उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का चौथा और अंतिम चरण 29 मई, 2021 को है। इस बीच चुनाव में भागीदारी करने वाले कई प्रत्याशी और चुनाव संपन्न कराने वाले कई सरकारी कर्मी कोरोना से पीड़ित होकर मृत्यु की घाट उतर चुके हैं। प्रदेश में लगातार चुनाव स्थगन की मांग उठ रही है। जबकि शासन-प्रशासन भी अब पंचायत चुनाव में मतगणना के लिए कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य करने की ओर काम कर रहा है।
देश में 27 अप्रैल, 2021 को रोजाना होने वाली कोविड से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 6,352 है जो कि
आईएचएमई के अनुमान के मुताबिक 15 मई तक दोगुनी हो सकती है।
वहीं, उत्तर प्रदेश के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 23 मार्च, 2020 को आगरा जिले में कोरोना संक्रमित का पहला मामला प्रदेश में आया था तबसे लेकर अब तक कुल 11 हजार मौते हुई हैं। वहीं, शासन की ओर से प्रतिदिन 200 से 240 मौतों का आंकड़ा अभी बताया जा रहा है।
जबकि शमशान घाटों से आने वाली तस्वीरें और लोगों की शिकायत यह है कि कोविड-19 से मौतों का यह आंकड़ा भ्रामक है।
शिक्षकों से जुड़े प्रादेशिक संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से चुनाव स्थगन की मांग की है। महासंघ ने अपनी जानकारी में बताया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव की ड्यूटी करने वाले 135 शिक्षक, शिक्षा मित्र व अनुदेशकों की मृत्यु हो चुकी है।
बहरहाल अब प्रदेश में 17 जिलों में चुनाव की तैयारी हो रही है। चौथे और अंतिम चरण का पंचायत चुनाव 29 मई को होगा। इसमें बुलंदशहर, हापुड़, संभल, शाहजहांपुर, अलीगढ़, मथुरा, फर्रुखाबाद, बांदा, कौशांबी, सीतापुर, अंबेडकरनगर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गाजीपुर, सोनभद्र और मऊ जिला शामिल हैं।
कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी शासन के सामने अपनी आवाज उठाई है। बहराइच जिले में संघ के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कोविड-19 के नियमों का कड़ाई से पालन कराने की अपील की है। संघ का आरोप है कि चुनाव स्थलों पर कोविड -19 नियमों का मानकों के साथ पालन नहीं किया जा रहा है।
शिक्षक संघ ने चुनाव में उन लोगों की ड्यूटी खत्म करने को कहा है जो कोविड-19 के लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं। साथ ही प्रशासन को चेतावनी भी दी है कि यदि उनकी मांगे नहीं पूरी की जाती हैं तो वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
हालांकि, शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि चुनाव अब अंतिम चरण में है, इसका स्थगन संभव ही नहीं है।
वहीं, प्रदेश सरकार ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि 2 मई, 2021 को पंचायत वोटों की गिनती के दिन प्रत्याशियों, निर्वाचन अधिकारी, मतगणना अभिकर्ता के लिए 72 घंटे पहले की अनिवार्य आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाना होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार इस वक्त पंचायत चुनाव का आधार इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को बना रही है। 04 फरवरी, 2021 को जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने अपने आदेश में प्रदेश सरकार को समय चुनाव संपन्न कराने को कहा था।
पंचायत चुनावों में औसत मतदान 70 फीसदी से अधिक हो रहा है। ऐसे में प्रत्याशियों से लेकर अधिकारियों के पास यह दलील है कि जनता यह चुनाव चाहती है।
इस मामले में ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह से डाउन टू अर्थ ने संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
बहरहाल उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी के उस बयान के उलट है जिसमें उन्होंने हाल ही में कहा था कि गांव ही सबसे पहले कोरोना विजय करेंगे।