अर्थव्यवस्था

संसद में आज: कुल 53 करोड़ में से असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं 44 करोड़ श्रमिक

संसद में प्रश्नोत्तर सत्र में पूछे गए कुछ अहम सवालों के जवाब यहां जानें-

Madhumita Paul, Dayanidhi

असंगठित क्षेत्र में लगे श्रमिक

आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, कुल 53.53 करोड़ कामगारों में से 43.99 करोड़ श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। सरकार ने असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) बनाने के उद्देश्य से अगस्त, 2021 में ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया है। 11 दिसंबर, 2022 तक असंगठित क्षेत्रों के लगभग 28.46 करोड़ श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल के तहत पंजीकृत किया गया है, यह आज श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में बताया।

देश में पवन ऊर्जा क्षमता

30 नवंबर 2022 तक, 41,895 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और देश में 12,111 मेगावाट क्षमता कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है, इस बात की जानकारी आज ऊर्जा, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने लोकसभा में दी।

असम में हर घर जल योजना

जल जीवन मिशन की घोषणा के समय, असम राज्य में 1.11 लाख (1.69 प्रतिशत) घरों में नल के पानी के कनेक्शन होने की जानकारी मिली थी। पिछले 3 वर्षों में अब तक लगभग 26.05 लाख (39 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार, 08.12.2022 तक, राज्य के 65.67 लाख ग्रामीण परिवारों में से, लगभग 27.16 लाख (41 प्रतिशत) परिवारों को घरों में नल से पानी की आपूर्ति होने की जानकारी है और शेष 38.51 लाख (59 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को  2024 तक पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है। यह आज जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में बताया।

नदियों को आपस में जोड़ने के लाभ

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत नदियों को आपस में जोड़ने (आईएलआर) परियोजनाओं के कार्यान्वयन से सतही जल से 2.5 करोड़ हेक्टेयर सिंचाई का लाभ मिलेगा इसके अलावा 3.4 करोड़ किलो किलो वाट जलविद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण, नेविगेशन, जल आपूर्ति में वृद्धि, मत्स्य पालन, खारेपन, प्रदूषण नियंत्रण और रोजगार सृजन आदि में फायदा पहुंचा है। इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में दी।

टुडू ने कहा केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी), अन्य बातों के साथ-साथ, 10.62 लाख हेक्टेयर (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर) क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई करने की सुविधा प्रदान करती है। यह 62 लाख (मध्य प्रदेश में 41 लाख और उत्तर प्रदेश में 21 लाख) की आबादी को पेयजल आपूर्ति के लिए 19.4 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी प्रदान करेगा और इसकी 103 मेगावाट की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता होगी।

देश भर में सीएनजी स्टेशन

मिनिमम वर्क प्रोग्राम (एमडब्ल्यूपी) के अनुसार, सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) संस्थाओं ने 2030 तक देश भर में लगभग 17,700 सीएनजी स्टेशन स्थापित करने के का संकल्प लिया है, इस बात की जानकारी आज पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में दी।

स्मार्ट सिटी के तहत परियोजनाएं

2 दिसंबर 2022 तक, भारत सरकार ने 100 स्मार्ट सिटी  के लिए 34,399 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें से 30,400 करोड़ (88 प्रतिशत) का उपयोग किया जा चुका है। लगभग 1,81,112 करोड़ की 7,738 परियोजनाओं में काम करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं, जिनमें से 92,439 करोड़ की 4,987 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, यह आज आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री कौशल किशोर ने लोकसभा में बताया।

उत्तर प्रदेश में किसानों को सौर पंप

कंपोनेंट-बी के तहत कुल 36,842 सोलर पंप और कंपोनेंट-सी के तहत चार लाख पंपों के फीडर लेवल सोलराइजेशन को 31.11.2022 तक उत्तर प्रदेश को आवंटित किया गया है। राज्य ने पूरे उत्तर प्रदेश में घटक-बी के तहत 11389 सौर पंपों की स्थापना करने की जानकारी दी है, इस बात की जानकारी आज ऊर्जा, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने लोकसभा में दी।

उत्तर प्रदेश की नदियों में प्रदूषण

राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनडब्ल्यूएमपी) के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) देश में 2108 स्थानों पर नदियों के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करता है। इनमें से तीन स्थानों पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सहयोग से रामगंगा नदी पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा  कालागढ़ बांध, शेरकोट, कालागढ़ और कन्नौज (गंगा नदी के साथ रामगंगा के संगम से पहले) की निगरानी की जाती है। एनडब्ल्यूएमपी के तहत गर्रा और खन्नौत नदी पर कोई निगरानी स्थान नहीं है, यह आज जल शक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर  टुडू ने लोकसभा में  बताया।

बायो-सीएनजी संयंत्रों की स्थापना

पिछले पांच वर्षों और चालू वर्ष के दौरान, 30 नवंबर, 2022 तक, देश में कुल 44 बायो-सीएनजी संयंत्र स्थापित किए गए, इस बात की जानकारी आज ऊर्जा, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने लोकसभा में दी।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय

पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा एक स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण, 2022 के निष्कर्षों के अनुसार, 95.4 प्रतिशत घरों में शौचालय की सुविधा पाई गई, यह आज जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद  सिंह पटेल ने लोकसभा में बताया।

ग्रेट निकोबार द्वीप समूह में पारिस्थितिक चिंताएं

केंद्र सरकार ने दिनांक 27.10.2022 के पत्र द्वारा ग्रेट निकोबार द्वीप में सतत विकास के लिए 130.75 वर्ग किमी वन भूमि में बदलाव या डायवर्सन के लिए 'सैद्धांतिक' - चरण-एक का अनुमोदन किया है। यह परियोजना महत्वपूर्ण रणनीतिक और राष्ट्रीय महत्व की है। विकास के लिए प्रस्तावित क्षेत्र अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुल क्षेत्रफल का लगभग 1.5 प्रतिशत है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।

अफ्रीकी चीतों को भारत लाना

चीता को भारत में लाने की कार्य योजना के अनुसार, मध्य प्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, राजस्थान में शाहगढ़ बुलगे, भैंसरोड़गढ़ वन्यजीव अभयारण्य और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को भारत में चीता के लिए उपयुक्त क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वनीकरण के प्रयास

ग्रीन इंडिया मिशन (जीआईएम) के तहत वनीकरण लक्ष्यों का आवंटन धन की उपलब्धता पर निर्भर है। 2020-21 के दौरान, जीआईएम के तहत लक्ष्य 160 करोड़ रुपये के उपलब्ध बजट के अनुसार राज्यों को आवंटित किए गए थे, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।

देश भर में अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) और प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, देश में कुल 4,578 अत्यधिक प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाइयां हैं, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।