ऊर्जा

कोरोना राहत पैकेज: डिस्कॉम्स के 90 हजार करोड़ रुपए से किसे होगा फायदा?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को 90 हजार करोड़ रुपए दिए जाएंगे

Kundan Pandey

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए की घोषणा की थी। इसमें से 90 हजार करोड़ रुपए बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को दिए जाएंगे। यह जानकारी 13 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार की मंशा डिस्कॉम्स की बजाय बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों (जेनको) तक पैसा पहुंचाना है।

दरअसल, सरकार को डर है कि आने वाले दिनों में पूरे देश में बिजली संकट के कारण ब्लैकआउट हो सकता है, क्योंकि कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में किए गए लॉकडाउन की वजह से बिजली बनाने वाली कंपनियों के पास नगदी संकट खड़ा हो गया है।

वित्त मंत्र ने 13 मई को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में स्वीकार किया कि लॉकडाउन की वजह से डिस्कॉम्स के राजस्व में राजस्व में गिरावट आई है, क्योंकि बिजली की मांग में अभूतपूर्व कमी आई है। इससे नगदी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

सीतारमण के मुताबिक, डिस्कॉम पर जेनको का करीब 94,000 करोड़ रुपया बकाया है।

उन्होंने कहा कि सरकार के स्वामित्व वाली पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और ग्रामीण इलेक्ट्रिकल कॉरपोरेशन (आरईसी) डिस्कॉम को 90,000 करोड़ रुपए की तरलता देगी।

हालांकि केंद्र ने कहा कि उसने डिस्कॉम को एक तरलता की कमी दूर करने के लिए यह कदम उठाया है, लेकिन यह राशि जेनको को सीधे दे दी जाएगी।

लॉकडाउन की वजह से डिस्कॉम और जेनको को बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ रही है। डिस्कॉम - अपने पुराने बकाया का भुगतान करने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनके राजस्व का बड़ा हिस्सा कॉमर्शियल और औद्योगिक इकाइयों से मिलता है, जो लॉकडाउन की वजह से बंद हैं।

जबकि घरेलू उपभोक्ता और किसान - जिन्हें रियायती दर पर बिजली मिलती है - वे अपने बिजली के बिल का भी भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहां डिस्कॉम के खाते अब लगभग खाली हो गए हैं।

जून 2019 में, केंद्र सरकार ने डिस्कॉम को जेनको के पक्ष में ऋण पत्र (एलसी) खोलने के लिए एक आदेश दिया था। इस आदेश में एक प्रावधान था, जिसमें कहा गया था कि अगर डिस्कॉम 45 दिनों में अपना बकाया भुगतान करने में विफल रहे तो एलसी में जमा की गई राशि सीधे जेनको में जाएगी।

हालांकि, केंद्र सरकार अब पीएफसी और आरईसी के माध्यम से सीधे जेनको का भुगतान करेगी, जबकि सीतारमण ने घोषणा की है कि डिस्कॉम को पैसा दिया जाएगा, लेकिन सूत्र बताते हैं कि ऐसा सिर्फ कागजों में होगा। पीएफसी और आरईसी सीधे जेनको को पैसा देंगी।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि यह पैसा डिस्कॉम्स को दिया जाना चाहिए ना कि जेनको को। क्योंकि डिस्कॉम्स पर निजी बिजली उत्पादन घरों और केंद्रीय क्षेत्र के बिजली उत्पादन घरों का कुल बकाया 94000 करोड़ रु है और केंद्र सरकार ने 90000 करोड़ रुपए दिए है तो स्पष्ट हो जाता है कि राज्यों की बिजली कंपनियों के लिए इस पॅकेज में कुछ नहीं है। केंद्र सरकार यह धनराशि राज्य सरकारों द्वारा गारंटी देने पर कर्ज के रूप में दे रही है और यह समझना मुश्किल नहीं है कि लॉकडाउन  के चलते भारी नुक्सान उठा रही राज्यों की बिजली वितरण कम्पनियाँ इस कर्ज को कैसे अदा करेंगी। केंद्र सरकार अगर मदद करना चाहती है तो कर्ज के बजाय उसे अनुदान देना चाहिए। 

उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि केंद्र व राज्य के सरकारी विभागों पर डिस्कॉम्स का 70,000 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व बकाया है। अकेले उत्तर प्रदेश में ही सरकारी विभागों पर 13,000 करोड़ रुपए बकाया है। यदि सरकारें अपना बकाया ही दे दे तो राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को केंद्र सरकार से कोई कर्ज लेने की जरूरत नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में निजी घरानों की चिंता के साथ सरकारों को अपने बिजली राजस्व के बकाये का भुगतान भी सुनिश्चित करना चाहिए अन्यथा 90,000 करोड़ रु के इस कर्ज के बोझ तले दबी वितरण कम्पनियाँ कैसे और कब तक अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर सकेंगी |

हालांकि, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस कर ऊर्जा अर्थशास्त्री विभूति गर्ग कहती हैं कि जब तक वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) की स्थिति में सुधार नहीं होता है, तब तक यही स्थिति रहेगी। मुझे लगता है कि यह अच्छा है क्योंकि डिस्कॉम का नुकसान लगातार बढ़ रहा है, उसे रोकना होगा। ऐसे में, अगर जेनको को सीधा पैसा पहुंचाया जाता है तो यह एक अच्छा तरीका हो सकता है।