अर्थव्यवस्था

राजस्थान बजट : स्वास्थ्य पर दिया जोर, पर्यावरण को भूली सरकार

Madhav Sharma

राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने गुरूवार को अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश किया। बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वास्थ्य पर विशेष फोकस किया है और निरोगी राजस्थान की थीम को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। हालांकि पूरे बजट में देश में छाई आर्थिक अस्थिरता की झलक देखने को मिली है। इस बार अनुमानित बजट 2 लाख 25 हजार 731 करोड़ रुपए का है। इसमें से चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 14,700 करोड़ रुपए का अनुमानित आवंटन किया गया है। पिछले यानी 2019-20 में यह राशि 13,541 करोड़ रुपए थी। इस तरह स्वास्थ्य के बजट में लगभग 1159 करोड़ रुपए यानी 7 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है। 14,700 करोड़ रुपए में से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के लिए 3355.11 करोड़, एनएचएम के लिए 1629.43 करोड़, परिवार कल्याण विभाग के लिए 1041.02 करोड़, चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए 1145.33, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के लिए 42.60 और आयुष (आयुर्वेद, यूनानी और होम्येपेथ) के लिए 206.33 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।

स्वास्थ्य पर बजट राशि सरकार ने बढ़ाई है, लेकिन पर्यावरण के नाम पर राजस्थान सरकार ने इस बजट में सिर्फ चार घोषणाएं की हैं। पर्यावरण विभाग के लिए महज 2.60 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। पिछले बजट में सरकार ने पर्यावरण विभाग का पुनर्गठन कर ‘पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय’ करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह धरातल पर नहीं आ सका है। इस बार भी सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए सघन पौधारोपण की बात कही है। हालांकि यह तथ्य अलग है कि पेड़ लगाना प्रदूषण का हल नहीं है। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रत्येक जिले में जिला पर्यावरण योजना और राज्य स्तर पर राज्य पर्यावरण योजना बनाई जाएगी। इस पर सरकार 3.50 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

100 करोड़ रुपए का निरोगी राजस्थान कोष बनेगा, 33 करोड़ प्रचार में खर्च होंगे

राजस्थान सरकार ने 2019 में निरोगी राजस्थान अभियान शुरू किया था। इस बजट में सरकार ने 100 करोड़ रुपए का निरोगी राजस्थान प्रबंधन कोष के गठन की घोषणा की है। इस राशि में से सभी 33 जिलों को एक-एक करोड़ रुपए अभियान के प्रचार-प्रसार, परिचर्चा और गोष्ठियां आयोजित करने के लिए दिया जाएगा। इस तरह 100 करोड़ की राशि में से 33 फीसदी पैसा सरकार सिर्फ प्रचार पर खर्च करेगी। इसके अलावा राजस्थान सरकार अगले साल तक पूरे राजस्थान के नागरिकों का डिजिटल हेल्थ सर्वे करेगी। साथ ही निशक्तता की पहचान के लिए जिला स्तर पर अर्ली इंटरवेंशन सेंटर्स की स्थापना की जाएगी।  

मिलाटवखोरों पर कार्रवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खाद्य सामग्री में हो रही मिलावट की समस्या को लेकर बजट में गंभीरता दिखाई है। मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट खोली जाएंगी। साथ ही खाद्य सामग्री में मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अलग से अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। मिलावटी पदार्थों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में लैब खोली जाएगी।

स्वास्थ्य से संबंधित कुछ अन्य घोषणाएं

  • कैंसर की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए कैंसर रजिस्ट्री सिस्टम शुरू किया जाएगा।
  • जयपुर, जोधपुर और बीकानेर में कैंसर की जांच के लिए पैट सीटी स्कैन मशीन लगाई जाएंगी।
  • अस्पतालों में एक हजार बेड्स बढ़ाए जाएंगे।
  • सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर में लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा के लिए गेस्ट्रोसर्जरी विभाग की स्थापना की जाएगी। इसके लिए लीवर एवं बिलियरी साइंस, नई दिल्ली के साथ एमओयू किया जा चुका है।
  • जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में न्यूक्लीयर मेडिसिन विभाग की स्थापना की जाएगी।
  • 18 करोड़ रुपए से अजमेर और जोधपुर में राज्य के पहले होम्योपैथी महाविद्यालय खोले जाएंगे।

राजस्थान के बजट पर काम करने वाली संस्था ‘बजट एनालिसिस एंड रिसर्च सेंटर ट्रस्ट’ के निदेशक नेसार अहमद का कहना है कि ‘स्वास्थ्य पर सरकार जितना बोल रही है उसके अनुपात में राशि नहीं बढ़ाई है। हालांकि पिछली बार से आवंटित राशि ज्यादा है, लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि सरकार बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहती है। इसीलिए इस बार के बजट के सात संकल्पों में से सबसे पहला संकल्प निरोगी राजस्थान का है।’ वे आगे कहते हैं, ‘सरकार के पास पैसा बढ़ाने का स्कोप भी ज्यादा नहीं है क्योंकि राज्य सरकार का रेवेन्यू नहीं बढ़ रहा है। वहीं, पूरे देश की आर्थिक नीतियों का असर भी राज्य के बजट पर देखने को मिला है।’

समावेशी बजट का दावा 

इस बार राजस्थान सरकार ने अपने बजट को सात संकल्पों के तौर पर पेश किया है। जिसमें पहला निरोगी राजस्थान, दूसरा संपन्न किसान, तीसरा महिला, बाल एवं वृद्ध कल्याण, चौथा सक्षम मजदूर, छात्र-युवा, जवान, पांचवा शिक्षा का परिधान, छठा पानी, बिजली व सड़कों का मान और सातवां कौशल व तकनीक प्रधान है। बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार की वित्तीय नीतियां एवं प्राथमिकताएं क्या हो इसलिए हमने कृषकों, पशुपालकों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, उद्योग एवं व्यापारिक संगठनों, सिविल सोसाइटी आदि के सुझाव और विचारों को ध्यान में रखकर एक समावेशी बजट बनाने का प्रयास किया है।