राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव के लिए पांच फरवरी 2025 को मतदान होगा और आठ फरवरी को मतगणना होगी। चुनाव की घोषणा से पहले जारी अंतिम मतदाता सूची के मुताबिक लगभग 1.55 करोड़ मतदाता 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान करेंगे, लेकिन माना जा रहा है कि सत्ता की चाबी महिलाओं के पास होगी, जिनकी संख्या 71.73 लाख है। यही वजह है कि सत्ता की दौड़ में शामिल तीनों प्रमुख राजनीतिक दल महिलाओं को नगद हस्तांतरण का वादा कर रहे हैं।
तीनों प्रमुख दलों ने महिलाओं को नगद हस्तांतरण की घोषणा की है। आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को 2,100 रुपए, कांग्रेस ने 2,500 रुपए और भारतीय जनता पार्टी ने भी 2,500 रुपए महीना देने की घोषणा की है। भाजपा ने मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव में महिलाओं के लिए इस तरह की योजनाओं की घोषणा की थी। माना जाता है कि इन योजनाओं की वजह से भाजपा को अच्छी-खासी बढ़त भी मिली।
मध्य प्रदेश चुनाव से पहले ही भाजपा ने लाडली बहना योजना की शुरुआत की थी और 1,000 रुपए प्रति महिला भुगतान किया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने रीवा में आयोजित एक राज्यस्तरीय समारोह में 1.25 करोड़ महिलाओं के खाते में 1-1 हजार रुपए की राशि का अंतरण किया, जो उस समय 1209 करोड़ रुपए थी। जीत के बाद इस राशि को बढ़ा कर 1,250 रुपए कर दिया गया। हाल ही में दिसंबर 2024 की किस्त 1.27 करोड़ महिलाओं को 1,553 करोड़ रुपए दिए गए। यहां यह उल्लेखनीय है कि चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं ने वादा किया था कि 1,000 रुपए की राशि को धीरे-धीरे बढ़ा कर 3,000 रुपए कर दिया जाएगा। यह कब तक होगा, अभी स्पष्ट नहीं है।
मध्यप्रदेश जीतने के बाद भाजपा ने यही नुस्खा महाराष्ट्र में आजमाया और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लगभग 2.34 करोड़ महिलाओं को 1,500 रुपए प्रति माह की राशि वितरित की। साथ ही चुनावी घोषणा पत्र में इसे बढ़ा कर 2,100 रुपए प्रति माह करने का वादा किया गया। लेकिन सरकार बनने के बाद आरोप लग रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार लाभार्थियों की संख्या कम करने का प्रयास कर रही है। वहीं, अभी महिलाओं को 1,500 रुपए ही मिल रहे हैं। सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि इस साल के बजट में यह राशि बढ़ाई जाएगी।
महाराष्ट्र के साथ-साथ हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव हुए थे और भाजपा ने हरियाणा में भी महिलाओं को नगद हस्तांतरण का नुस्खा आजमाय गया। यहां लाडो लक्ष्मी योजना के तहत ‘सभी’ महिलाओं को 2,100 रुपए प्रति माह देने का वादा किया गया। यहां भी भाजपा कामयाब हुई। अक्टूबर 2024 में भाजपा की सरकार बन गई, लेकिन 30 जनवरी 2025 तक महिलाओं को एक भी किस्त नहीं दी गई है। यह राशि कितनी होगी, अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। राशि कितनी महिलाओं को दी जाएगी, यह भी स्पष्ट नहीं है।
भाजपा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से महिलाओं को नगद हस्तांतरण की योजनाएं लागू कर चुकी है या कर रही हैं। लेकिन योजना की शर्त लगभग समान हैं। नगद राशि उन्हीं महिलाओं को दी जा रही है, जिनके परिवार की सालाना आय 2.50 लाख रुपए से कम हो। साथ ही, उन्हें किसी अन्य योजना के तहत घोषित राशि प्रति माह से अधिक मिल रही है तो उन्हें यह राशि नहीं दी जाएगी। राशि 21 से 60 साल की उम्र की महिलाओं को दी जाएगी।
दिल्ली में अलग क्या
दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले महिलाओं को 2,100 रुपए प्रति माह देने की घोषणा की। खास बात यह है कि आम आदमी पार्टी ने हर महिला को 2,100 रुपए देने की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने गरीब परिवार की एक महिला को 2,500 रुपए देने की बात कही है। वहीं, भाजपा ने साफ नहीं किया है कि यह राशि हर महिला को मिलेगी या गरीब महिलाओं को?
दिल्ली में भाजपा-कांग्रेस आम आदमी पार्टी पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उसने 2022 में पंजाब में चुनाव से पहले महिलाओं को 1,000 रुपए प्रति माह देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह राशि देने की शुरुआत नहीं की गई है।
इसके अलावा कर्नाटक में राज्य सरकार द्वारा अंत्योदन, बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) व एपीएल कार्ड धारक लगभग 1.25 करोड़ महिलाओं को 2,000 रुपए प्रति माह की राशि दी जा रही है। पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग की महिलाओं को 1,200 रुपए और आर्थिक रूप से कमजोर अन्य वर्ग की महिलाओं को 1,000 रुपए प्रति माह दिए जाते हैं। झारखंड में मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना के तहत लगभग 55 लाख महिलाओं को 1,000 रुपए प्रति माह दिए जा रहे थे, लेकिन जनवरी माह में इस राशि को बढ़ा कर 2,500 रुपए कर दिए गए हैं। इनके अलावा ओडिशा में महिलाओं को हर साल 10,000 रुपए देने के लिए सुभद्रा योजना की शुरुआत की गई है, लेकिन यह भी 2.50 लाख रुपए सालाना आमदनी वाले परिवार की महिला को दिया जाएगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि महिलाओं को नगद हस्तांतरण को लेकर कुछ अर्थशास्त्री यह चिंता जता रहे हैं कि इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा तो कुछ जानकारों का कहना है कि इससे परिवारों में महिलाओं और उनमें निर्णय लेने की स्थिति में सुधार होता है। उनकी वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ावा मिलता है, जिससे वे अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार खर्च कर सकती हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने महिलाओं के जनधन खातों में सीधा नकद हस्तांतरण किया था, जिसे एक महत्वपूर्ण पहल माना गया था। हाल के कुछ सालों में हुए विधानसभा चुनावों में महिलाओं को नगद हस्तांतरण का वादा कारगर रहा है। इसीलिए दिल्ली में भी इसे आजमाया जा रहा है। देखना यह है कि महिलाएं किस राजनीतिक दल के वायदे पर ज्यादा भरोसा करती हैं।