इलेस्ट्रेशन : योग्रेंद आनंद 
अर्थव्यवस्था

भूख से कराहता अंकल सैम का देश

सप्लिमेंटल न्यूट्रिशन असिस्टेंस प्रोग्राम के लाभार्थी निराशा और गरीबी से घिरे हैं, वह भी ऐसे देश में जहां 900 से अधिक अरबपति और दुनिया का पहला संभावित ट्रिलियनेयर (खरबपति) मौजूद है

Richard Mahapatra

नवंबर के पहले हफ्ते में अमेरिका में हजारों लोग भोजन की तलाश में निकले। वे किसी होटल से बचे हुए खाने के लिए, किसी फूड बैंक से सहायता पाने के लिए या अपने परिचितों के पास हाथ फैलाने के लिए पहुंचे। लाखों लोग आने वाले दिनों में भूख से जूझने की चिंता में बेचैन थे। एक स्थानीय अखबार ने एक अकेली मां की भूख से जंग की कहानी बताई, “कभी-कभी मुझे भूख के दर्द उठता है, लेकिन मैं उसे नजरअंदाज कर देती हूं। खुद से कहती हूं कि मैं उपवास पर हूं।”

अमेरिकी सरकार अपने इतिहास के सबसे लंबे शटडाउन से गुजर रही है। सप्लिमेंटल न्यूट्रिशन असिस्टेंस प्रोग्राम (एसएनएपी) जिसे पहले फूड स्टैम्प प्रोग्राम कहा जाता था, 1930 के दशक से चल रहा है और यह देश का सबसे महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा तंत्र है। लेकिन इस बार सरकार के पास इसे चलाने के लिए धन नहीं था। नतीजतन, नवंबर महीने के लिए एसएनएपी के 4 करोड़ लाभार्थियों को नकद सहायता नहीं मिल सकी।
6 नवंबर को एक फेडरल जज ने आदेश दिया कि बजटीय संकट की परवाह किए बिना सरकार को तुरंत लाभार्थियों को यह राशि जारी करनी होगी।

अब तक किसी भी सरकारी शटडाउन के दौरान फूड स्टैम्प कार्यक्रम को बंद नहीं किया गया था। लेकिन इस बार सिर्फ एक सप्ताह के भीतर ही इसके ठप पड़ने से पता चला कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में भी 134 वर्षों से खाद्य सुरक्षा कितनी नाजुक स्थिति में है। जज ने अपने आदेश में कहा, “1.6 करोड़ बच्चे तत्काल भूख के खतरे में हैं।” उन्होंने खेद व्यक्त किया, “अमेरिका में ऐसा कभी नहीं होना चाहिए।”

यह स्थिति न केवल चिंताजनक है बल्कि इस बात की भी पुष्टि करती है कि अमेरिका हाल के वर्षों में गरीबी और भूख को नियंत्रित करने में विफल रहा है। एसएनएपी के लाभार्थी निराशा और गरीबी से घिरे हैं, वह भी ऐसे देश में जहां 900 से अधिक अरबपति और दुनिया का पहला संभावित ट्रिलियनेयर मौजूद है। जब अदालत के आदेश के अनुपालन पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, उसी समय टेस्ला ने एलन मस्क के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर के वेतन पैकेज को मंजूरी दी।

अमेरिका में हर आठवां व्यक्ति एसएनएपी पर निर्भर है ताकि वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी कर सके। यह आय के स्तर को भी दर्शाता है। तीन लोगों का ऐसा परिवार जिसकी वार्षिक आय 35,000 डॉलर से कम है, वह इस योजना का पात्र होता है। एसएनएपी के तहत औसतन एक व्यक्ति को प्रतिदिन 6 डॉलर की नकद सहायता मिलती है। सर्वे बताते हैं कि हर पांचवें एसएनएपी लाभार्थी परिवार में कोई न कोई बच्चा, बुजुर्ग या कोई विकलांग सदस्य होता है। यह अमेरिका की भूख और गरीबी की गहरी सच्चाई बताता है और उस असमानता की कहानी भी जो गरीबी को बनाए रखती है।

अमेरिकी जनगणना ब्यूरो के सप्लिमेंटल पॉवर्टी मेजर (एसपीएम) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 4.369 करोड़ (12.9 प्रतिशत) लोग गरीबी में रह रहे थे। यह पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा अधिक था। हर सातवां अमेरिकी बच्चा गरीबी में जीवन बिता रहा था। 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गरीबी का स्तर भी 2023 की तुलना में बढ़ा है।
असमानता के मामले में अमेरिका औद्योगिक देशों में सबसे आगे है। देश की कुल आय का 52 प्रतिशत हिस्सा सबसे अमीर 20 प्रतिशत अमेरिकियों के पास है, जबकि सबसे निचले 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी सिर्फ 3 प्रतिशत है।

गैर-लाभकारी संस्था हंगर फ्री अमेरिका (एचएफए) के प्रमुख जोएल बर्ग कहते हैं कि बढ़ती गरीबी का कारण केवल प्रणालीगत नहीं बल्कि सहायता में कटौती भी है। उन्होंने कहा, “यह (गरीबी) डेटा संघीय प्रतिनिधियों के लिए एक चेतावनी संकेत है कि वे घरेलू खाद्य सहायता और स्वास्थ्य देखभाल में की गई निर्दयी और आर्थिक रूप से हानिकारक कटौतियों को तुरंत वापस लें। हम महामंदी के बाद से अमेरिका की सबसे बड़ी भुखमरी की कगार पर हैं।” सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए एचएफए कहता है कि
“अगस्त-सितंबर 2021 से अगस्त-सितंबर 2024 के बीच ऐसे अमेरिकियों की संख्या 55.2 प्रतिशत बढ़ गई जो एक सप्ताह की अवधि में पर्याप्त भोजन नहीं पा सके विस्तारित चाइल्ड टैक्स क्रेडिट का समाप्त होना, विस्तारित एसएनएपी लाभों का अंत, सार्वभौमिक स्कूल भोजन योजनाओं का खत्म होना और मुद्रास्फीति का प्रभाव इसकी जड़ में है।”