अर्थव्यवस्था

आर्थिक सर्वेक्षण 2020: अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अपने मजबूत जनादेश का उपयोग करे सरकार

आर्थिक सर्वेक्षण-2020 में कहा गया है कि पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल करना सरकार के लिए चुनौती होगा

Raju Sajwan

बजट सत्र के पहले दिन संसद में 31 जनवरी 2020 को आर्थिक सर्वेक्षण 2020 पेश किया गया। सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी विकास दर 6-6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। 

सर्वेक्षण में कहा गया है कि आर्थिक विकास दर 2019-20 की पहली छमाही में 4.8 प्रतिशत थी,जबकि 2018-19 की दूसरी छमाही यह दर 6.2 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई में अस्थायी वृद्धि के कारण शीर्ष मुद्रास्फीति वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में 3.3 प्रतिशत के स्तर से बढ़ कर दिसंबर 2019 में 7.4 प्रतिशत हो गई। 2019-20 की दूसरी छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर ऊपर जाएगी।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार को अपने मजबूत जनादेश का उपयोग करके तत्परता के साथ सुधारों को अमल जाए, ताकि वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ उभर सके।

वैश्विक गिरावट दोषी

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2017 के बाद से जीडीपी वृद्धि में गिरावट भी वैश्विक उत्पादन में आई गिरावट का ही परिणाम है। जबकि 2017 से पहले जब तक वैश्विक उत्पादन में गिरावट नहीं आई थी, जब भारत दूसरे देशों से आगे बढ़ गया था।

मांग में कमी आने का कारण

उपभोक्ता मांग में वैश्विक गिरावट ने उद्योगों की गतिविधियों को प्रभावित किया। मांग में कमी आने का एक कारण यह है कि बहुत से देशों में प्रौद्योगिकी और उत्सर्जन मानकों में कई तरह के बदलाव आए हैं। भारत के ऑटो उद्योग में भी इसी तरह की गिरावट आई है।

5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी

भारत ने 2024-25 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अपेक्षित वृद्धि की संभावना कम है, ऐसे में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना एक चुनौती बनी हुई है। इसके बावजूद भी पिछले पांच साल की तरह यदि वार्षिक औसत वृदि्ध की दर 7.5 प्रतिशत और मुद्रास्फीति की वार्षिक औसत दर 4.5 रहती है तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अभी भारत की अर्थव्यवस्था 2.9 ट्रिलियन डॉलर की है।

शेयर बाजार में उत्साह

जानकारों के लिए यह कौतूहल का विषय रहा है कि आर्थिक मंदी के बावजूद शेयर बाजार में कुछ खास गिरावट नहीं देखी गई। आर्थिक सर्वेक्षण में भी यही बात कही गई है कि  लगातार छठी तिमाही में जीडीपी वृद्धि में गिरावट के बावजूद शेयर बाजार देश के विकास की संभावनाओं को लेकर उत्साहित है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीसीई) का सेंसेक्स मार्च 2019 की तुलना में दिसंबर 2019 के अंत में 7 प्रतिशत अधिक हो गया। यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि में गिरावट और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मौद्रिक नीति को आसान बनाए जाने के बावजूद भारत को निवेश के लिए बेहतर जगह माना जा रहा है। 2019-230 के पहले आठ महीनों में एफडीआई 24.4 बिलियन डॉलर और एफपीआई 12.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2018-19 से काफी अधिक था।

रोजगार: औपचारिक बनाम अनौपचारिक

चूंकि अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के लिए कई नीतियां लागू की गई है, इसलिए इसके प्रभाव की जांच करना महत्वपूर्ण हो गया है। रिपोर्ट बताती है कि औपचारिक क्षेत्र में रोजगार बढ़ा, जबकि अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार घटा। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कृषि क्षेत्र को छोड़कर औद्योगिक या सेवा क्षेत्र में स्थानांतरित हुए।