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अर्थव्यवस्था

क्या पूरा हो पाएगा 2047 तक विकसित भारत का सपना?

भारत को अमेरिकी की एक चौथाई प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 75 साल लगेंगे

Richard Mahapatra

केंद्रीय बजट 2024-25 का एक खास उद्देश्य है- 2047 तक विकसित भारत की नींव रखना। इस वर्ष देश अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में इस नींव को बनाने के लिए 9 प्राथमिकता वाले क्षेत्र गिनाए हैं।

उन्होंने इसे विकसित भारत के लिए “प्रधानमंत्री का पैकेज” बताया है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कुछ अन्य क्षेत्रों के साथ कौशल और  रोजगार का सृजन, युवा विकास, कृषि, ऊर्जा सुरक्षा और शहरी विकास शामिल है। उनकी यह घोषणा देजा वू (पहले भी देखा-सुना जैसा एहसास) की याद दिला रही है।

इससे पहले मौजूदा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल (2014-19) में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर भी 2022 तक “नए भारत” का वादा किया था। इस नए भारत में 2047 तक विकसित भारत के समान प्राथमिकता वाले क्षेत्र शामिल थे। लेकिन हालिया आकलन के अनुसार, नए भारत वाले किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया है।

इस नए भारत के लिए 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना, महिलाओं के लिए रोजगार पैदा करना, किसानों की आय दोगुनी करना और गरीबी उन्मूलन (आय गरीबी और बहुआयामी गरीबी में भ्रमित नहीं होना चाहिए) जैसे लक्ष्य शामिल हैं।

2022-23 के बजट भाषण के दौरान जब नए भारत की समयसीमा पूरी हो गई, तब सीतारमण ने इस वादे या इसके विकास लक्ष्यों का उल्लेख तक नहीं किया। न ही उन्होंने किसानों की आय दोगुनी करने का जिक्र किया।

इसके बजाय उन्होंने कहा, “यह बजट अगले 25 वर्षों के अमृत काल में अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए नींव रखने और खाका देने का प्रयास करता है। एक तरह से उस बजट ने पहली बार अगले दो दशकों में भारत के विकसित देश बनने का संकेत दिया था। उस वर्ष अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने फिर से वादा दोहराया कि भारत 2047 तक विकसित देश बन जाएगा। ऐसे में सवाल है कि क्या हम इस मील के पत्थर तक पहुंचने के लिए सही रास्ते पर हैं?

विश्व बैंक ने हाल ही में एक आकलन में 2047 तक निम्न मध्यम आय अर्थव्यवस्था से विकसित देश बनने की भारत की महत्वाकांक्षा की “प्रशंसा” की है। लेकिन साथ ही उसने इस उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए भारत की क्षमता पर चिंता व्यक्त की है।

विश्व बैंक की अहम रिपोर्ट “वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024: द मिडिल इनकम ट्रैप” पिछले 50 वर्षों के अनुभवों के आधार पर बताती है कि कैसे देश एक स्तर से दूसरे स्तर पर पहुंचते हैं। इस मामले में मध्यम आय वर्ग के स्तर से उच्च आय वर्ग यानी विकसित देश के स्तर पर पहुंचते हैं।

रिपोर्ट में “मिडिल इनकम ट्रैप” नामक एक घटना का विस्तृत विवरण दिया गया है जो ऐसे अधिकांश देशों को प्रभावित करती है और उनके विकास और उन्हें विकसित देश बनने से रोकती है।

इस ट्रैप को इस तरह समझाया जा सकता है कि जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं (मध्यम आय के स्तर को प्राप्त कर लेते हैं), वे उस स्तर पर स्थिर हो जाते हैं, जब उनका प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अमेरिका के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का 11 प्रतिशत होता है जो वर्तमान में 8,000 डॉलर के बराबर है।

विश्व बैंक के अनुसार, यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की उस सीमा के बीच में है जो किसी देश को मध्यम आय की श्रेणी में शामिल करता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, “1990 के बाद से केवल 34 मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं उच्च आय की स्थिति में पहुंचने में कामयाब हुई हैं। उनमें से एक तिहाई से अधिक यूरोपीय संघ में शामिल हुए देश हैं या वे देश हैं जहां पहले तेल नहीं खोजा गया था।”  

विश्व बैंक के वर्गीकरण के अनुसार, दुनिया में 108 मध्यम आय वाले देश हैं जिनमें से प्रत्येक का वार्षिक प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 1,136 से 13,845 अमेरिकी डॉलर के बीच है। देशों का यह समूह आर्थिक और विकास दोनों मापदंडों पर वैश्विक विकास को परिभाषित करता है।

ये देश वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई का घर हैं और दो-तिहाई आबादी अत्यधिक गरीबी में जी रही है, भले ही वे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत समेत मध्यम आय वाले देश अपने आर्थिक मॉडल में बदलाव नहीं करते हैं तो “चीन को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में 10 साल से अधिक समय लगेगा, इंडोनेशिया को 70 साल और भारत को 75 साल लगेंगे।”