दुनिया में युवा बेरोजगारी दर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके 2023 में साढ़े छह करोड़ युवा अपने लिए एक नौकरी ढूंढ पाने में असफल रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक 
अर्थव्यवस्था

15 वर्षों के निचले स्तर पर पहुंची युवाओं में बेरोजगारी दर, फिर भी क्यों बढ़ रही हैं चिंताएं

Lalit Maurya

संयुक्त राष्ट्र अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि पिछले साल युवाओं की बेरोजगारी दर अपने 15 वर्षों के निचले स्तर पर आ गई। देखा जाए तो दुनिया के लिए यह बेहद अच्छी खबर है, लेकिन इसके बावजूद ऐसा क्या है कि युवाओं की चिंता कम नहीं हुई है।

यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है, क्योंकि बेरोजगारी घटने का मतलब है कि पहले से कहीं ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है, जो आर्थिक विकास के नजरिए से बेहद अच्छा है। लेकिन युवाओं के रोजगार से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर गंभीरता से गौर करने की जरूरत है।

‘ग्लोबल एम्प्लॉयमेंट ट्रेंड्स फॉर यूथ 2024’ नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में महामारी से पहले जहां युवाओं में बेरोजगारी दर 13.8 फीसदी थी, वो पिछले साल 2023 में घटकर 13 फीसदी पर पहुंच गई है। इसके साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि यह दर 2024-2025 में घटकर 12.8 फीसदी रह जाएगी।

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार वर्षों में युवाओं के लिए वैश्विक श्रम बाजार का परिदृश्य बेहतर हुआ है, तथा सुधार का यह रुझान अगले दो वर्षों तक जारी रहने की उम्मीद है।

हालांकि ऊपरी तौर पर देखें तो युवाओं में घटता बेरोजगारी दर का यह आंकड़ा बेहद गुलाबी तस्वीर प्रस्तुत करता है। लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर अब भी गंभीरता से विचार करना जरूरी है। उदाहरण के लिए दुनिया में युवा बेरोजगारी दर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके 2023 में साढ़े छह करोड़ युवा अपने लिए एक नौकरी ढूंढ पाने में असफल रहे हैं।

आंकड़ों पर गौर करें तो 2023 में, युवा महिलाओं और पुरुषों दोनों के बीच बेरोजगारी दर करीब-करीब समान थी। गौरतलब है जहां युवा महिलाओं में बेरोजगारी दर 12.9 फीसदी रही, वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 13 फीसदी रहा। हालांकि महामारी से पहले, युवा पुरुषों की बेरोजगारी दर कहीं अधिक थी।

धूमिल होते आशाएं

युवाओं के रोजगार से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा यह भी है कि युवाओं के लिए एक अच्छी और सुरक्षित नौकरी ढूंढ पाना पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो गया है। मतलब की जिन युवाओं के पास रोजगार हैं वो भी अपने रोजगार को लेकर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे।

ऊपर से कई बार युवाओं को अपनी शिक्षा और कौशल की तुलना में उपयुक्त काम नहीं मिल पा रहा। यही वजह है कि दुनिया में अभी भी लाखों लोग अपने योग्य बेहतर काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नतीजन उनके मन में असंतोष की भावना बनी रहती है।

रिपोर्ट में युवा बेरोजगारी दर में आ रहे सुधार में मौजूद असमानताओं पर भी प्रकाश डाला है। श्रम संगठन के मुताबिक यह सही है कि वैश्विक स्तर पर बेरोजगार युवाओं की संख्या 15 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। लेकिन इसके बावजूद एशिया-प्रशांत और अरब क्षेत्र में अभी भी स्थिति चिंताजनक है, जहां विशेष रूप से महिलाएं महामारी के बाद आए आर्थिक सुधारों का फायदा नहीं उठा पाई हैं।

इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए आईएलओ की रोजगार विश्लेषण एवं सार्वजनिक नीति प्रमुख सारा एल्डर ने प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि, "वैश्विक स्तर पर युवा बेरोजगारी दर में गिरावट के बावजूद पूर्वी एशिया में इसमें 4.3 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं अरब देशों और दक्षिण-पूर्व एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में यह वृद्धि करीब एक फीसदी रही है। मतलब की इन क्षेत्रों में बेरोजगारी घटने की जगह बढ़ रही है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक, कमजोर देशों में युवा श्रमिकों के लिए समृद्ध देशों की तुलना में नियमित काम मिलना कहीं अधिक कठिन है। इसके साथ ही काम को लेकर युवाओं की चिंता में भी इजाफा देखा गया है।

डरा रहा नौकरी खोने का डर

रिपोर्ट में इस बात को लेकर भी चिंता जताई है कि पिछले साल हर पांचवा युवा न तो रोजगार में लगा था, न पढ़ाई कर रहा था और न ही किसी तरह का प्रशिक्षण हासिल कर रहा था। मतलब की 20 फीसदी से ज्यादा युवा शिक्षा और रोजगार से दूर थे। एल्डर ने चिंता जताते हुए कहा है कि, "अगर आप युवा महिला हैं तो शिक्षा जारी रखने या रोजगार हासिल करने की चुनौती दोगुणी हो जाती है, क्योंकि शिक्षा, रोजगार से दूर हर तीसरे युवा में से दो महिलाएं हैं।"

आईएलओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2023 में शिक्षा, प्रशिक्षण या रोजगार से दूर पुरुषों  की दर 13.1 फीसदी थी। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा दोगुने से भी अधिक दर्ज किया गया। जो 2023 के दौरान 28.1 फीसदी था।

सारा एल्डर ने प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा है कि, अधिकांश युवा श्रमिक अब भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर हैं, उनके रोजगार अस्थाई हैं। ऐसे में उनके लिए  स्वतंत्र वयस्क के रूप में आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है।" उनके मुताबिक कमजोर देशों में केवल चार में से एक युवा श्रमिक के पास स्थाई और सुरक्षित रोजगार है, जबकि समृद्ध देशों में यह आंकड़ा चार में से तीन है।

आईएलओ के मुताबिक नौकरी ढूंढने का दबाव युवाओं पर भारी पड़ रहा है। वहीं तीन में से दो युवाओं का कहना है कि उन्हें अपनी नौकरी खोने का डर है। यह तब है कि जब युवा वर्ग अब तक का सबसे शिक्षित युवा समूह है। इसके बावजूद इनमें से कई युवा ऐसे हैं जो अच्छी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उनके मुताबिक अच्छी नौकरियां युवाओं के बेहतर भविष्य की कुंजी हैं। यह शांति, निष्पक्षता और सबको साथ लेकर आगे बढ़ने में मदद करती हैं। उनका कहना है कि अब इन अवसरों को पैदा करने का समय आ गया है।

आईएलओ के महानिदेशक गिल्बर्ट हुंगबो के मुताबिक युवाओं के लिए अवसर बहुत असमान हैं। कई युवा महिलाएं, और कमजोर तबके से वाले लोग अभी भी बेहतर मौकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में शिक्षा और अच्छी नौकरियों तक समान पहुंच के बिना, लाखों युवा बेहतर भविष्य का अपना मौका खो रहे हैं।

आईएलओ प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि "जब दुनिया भर में लाखों युवाओं के पास बेहतर नौकरियां नहीं हैं, तो ऐसे में हम एक स्थिर भविष्य की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। इसकी वजह से वे लोग असुरक्षित महसूस करते हैं और अपने और परिवार के लिए बेहतर कल बनाने में असमर्थ हो जाते हैं।"

इस रिपोर्ट में जो महत्वपूर्ण बातें निकल कर सामने आई हैं, उनके मुताबिक सभी शिक्षित युवाओं के लिए बेहतर नौकरियों का आभाव है, खासकर मध्यम आय वाले देशों में समस्या कहीं ज्यादा गंभीर है। इसी तरह युवाओं के लिए आधुनिक सेवाओं और निर्माण क्षेत्र में बहुत अधिक नौकरियां पैदा नहीं हुई हैं।

युवाओं के लिए पर्यावरण अनुकूल रोजगार और डिजिटल नौकरियों के लिए तैयार करना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि वो आने वाले कल में नौकरियों के योग्य बन सकें। साथ ही युवा महिलाओं के लिए नौकरियों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।