सोरित
अर्थव्यवस्था

दास्तान-ए- मिडिल क्लास

“हे मिडिल-क्लास तुम्हारा जीवन टैक्स-पे करने के लिए ही हुआ है”

Sorit Gupto

शहर जहां खत्म होकर ऊंचे पहाड़ों का बियावान शुरू हो रहा था, ठीक उसी जगह वह अपने दोनों पैरों को नीचे खाई में लटकाकर बैठा था। इस बियावान में सड़क पर पड़े उसके फोन से तलत महमूद के गीत, “तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं/ वापस बुला ले…” की आवाज दूर से सुनाई दे रही थी।

अचानक एक आवाज आई, “जब रुका हो हर एक काम, तो विजिट करें” हर समस्या का समाधान डॉट कॉम!”

उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहां एक लंबी-लंबी दाढ़ी-मूछों वाला एक बाबा रूपी दिव्य पुरुष खड़ा था। दोनों की नजरें यूं चार हुईं जैसे भक्त और भगवान के बीच होती हैं। फिर भी कन्फर्म करने के लिए उसने पूछा, “आप कौन?”

दिव्य पुरुष ने कहा , “आपकी समस्या का समाधान स्पेशलिस्ट”

वह उनके पैरों पर गिर पड़ा और बोला, “प्रभु! मैं परेशान हूं!”

दिव्य पुरुष ने कहा, “ किया-कराया, प्रेम-विवाह, सोतन से छुटकारा, प्रेमिका-वशीकरण या विवाह में रुकावट? 48 घंटों में 101 प्रतिशत पक्का समाधान किया जाएगा! चारों तरफ से दुखी व निराश व्यक्ति एक बार जरूर संपर्क करें। बोल तेरी परेशानी इनमें से कौन-सी है?”

उसने कहा, “इनमें से कोई नहीं।”

अब परेशान होने की बारी चमत्कारी बाबा उर्फ दिव्य पुरुष की थी। झुंझलाकर उन्होंने पूछा, “तो तेरी परेशानी क्या है?”

उसने कहा, “ मैं कौन हूं?”

बाबा ने सोचते हुए कहा, “आइडेंटिटी क्राइसिस? अरे तुम्हारी पहचान तो तुम्हारे कपड़ों से हो सकती है कि तुम एक “मिडिल-क्लास” हो! तो क्या बस यही परेशानी है?”

उसने कहा, “मेरी परेशानी है टैक्स! जितना भी कमाता हूं सब टैक्स देने में चला जाता है। इनकम करो तो इनकम-टैक्स दो, कुछ खरीदो तो जीएसटी दो, प्रॉपर्टी खरीदो तो उसमें टैक्स, सड़क पर गाड़ी निकालो तो टोल दो, पढ़ाई करो तो सेस दो, फिल्म देखो तो उसका टैक्स भरो....बाबा! मैं करूं तो क्या करूं?”

अचानक एक दिव्य प्रकाश कौंधा और उसने देखा कि बाबा की जगह वहां पर नितीश खड़े थे, जिन्होंने अपनी तर्जनी पर एक सीडी फंसा रखी थी।

(पाठक अन्यथा न लें, यहां बात कुमार की नहीं बल्कि महाभारत सीरियल के नितीश भारद्वाज की हो रही है)

बहरहाल, बाबा उर्फ नितीश ने कहना शुरू किया, “टैक्स ही सत्य है, वह अजर है, अमर है। टैक्स को अग्नि जला नहीं सकती, पानी गीला नहीं कर सकता। ठीक जैसे तुम पुराना कपड़ा त्याग कर नया कपड़ा पहनते हो, उसी प्रकार टैक्स एक रूप से दूसरे रूप को प्राप्त करता है। तुम्हें टैक्स के बारे में चिंता छोड़ देनी चाहिए। यह काम तुम्हारे सीए और वित्त-मंत्रालय का है।”

बाबा उर्फ नितीश ने कहा, “क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे? ऑफर लेटर लेकर आए थे और रिलीविंग लेटर लेकर निकल लोगे। कर्म करो।”

उसने टोका, “कर्म ही तो कर रहा हूं पर फल भी तो मिलना चाहिए!”

बाबा उर्फ नितीश ने कहा, “केवल कर्म करो, फल की चिंता न करो, क्योंकि तुम्हारे कर्मों के फलों का जूस देश के अरबपति पी चुके हैं!”

उसने कहा, “आप धन्य हैं! आपने आज मुझे विश्व-दर्शन करवा दिया! बस इतना बता दीजिये कि करों से कब मुक्ति मिलेगी या कभी मुक्ति मिलेगी भी कि नहीं?”

बाबा उर्फ नितीश ने कहा, “जीवन में परेशानी है तो उसका समाधान भी है। हे मिडिल-क्लास तुम्हारा जीवन टैक्स भरने के लिए ही हुआ है। इससे मुक्ति का एक ही उपाय है। तुम्हें कार्पोरेट-योनी में पैदा होना पड़ेगा तभी तुम्हारे सारे टैक्स माफ होंगे।”

इतना कहते हुए वह अदृश्य हो गए।