अर्थव्यवस्था

संसद में आज: आजीविका के पलायन कर रही हैं शेपर्ड और नोमैडिक जनजातियां

Madhumita Paul, Dayanidhi

प्रत्येक घर को स्वच्छ ईंधन

गरीब परिवारों को खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन प्रदान करने के लिए, सरकार ने 2016 में प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की थी और सितंबर 2019 में 8 करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य हासिल किया है। यह पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज राज्यसभा में बताया।

प्रधान ने यह भी बताया कि 01 फरवरी, 2021 तक देश में कुल घरेलू तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) उपभोक्ता 28.82 करोड़ थे। रसोई गैस के अलावा, 70.75 लाख घरेलू उपभोक्ता भी पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) का उपयोग कर रहे हैं। 

मंत्री ने यह भी बताया कि माननीय वित्त मंत्री द्वारा 1 फरवरी, 2021 को की गई बजट घोषणा में, पहले से जारी 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन के अलावा पीएमयूवाई के तहत 1 करोड़ और एलपीजी कनेक्शन देने की घोषणा की है।

खानाबदोश जनजातियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर इस बात पर सहमत हुए कि शेपर्ड और नोमैडिक जनजाति आजीविका के लिए पलायन कर रहे हैं, यह उनके परिवार और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा को प्रभावित करता है।

गुर्जर ने आज राज्यसभा में बताया कि मंत्रालय / सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने दिनांक 21 फरवरी, 2019 के गजट नोटिफिकेशन के द्वारा विकास, कल्याणकारी और अर्ध-खानाबदोश समुदायों के और खानाबदोश समुदायों के विकास और कल्याण बोर्ड का गठन किया है। यह तीन साल की अवधि के लिए था जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

बागजान तेल के कुएं में आग

असम के तिनसुकिया जिले के बागजान में स्थित ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के एक कुएं में 27 मई, 2020 को एक विस्फोट हुआ। खतरे को देखते हुए, आसपास के सभी ग्रामीणों को बाहर निकाला गया और पास के राहत शिविरों में भेजा गया। ओआईएल और ओएनजीसी की संकट प्रबंधन टीमें और विस्फोट नियंत्रण के लिए वैश्विक विशेषज्ञ जुटाए गए थे। 9 मई, 2020 को कुएं में आग लगी थी। 15 नवंबर, 2020 को कुएं की आग को नियंत्रित किया गया। यह पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज राज्यसभा में बताया।

प्रधान ने यह भी बताया कि विभिन्न एजेंसियां ​​विस्फोट होने के कारण पारिस्थितिक को हुई क्षति का अध्ययन और आकलन में लगी हुई है। थर्मल इमेजिंग और सोनिक माप के माध्यम से गर्मी के प्रभाव के अध्ययन के लिए आईआईटी-गुवाहाटी की अध्ययन रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि घरों में दरार के पड़ने का आग लगने से  संबंधित प्रभाव नहीं था। हालांकि, आसपास के घरों और फसलों को नुकसान हुआ। ऑयल इंडिया लिमिटेड ने प्रभावित परिवारों को राहत / मुआवजा प्रदान किया।

रत्नागिरी मेगा रिफाइनरी परियोजना

महाराष्ट्र सरकार की 02 मार्च, 2019 की अधिसूचना ने महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी जिले में तालुका राजापुर, बाबुलवाड़ी में रिफाइनरी-कम-पेट्रोकेमिकल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित 18 मई, 2017 की अधिसूचना वापस ले ली है। इस बात की जानकारी आज पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में दी।

प्रधान ने यह भी बताया कि रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) ने परियोजना के लाभों के साथ-साथ प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में गलत धारणा को दूर करने तथा स्थानीय आबादी को रिफाइनरी की स्थापना से कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा यह समझाने के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ डोर टू डोर अभियान के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया।

शहरी बाढ़ पर अध्ययन

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने आज राज्यसभा में इस बात से इनकार किया कि सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान शहरी बाढ़ जैसी आपदाओं का अध्ययन करने के लिए एक पैनल का गठन किया है।

पुरी ने बताया कि 2016 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया था ताकि शहरी क्षेत्रों में बाढ़ के उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए एक रोड-मैप तैयार किया जा सके।

तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा इथेनॉल सम्मिश्रण

तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दी जाने वाली मात्रा को स्वीकार कर रही हैं। चूंकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और बिहार जैसे कुछ राज्यों में इथेनॉल का उत्पादन होता है और इन राज्यों में इथेनॉल की उपलब्धता 10 फीसदी सम्मिश्रण के लिए आवश्यक है। इसलिए अतिरिक्त इथेनॉल अन्य कमी वाले राज्यों में पहुंचा दिया गया है ताकि समग्र राष्ट्रीय इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य को पूरा किया जा सके। इस बात की जानकारी आज पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में दी।

महिलाएं और बच्चे बीड़ी बनाने के रोजगार में लगे हैं

देश में बीड़ी श्रमिकों की आज तक कुल पंजीकृत संख्या 49,82,294 है, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (आईसी) संतोष कुमार गंगवार ने आज राज्यसभा में बताया।

गंगवार ने यह भी बताया कि कुल श्रमिकों में 35,25,662 महिलाएं हैं और कोई भी बच्चा बीड़ी बनाने के काम में नहीं लगा है। सदन में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता में बीड़ी बनाने में कार्यरत महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है।