अर्थव्यवस्था

अपना पूरा दिन कहां खर्च करते हैं भारतीय, एनएसओ ने जारी की सर्वे रिपोर्ट

Raju Sajwan

भारतीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने 9 अक्टूबर को टाइम यूज इन इंडिया 2019 सर्वे रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया है कि भारतीय अपना पूरा दिन किन-किन गतिविधियों में खर्च करता है। एनएसओ ने पहली बार ऐसी कोई रिपोर्ट तैयार की है।

एनएसओ ने 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2019 के बीच यह सर्वे किया। इसमें 1,38,799 घरों के 4,47,250 लोगों को शामिल किया गया। इसमें परिवार में छह साल से अधिक उम्र के सभी सदस्यों की दिनचर्चा का विश्लेषण किया गया। इनमें 2,73,195 ग्रामीण और 1,74,055 शहरी शामिल थे। सर्वे के दौरान सुबह 4 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 4 बजे तक के कामकाज के बारे में बातचीत की गई।

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय एक दिन में सबसे अधिक 726 मिनट अपनी देखभाल पर खर्च करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि सबसे अधिक यानी 737 मिनट ग्रामीण पुरुष अपनी देखभाल पर खर्च करते हैं। इस रिपोर्ट में स्वयं की देखभाल में सोना, खाना-पीना, सेहत पर ध्यान देना, इलाज कराना, अपनी देखभाल के लिए कहीं आना-जाना आदि शामिल है।

इसके बाद सबसे अधिक समय रोजगार और उससे जुड़ी गतिविधियों पर खर्च किया जाता है। एक दिन में 429 मिनट रोजगार और उससे जुड़ी गतिविधियों पर खर्च किए जाते हैं। इस मामले में गांवों वालों के मुकाबले शहर वालों को ज्यादा समय देना पड़ रहा है। शहर के लोगों को दिन के 485 मिनट इस पर खर्च करने पड़ रहे हैं। सबसे अधिक शहरी पुरुषों को 514 मिनट (लगभग 9 घंटे) रोजगार के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं। इनके मुकाबले ग्रामीण पुरुषों को 434 मिनट खर्च करने पड़ रहे हैं। अगर महिलाओं की बात करें तो ग्रामीण महिलाओं को 317 मिनट और शहरी महिलाओं को 375 मिनट रोजगार व उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए बिताने पड़ रहे हैं।

एक और दिलचस्प आंकड़ा बताता है कि ग्रामीण परिवेश की महिलाएं अपने दिन के 301 मिनट अपने परिवार के सदस्यों के लिए खर्च कर देती हैं और इसके बदले उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता। जबकि इनके मुकाबले शहरी महिलाएं 293 मिनट अपने परिवार के सदस्यों के लिए खर्च करती हैं। इस मामले में ग्रामीण पुरुष 98 मिनट और शहरी पुरुष 94 मिनट ही खर्च करते हैं।

हालांकि लोग समाज के काम करने, सूचनाएं इधर से उधर पहुंचाने, ईमेल, चैट आदि पर भी बड़ा समय खर्च कर रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लोग दिन में औसतन 143 मिनट सोशलाइजिंग एंड कॉम्युनिकेशन, सामाजिक भागीदारी और धार्मिक कार्यों पर खर्च कर रहे हैं। जबकि संस्कृति, मास मीडिया और खेलों पर 165 मिनट खर्च किए जा रहे हैं।

सीखने यानी शिक्षा आदि पर भी बड़ा समय खर्च किया जा रहा है। औसतन दिन का 424 मिनट पर लर्निंग पर खर्च किए जा रहे हैं। इस मामले में शहरी, गांव वालों से थोड़ा आगे हैं। गांवों में 422 मिनट लर्निंग पर खर्च किए जा रहे हैं तो शहरों में 430 मिनट खर्च किए जा रहे हैं।