फोटो: आईस्टॉक 
अर्थव्यवस्था

कठिन श्रमिक नीतियों के कारण जापान में विदेशी कामगारों का प्रवास सीमित

विशेषज्ञों का कहना है कि जापान में विदेशी कामगारों को रहने के नियम कायदे इस प्रकार के बनाए गए हैं कि वे बस थोड़े समय तक ही रह सकते हैं। यदि भविष्य में भी यही नियम जारी रहते हैं तो इस बात की संभावना अधिक है कि विदेशी कामगार यहां आना ही बंद कर देंगे

Anil Ashwani Sharma

जापान को विदेशी कामगारों की जरूरत है लेकिन वे इन्हें अधिक समय तक अपने यहां रखना नहीं चाहते हैं। इन दिनों जापान में विदेशी कामगार बहुत ज्यादा दिखने लगे हैं, लेकिन ये सभी सिर्फ थोड़े समय के लिए रह पाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जापान सरकार द्वारा अप्रवासियों के लिए बनाई गई इन नीतियों से श्रम के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश को नुकसान पहुंच सकता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार जापान को वर्तमान में अप्रवासी कामगारों की सख्त जरूरत है, ताकि उनकी घटती और बूढ़ी होती आबादी के कारण खाली पड़ी नौकरियों को भरा जा सके। 125 मिलियन की आबादी वाले देश में 2007 से विदेशी कामगारों की संख्या चार गुना बढ़कर दो मिलियन से ज्यादा हो गई है। इनमें से कई कामगार अपने देश में कम मजदूरी, राजनीतिक दमन या सशस्त्र संघर्ष से बचकर आए हैं। लेकिन अब विदेशी कामगार जापान में ज्यादा दिखाई देने लगे हैं। जैसे सुविधा स्टोर में कैशियर, होटल क्लर्क और रेस्तरां में सर्वर के तौर पर काम कर रहे हैं।

हालांकि यह बात भी सामने आई कि जापान में अप्रवासियों के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया जाता है। राजनेता विदेशी कामगारों खास तौर पर कम कौशल वाली नौकरियों में काम करने वाले कामगारों के लिए अनिश्चित काल तक रहने के लिए रास्ते बनाने में अनिच्छुक रहते हैं। इससे जापान को दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे पड़ोसियों या ऑस्ट्रेलिया और यूरोप जैसे दूर-दराज़ के देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो कामगारों की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं।

लंबे समय से जापान में अप्रवास के लिए राजनीतिक प्रतिरोध ने एक अस्पष्ट कानूनी और ऐसी प्रणाली को जन्म दिया है जो विदेशियों के लिए जापान में अपनी जड़ें जमाना मुश्किल बना देती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार विदेश में जन्मे श्रमिकों को उनके जापानी समकक्षों की तुलना में औसतन लगभग 30 प्रतिशत कम भुगतान किया जाता है। जापान में रहने के अपने अधिकार को खोने के डर से श्रमिकों के अक्सर अपने नियोक्ताओं के साथ अच्छे संबंध नहीं होते।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में टोक्यो में रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमी, ट्रेड एंड इंडस्ट्री के फेलो यांग लियू के हवाले से कहा गया है कि जापान में विदेशी कामगारों को रहने के नियम कायदे इस प्रकार के बनाए गए हैं कि वे बस थोड़े समय तक ही रह सकते हैं। वह कहते हैं कि यदि भविष्य में भी यही प्रणाली इसी तरह जारी रहती है तो इस बात की संभावना बहुत अधिक हो गई है कि विदेशी कामगार यहां आना ही बंद कर देंगे।

ध्यान रहे कि 2018 में सरकार ने देश में कम कुशल विदेशी कामगारों की संख्या में तेज वृद्धि को सुनिश्चित करने वाला एक कानून पारित किया। इस साल की शुरुआत में सरकार ने अगले पांच वर्षों में ऐसे श्रमिकों की संख्या को दोगुना से अधिक करके 8,20,000 करने की प्रतिबद्धता जताई है। फिर भी राजनेता देश की सीमाओं को खोलने से अभी बहुत दूर हैं।

जापान ने अभी तक उस तरह के महत्वपूर्ण प्रवास का अनुभव नहीं किया है जिसने यूरोप या संयुक्त राज्य अमेरिका को हिलाकर रख दिया है। जापान में विदेश में जन्मे निवासियों की कुल संख्या 3.4 मिलियन है, जो जनसंख्या का 3 प्रतिशत से भी कम है। उदाहरण के लिए जर्मनी और अमेरिका में यह प्रतिशत लगभग पांच गुना है।

जापान ने विदेशी कामगारों के लिए कुछ नियमों को कड़ा किया है, जबकि कुछ को ढीला किया है। इस साल सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने जापान के आव्रजन कानून में संशोधन को आगे बढ़ाया, जो किसी व्यक्ति को करों का भुगतान करने में विफल रहने पर स्थायी निवास को रद्द करने की अनुमति देता है।

रिपोर्ट बताती है कि जापान की विपक्षी संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य मिचिहिरो इशिबाशी ने संसदीय चर्चा के दौरान कहा कि इस तरह की धमकी स्थायी निवासियों की सुरक्षा की भावना को छीन लेती है और निस्संदेह भेदभाव और पूर्वाग्रह को बढ़ावा देगी। एक अलग संसदीय समिति में न्याय मंत्री रयुजी कोइजुमी ने कहा कि संशोधन का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां हम विदेशियों कामगारों के साथ सह-अस्तित्व में रह सकें। यह सुनिश्चित करके कि वे जापान में रहने के लिए आवश्यक न्यूनतम नियमों का पालन करें।

जापान के एक गुनमा प्रान्त पूरी तरह से विदेशी श्रमिकों पर निर्भर है। ओइगामी ओनसेन में एक जीर्ण-शीर्ण पहाड़ी गांव जहां कई रेस्तरां, दुकानें और होटल बंद हैं क्योंकि अब यहां कोई जापानी काम नहीं करना चाहते इसलिए यहां अधिकांश कामगार मूल रूप से म्यांमार, नेपाल या वियतनाम से हैं। ग्रामीण इलाके में स्थित सराय के मालिक वतारू त्सुतानी ने कहा कि यह सही है कि मेरे अब कोई जापानी व्यक्ति काम नहीं करना चाहता।

यहां तक कि उसके यहां काम करने वाले अधिकांश कामगार अपने काम के मुकाबले अधिक कुशल और पढ़े लिखे हैं। 58 वर्षीय साके योशिज़ावा जो अपने पति के साथ रात भर रुकने आई थीं और चेक आउट करने से पहले लॉबी में एक कप चाय का आनंद ले रही थीं, ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि वे विदेशी कामगारों की सेवा से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि उनकी जापानी भाषा बहुत अच्छी है और मुझे उनके बारे में अच्छा महसूस होता है। सराय के महाप्रबंधक न्गुन नेई पार ने भूगोल में डिग्री के साथ म्यांमार के एक विश्वविद्यालय से स्नातक किया है।

उन्हें उम्मीद है कि जापानी सरकार नागरिकता के लिए एक रास्ता तैयार करेगी जिससे वह किसी दिन अपने परिवार के बाकी सदस्यों को जापान ला सकेंगी। अंत में त्सुतानी ने कहा कि मैंने अक्सर सुना है कि जापान एक अद्वितीय देश है। ऐसे में विदेशी कामगारों के लिए जापान में रहना इतना मुश्किल बनाने की कोई जरूरत नहीं है। आखिरकार में हमें कामगार तो चाहिए ही।