्रिम और 50,000 रुपये विस्थापन भत्ता के भुगतान के आदेश जारी किए हैं। इसके लिए 45 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं। 30.01.2023 तक, कुल 235 प्रभावित परिवारों को राहत सहायता के रूप में 3.50 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, यह आज कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय और प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया।

ई-कचरे का प्रबंधन

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 22 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 567 संख्या में ई-कचरा रिसाइकलर अथवा डिसमेंटलर स्थित हैं, जिनकी कुल  वार्षिक क्षमता 17,22,624.27 टन प्रति वर्ष है, जिनमें से ई-कचरा रिसाइकलरों की संख्या 208 है। हर साल 10,68,837.87 टन की कुल स्थापित रीसाइक्लिंग क्षमता है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 21 प्रकार के अधिसूचित विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से ई-कचरा उत्पन्न होने का अनुमान है जो 16,01,155.36 टन था। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान एकत्रित और संसाधित ई-कचरे की मात्रा 5,27,131.57 टन रही, इस बात की जानकारी आज पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा को दी।