केंद्र सरकार ने कहा है कि कोल इंडिया लिमिटेड और इसकी सहायक कंपनियों ने 22 नई कोयला खानें खोलने की योजना बनाई है। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल में सरकार ने कहा कि इन 22 कोयला खानों के लिए 5966.84 हेक्टेयर (लगभग 14,744 एकड़) वन भूमि को उपायोग में लाया जाएगा।
3 फरवरी को संसद सदस्य संजीव कुमार शिंगरी ने कोयला मंत्री से पूछा था कि क्या सरकार नई कोयला खदानें खोलने की योजना बना रही है? यदि हां, तो ये प्रस्तावित नई खदानें कहां होंगी और इनके लिए कितनी वन भूमि को उपयोग में लाया जाएगा।
कोयला मंत्री ने जवाब दिया कि 22 नई कोयला खानें खोली जानी हैं और ये खानें झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में होंगी।
मंत्री ने बताया कि झारखंड में आठ खानों के लिए 2,756.62 हेक्टेयर वन भूमि को उपयोग में लाया जाएगा। जबकि मध्य प्रदेश में 7 खानों के लिए 838.03 हेक्टेयर वन भूमि का इस्तेमाल होगा, इसी तरह छत्तीसगढ़ में 2,022.48 हेक्टेयर वनभूमि पर छह खानें बनाई जाएंगी। ओडिशा में एक खान के लिए 349.71 हेक्टेयर वनभूमि का इस्तेमाल किया जाएगा।
कोयला मंत्री ने यह भी बताया कि हाल ही में 19 कोयला खानों की नीलामी की गई है। मंत्री ने उन निजी कंपनियों का भी हवाला दिया है, जो नीलामी हासिल करने में सफल रही।
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के मुताबिक, देश की प्राथमिक ऊर्जा की लगभग 55 प्रतिशत खपत कोयले से पूरी होती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों के दौरान देश में कोयला उत्पादन के प्रति सरकार ने अपना ध्यान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है और हम कोयले के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक हैं तो फिर हम दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक क्यों नहीं बन सकते?
उल्लेखनीय है कि कोयला मंत्रालय और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 2010 में एक अध्ययन के बाद भारत के कोयला भंडार को “गो” एवं “नो-गो” क्षेत्रों में वर्गीकृत किया था। इस अध्ययन में कहा गया कि जंगलों को बचाने के लिए नो-गो क्षेत्रों में खनन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। ये जैव विविधता से भरपूर घने वन क्षेत्र थे और इसलिए, यहां खनन पर प्रतिबंध आवश्यक था।
जून 2020 में केंद्र सरकार ने 41 कोयला ब्लॉकों की नीलामी शुरू की थी। इस पर डाउन टू अर्थ ने गहराई से पड़ताल करने के बाद एक रिपोर्ट छापी थी। पढ़ें, पूरी रिपोर्ट - खास रिपोर्ट: कोयले का काला कारोबार-एक